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सिर्फ दीपाली ही नही,  विभाग की सभी महिलाएं प्रताड़ना की शिकार

गुगामल वन्यजीव विभाग को बाप की जागीर समझता था

परतवाड़ा/मेलघाट दि. ३१ – हरिसाल की रेंजर दीपाली चौहान ने गुरुवार की शाम 7 बजे उपवनसंरक्षक शिवकुमार की प्रताड़ना से तंग आकर सुसाइड कर लिया.मानसिक रूप से विकृत शिवकुमार इससे पहले परतवाड़ा में एक दिव्यांग सिपाही धर्मेंद बेठेकर को भी बुरी तरह पीट चुका.धर्मेंद्र ने शिवकुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दी थी, लेकिन परतवाड़ा पुलिस ने उस शिकायत का सज्ञान नही लिया था.
   अब जो जानकारी मिल रही उस अनुसार सिर्फ दीपाली अकेली ही शिवकुमार की प्रताड़ना का शिकार नही हुई बल्कि 40महिल वनरक्षक और 3महिला वनपाल भी उसके शोषण को सहने अभिशप्त होते रहे.वनविभाग के कड़े नियम,आंतरिक आचारसंहिता और अनुशासन के कारण सभी महिला कर्मी अत्याचार को मुहं ढांपे सहन करते रहे.
 शिवकुमार गुगामल वन्यजीव विभाग का मुखिया था.उसके अधिकार क्षेत्र में चिखलदरा,तारुबांदा,चौराकुंड और हरिसाल रेंज शामिल थे.अपने मातहत अधिकारियों और कर्मचारियो को नाहक कष्ट देने की उसे आदत सी है.वो बेजा तकलीफ देता था और सभी सहयोगियो को कम आंकने की उसकी प्रवुत्ति रही.गाली गलौच करने में उसे आचार्य की पदवी मिली होने की बात भी भुक्तभोगी कर्मचारी बताते है.उसे महिला कर्मचारियों के साथ गंदी गालियों से बात करने ,अश्लील बात करने में खूब मजा आता था.एक महिला कर्मचारी ने बताया कि महिलाओं की बेइज्जती करना शिवकुमार के लिए आंतरिक आनंद का विषय था.वायरलेस सैट और मोबाइल पर बात कर चुकी महिलाओं को वो अपना लक्ष्य बनाता था.इन पर इल्जाम लगाया जाता था कि इन्होंने उसके (शिव)साथ बेअदबी से फ़ोन पर बात की.उन्हें फिर प्रताड़ित किया जाता.पैदल जंगल मे गश्त पर जाओ और सेल्फी भेजो, ऊंची पहाड़ियों पर ट्रेकिंग करो, रात में दो बजे आकोट फाटे पर आओ, संकुल में हूँ अर्जेन्ट आओ इस प्रकार के तानाशाहीपूर्ण हुक्म चलाये जाते थे.
जब तक पुलिस अधिकारी महिला वन अधिकारी और कर्मियों का विश्वास हासिल नहीं करेंगे तब तक इस केस की हकीकत सामने नही आ पाएंगी.शिवकुमार की डायरी, लैपटॉप, मोबाइल और उसके कार्यक्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरे फुटेज को भी खंगालना होंगा.उससे सिर्फ दीपाली ही त्रस्त नही थी बल्कि 40 से ज्यादा महिला वन कर्मी प्रताड़ित होती रही.सही दिशा में जांच होने पर और भी शिकायते दर्ज होने की संभावना व्यक्त की जा रही.

 

  • बगैर सहायक के शासकीय दौरे

उपवनसंरक्षक यदि अपने अधिकार क्षेत्र में शासकीय दौरा करता है तो उसके साथ सहायक वनसंरक्षक का होना अनिवार्य होता है.शिवकुमार ने तारूबांदा, चौराकुंड, चिखलदरा, हरिसाल रेंज का आज तक जब भी दौरा किया उसके साथ कभी भी एसीएफ(सहायक वनसंरक्षक) मौजूद नहीं रहा.वह अकेला ही दौरा क्यो करता था इसकी भी छानबीन की जानी चाहिए.
  • रात के अंधेरे में दौरे

शासकीय दौरे अक्सर दिन में ही किये जाते.टाइगर रिजर्व के प्रथम श्रेणी और सुपर वन क्लास अधिकारी , वन सचिव तक भी अपने दौर दिन में ही करते है,लेकिन शिवकुमार अंधेरी रात में अपने दौरे किया करता था.इस बीच वो जहां भी पहुंचता वहां महिला अधिकारी कर्मियों को बुलाकर खूब गाली गलौच करता.ढाकना ,तारुबांदा के संरक्षण कैम्प में देर रात पहुंचना उसकी हमेशा की आदत रही.शिवकुमार के वाहन चालक से पूछताछ करने पर उसके इन अंधेरे दौरों का पर्दाफाश होने की संभावना जताई जा रही.

 

  • आखिर क्यों कर रहा था मानसिक प्रताड़ना

शिवकुमार की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर दीपाली ने आत्महत्या कर ली.दिए गए कार्य को समयावधि से भी पहले पूर्ण कर लेने पर कुछ अडोसी पड़ोसी कर्मी-अधिकारी असंतुष्ट होने की जानकारी मिली.इन्ही के द्वारा शिवकुमार के कान भरे जाने की बात दबी जुबान में सुनने को मिल रही.इस कारण उसकी प्रताड़ना और भी बढ़ने का उल्लेख दीपाली ने अपने पत्र में भी किया.शिवकुमार को उकसाने वाला कर्मचारी कौन है.इसकी भी छानबीन की जा रही.दीपाली अपने कार्य को समर्पित अधिकारी थी.उसे सौपा गया कोई भी कार्य समय से पहले ही पूर्ण हो जाता.इस कारण अन्य रेंज की तुलना में हरिसाल रेंज को नंबर वन कहा जाता. इस कारण कुछ कर्मियों ने शिवकुमार के पास चुगली करना शुरू किया.बगैर किसी शहनिशा के शिवकुमार ने भी अकारण दीपाली को नोटिस भेजना शुरू किया.छोटी छोटी बात पर उसे सस्पेंड करने और दोषरोपन पत्र देने की धमकी दी जाती थी.डरा धमकाकर दीपाली को नियमबहाय काम करने मजबूर किया जाता.उसमे कोई समस्या बताये जाने पर उसे समझने की बजाय अन्य सभी कर्मियों के सामने दीपाली को ही गंदी गालियां दी जाती थी.विनोद शिवकुमार के स्वभाव को देखते हुए सामान्य कर्मचारी उसके पास भी जाने की हिम्मत नही करते थे.संभावना व्यक्त की जा रही कि किसी अधिकारी ने शिवकुमार को दीपाली के खिलाफ उकसाया होंगा.

 

  • मनीषा उइके का नाम आया

हरिसाल रेंज में दीपाली को जबरन अतिक्रमण हटाने के लिए भेजा गया था.इसी मामले के उस पर एट्रोसिटी का केस भी बनाया गया.अपने पत्र में दीपाली ने मनीषा उइके का जिक्र किया.पत्र में लिखा कि मनीषा उइके कभी सुखी नही रह सकती,उसने मेरा जीवन बरबाद कर दिया है.इस बारे में खोजबीन करने पर मालूम पड़ा कि मनीषा उइके यह मांगिया गावं की निवासी है और इसी ने दीपाली के खिलाफ एट्रोसिटी की शिकायत दी थी.गुगामल वन्यजीव विभाग की हरिसाल रेंज के मांगिया गावं का पुनर्वसन चांदूर बाजार तहसील के शिरजगाव बंड के पास किया जा चुका.पुनर्वसन प्रक्रिया के बाद पूरा एरिया सात बारह पर व्याघ्र प्रकल्प के नाम पर कर लिया गया.कुछ आदिवासी इसी जमीन पर बुआई करने पहुंचे.इस बात की खबर मिलने पर रेंजर दीपाली अपने सहयोगियों के साथ मांगिया पहुंची.तब आदिवासियों और वन विभाग की टीम के बीच संघर्ष हुआ.उपवनसंरक्षक विनोद यह तमाशा दूर से ही देख रहा था.आदिवासियों ने फारेस्ट टीम को ही बंधक बना लिया.इसी को लेकर थाने में शिकायत दी गई.एट्रोसिटी का फर्जी मामला बनाया गया.मनीषा उइके को एट्रोसिटी की शिकायत देने के लिए प्रोत्साहित करने का काम शिवकुमार ने किया.
गुगामल वन्यजीव विभाग में कुल चार रेंज है.इसमें तीन रेंज में पुरुष आरएफओ जबकि एक रेंज में दीपाली पदस्थ थी.अपनी निष्ठा,साहस और मेहनत के बूते पर दीपाली ने वो कर दिखाया जो पुरुष अधिकारी भी नही कर पाए.उसने मालूर,मांगिया और तारुबांदा गावं का पुनर्वसन कर दिखाया.रोजगार गारंटी के काएम निकाल कर आदिवासीयो को रोजगार उपलब्ध करवाया.इससे हरिसाल यह अन्य रेंज से स्पर्धा में आगे ही रहता था.हरिसाल के आगे रहने से भी कुछ अधिकारी खासे परेशान थे.
  • श्रीनिवासन के पत्र पर बवाल

टाइगर रिजर्व मेलघाट के क्षेत्रीय निदेश श्रीनिवासन रेड्डी के स्पष्टीकरण पत्र को लेकर बवाल मचा हुआ है.राज्य सरकार के पत्र के मुताबिक रेड्डी की तत्काल बदली नही की गई.लेकिन उनका तबादला होने के बाद भी प्रधान मुख्य वनसंरक्षक और क्षेत्रीय निदेशक व्याघ् प्रकल्प के लेटरपैड का उपयोग कर उन्होंने वनबल प्रमुखों को अपना स्पष्टीकरण भेजा, जो की नियमो का उल्लंघन बताया जा रहा.भाजपा महामंत्री चित्रा वाघ ने इस पर तीव्र आपत्ति ली. 26 मार्च को उपवनसंरक्षक शिवकुमार के निलंबन और रेड्डी के ट्रांसफर की ऑर्डर निकल चुकी थी.27 मार्च को रेड्डी ने निदेशक व्याघ्र प्रकल्प के लेटरपैड का उपयोग कर अपना स्पष्टीकरण वनबल प्रमुखों को भेजा. 27 मार्च को उन्होंने स्पष्टीकरण कैसे भेजा यह सवाल भाजपा नेत्री चित्रा वाघ ने टिवटर के माध्यम से उठाया है.निदेशक रेड्डी का यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ.मीडिया को भी यह पत्र प्राप्त हुआ है.पत्र के मुताबिक 27 मार्च को दोपहर के बाद व्याघ्र प्रकल्प का कार्यभार प्रादेशिक वन विभाग के मुख्य वनसंरक्षक प्रवीण चौहान को सौप दिया गया. रेड्डी को तत्काल कार्यमुक्त करने का आदेश था,लेकिन रेड्डी ने दूसरे दिन दोपहर तक कार्यभार नही सौपा.यह बात प्रवीण चौहान के पत्र से भी स्पष्ट होती है.इस दरमियान रेड्डी ने व्याघ्र प्रकल्प निदेशक के लेटरपैड का उपयोग किया था.वनकर्मचारी व अधिकारियों द्वारा इस पर आपत्ति प्रगट की जा रही.मेलघाट के आइएफएस अधिकारियों की मनमानी के सभी कारनामे अब सामने आने लगे है.
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