जिला बैंक के अध्यक्ष सहित 24 संचालकों व 3 लेखापालों को नोटीस
विशेष लेखा परीक्षक ने निवेश के बारे में मांगा खुलासा
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सात दिनों के भीतर नोटीस पर देना होगा जवाब
अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – इस समय दि. अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में उजागर हुए कमीशन घोटाले के मामले की जांच में ईडी की एंट्री हो चुकी है. वहीं अब विशेष लेखा परीक्षक ने भी इस बैंक को अपने राडार पर लिया है. जिला विशेष लेखा परीक्षक वर्ग-1 (सहकारी संस्था) सुनिता पांडे ने बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष सहित 24 संचालकों व 3 लेखापालों को बैंक द्वारा किये गये निवेश के संदर्भ में नोटीस जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सप्रमाण स्पष्टीकरण देने हेतु कहा है. इस नोटीस की वजह से बैंक के तत्कालीन संचालक मंडल में जबर्दस्त सनसनी व्याप्त है.
जानकारी के मुताबिक जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की ओर से विभिन्न कंपनियों में निवेश करते समय तय नियमों व शर्तों का उल्लंघन किया, ऐसा विशेष लेखा परीक्षक द्वारा अपने लेखा परीक्षण में पाया गया है. इस बारे में किसान सहकारी संस्था व बैंक के कुछ संचालकों द्वारा सहकारी संस्था को दिये गये पत्र तथा बैंक की ओर से किये गये निवेश की ऐवज में ब्रोकरों व वितरकोें को गलत तरीके से किये गये भूगतान का संदर्भ देते हुए जिला विशेष लेखा परीक्षक वर्ग-1 सुनिता पांडे ने बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष सहित 24 संचालकों तथा 3 सनदी लेखापालों को विगत 39 अगस्त को नोटीस जारी की. जिसमें उल्लेखित मुद्दों के मद्देनजर सात दिन के भीतर सप्रमाण स्पष्टीकरण पेश करने की बात विशेष लेखा परीक्षक द्वारा कही गई है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि, ईडी के बाद अब विशेष लेखा परीक्षण विभाग द्वारा भी जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर अपनी कार्रवाई का शिकंजा कसा जा रहा है.
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लेखा परीक्षक द्वारा उठाई गई आपत्तियां
– बैंक द्वारा म्युच्युअल फंड में निवेश करते समय आरबीआय व नाबार्ड की ओर से जारी मार्गदर्शक तत्वों की अनदेखी की गई तथा बैंक की ओर से कोई निती अथवा प्रस्ताव नहीं रहने के बावजूद निप्पॉन इंडिया कंपनी की ओर से बैंक द्वारा अवगत किये अनुसार 3 करोड 39 लाख 23 हजार 319 रूपयों का कमीशन म्युच्युअल फंड ब्रोकर को अदा किया गया.
– मई 2018 तथा मई 2020 से अक्तूबर 2020 तक गायब हुए ई-कॉस स्टेटमेंट को छोडकर अन्य उपलब्ध विवरणानुसार अदा ब्रोकरेज 2 करोड 5 लाख 48 हजार 305 रूपये दिखाई दे रहा है. सरकारी व सार्वजनिक निधी को गलत पध्दति से बैंक से निकाला गया तथा वर्ष 2019-20 में गलत तरीके से जमा खर्च दिखाते हुए नॉन एसआर फंड अंतर्गत म्युच्युअल फंड से 9.06 करोड रूपयों की अधिक आय बताकर सदस्यों, निवेशकों तथा सभासद संस्थाओं की दिशाभूल की गई.
– बैंक के संचालक मंडल, समिति सदस्य, निवेश समिती सदस्य तथा बैंक अधिकृत लेखा परीक्षक के तौर पर निवेश समिती में नियुक्त सदस्यों द्वारा किये गये कामकाज का खुलासा होना बेहद आवश्यक रहने की बात भी विशेष लेखा परीक्षक की ओर से जारी इस नोटीस में कही गई है.
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नाबार्ड व आरबीआई के निर्देशों की हुई अनदेखी
भारतीय रिजर्व बैंक के 5 जून 2014 को जारी पत्र के अनुसार निवेश समिती की सभा 12 फरवरी 20्र15 को बुलाई गई थी. जिसमें प्रस्ताव क्रमांक 1 के तहत बैंक के निवेश संबंधी निती को मंजूरी दी गई थी. लेखा विभाग ने सरकारी निधी को निवेश करने हेतु बैंक के मुख्य अधिकारी की अध्यक्षता में अधिकारियों का सेल नियुक्त किया गया था और यह सेल निवेश संबंधी नीतियों के अनुरूप काम करेगा, ऐसा तय किया गया था. इस प्रस्ताव तथा निवेश नीति को संचालक मंडल ने 30 मार्च 2015 को हुई बैठक में प्रस्ताव क्रमांक 40 के तहत मान्यता दी थी. निवेश करते समय निवेशित की जानेवाली रकम पिछले आर्थिक वर्ष के 31 मार्च को उपलब्ध कुल उपलब्ध पूंजी की तुलना में 10 फीसद से अधिक न हो ऐसा अनिवार्य नियम है. किंतु विशेष लेखा परीक्षक सुनिता पांडे ने पाया कि, बैंक द्वारा आरबीआई व नाबार्ड की नीतियों व निर्देशों का बैंक द्वारा म्युच्युअल फंड में निवेश करते समय पूरी तरह से उल्लंघन किया गया.
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इन लोगों के नाम जारी हुई है नोटीस
बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष उत्तरा जगताप व अनिरूध्द उर्फ बबलू देशमुख, व्यवसायिक संचालक वीरेंद्र वाल्मीक जगताप, संचालक प्रवीण आप्पा रमेश आप्पा काशीकर, सुधाकर नारायण भारसाकले, प्रकाश बाबाराव कालबांडे, अजय मधुकर पाटील, विलास रंगराव महल्ले, श्रीनिवास त्र्यंबक देशमुख, अनंत गुणवंतराव साबले, रविंद्र विठ्ठल गायगोले, पुरूषोत्तम बाबाराव अलोणे, जयप्रकाश दयाराम पटेल, दयाराम सानू काले, नितीन बाबूराव हिवसे, अभिजीत प्रवीण पाटील, संजय प्रभाकर वानखडे, सुभाष जनार्दन पावडे, सुरेश बापुराव साबले, प्रदीप नारायण नीमकर, अशोक हरिभाउ रोडे, अनुराधा अनिल वर्हाडे, निवेदिता वसंत चौधरी सहित चार्टर्ड अकाउंटंट अमीत मांगीया, अमीत अग्रवाल व परेश साहू के नाम नोटीस जारी की गई है.