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अब कोई भी आठ वर्ष ही रह सकता है सहकारी बैंक का संचालक

वर्षो से संचालक बने बैठे लोगों की जा सकती है कुर्सी

* बैंकिंग नियमन संशोधन कानून पर होगा अमल
अमरावती/दि.6- पंजाब व महाराष्ट्र बैंक में हुए घोटाले को देखते हुए 20 जून 2022 से बैंकिंग नियमन संशोधन कानून लागू किया गया. जिसके चलते अब सहकारी बैंकों के संचालक 8 साल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते, ऐसा प्रावधान इस कानून में किया गया है. रिजर्व बैंक ने इस कानून पर अमल करना शुरु करते हुए सहकारी बैंकों में 8 वर्ष से अधिक समय तक पद पर रहने वाले संचालकों की जानकारी मंगवाई है. जिसके चलते सहकार क्षेत्र में अच्छाखासा हडकंप व्याप्त है.
यह कानून लागू किए जाने के चलते नागरी सहकारी बैंकों से संबंधित नियमों में काफी बदलाव हुए है. इस कानून में किए गए संशोधन के चलते सहकारी बैंकों के संचालक को अब दो कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर रहना संभव नहीं रहेगा. इसके लिए 8 वर्ष का कार्यकाल उल्लेखीत किया गया है. लेकिन सहकारी क्षेत्र में एक टर्म 5 वर्ष की होती है. यानी दो टर्म 10 वर्ष के हुए. नए कानून के मुताबिक दो टर्म संचालक पद पर रहने के बाद एक टर्म की गैप देकर कोई भी संचालक दुबारा दो टर्म के लिए पद पर रह सकता है, ऐसा प्रावधान है. इसके चलते 8 वर्ष के कार्यकाल संबंधी नियम पर सवालया निशान लगता नजर आ रहा है. इस कानून में और भी अधिक संशोधन होकर संचालक पद के लिए 8 वर्ष की बाजाए 10 वर्ष का कार्यकाल किया जा सकता है, ऐसा इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है.
* युवाओं को मिलेगा काम करने का मौका
इस समय सहकार क्षेत्र में नए जोश वाले युवा आते ही नहीं. ऐसा नहीं है कि उन्हें इस क्षेत्र का ज्ञान नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में कई वर्षो से सक्रिय रहने के साथ ही 20-25 वर्षो से पद पर रहने वाले लोग उन्हें आगे नहीं आने देते. लेकिन बैंकिंग नियम संशोधन कानून की वजह से युवाओं को सहकार क्षेत्र में काम करने का अवसर मिलेगा. वहीं दूसरी ओर इस कानून की वजह से सहकार क्षेत्र में अनुभवी लोगों की कमी भी पैदा हो सकती है. जिसका काम पर परिणाम भी हो सकता है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है. यदि रिजर्व बैंक व्दारा इस फैसले पर तत्काल अमल करना शुरु किया जा सकता है तो सहकारी बैंकों के कई पदाधिकारियों व संचालकों को अपनी कुर्सी खाली करनी पड सकती है, ऐसे में अधिकांश बैंकों में संचालकों के पद रिक्त हो जाएंगे. ऐसी संभावना भी जताई जा रही है.

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