अब खोडके के घर में कांग्रेस भी, राकांपा भी, भाजपा भी और शिवसेना भी
सभी दलों में हो गई खोडके परिवार की दखल और स्वीकार्यता
* गद-गद और हर्षित दिखाई दे रहा खोडके परिवार
* सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों ओर खोडके की मौजूदगी
* त्वरित टिप्पणी
अमरावती /दि.3 – गत रोज राज्य की राजनीति में अचानक एक नया समीकरण उभरकर सामने आया है. जब राकांपा नेता अजित पवार अपनी पार्टी के 40 विधायकों को साथ लेकर राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए. जिसके बाद अजित पवार को उपमुख्यमंत्री तथा उनके साथ आए विधायकों में से 8 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. राज्य में राजनीतिक समीकरण बदलने के साथ-साथ अमरावती में अपनी ही तरह का एक नया राजनीतिक समीकरण व राजनीतिक सहयोग बनता दिखाई दे रहा है. जिसके तहत अब शहर सहित जिले की राजनीति मेें अपना अच्छा खासा रुतबा और रसुब रखने वाले खोडके परिवार के घर में कांग्रेस भी है, राकांपा भी है, भाजपा भी है और शिवसेना भी है. यानि खोडके परिवार अब एक साथ सभी राजनीतिक दलों में अपनी दखल व मौजूदगी बना चुका है. सबसे उल्लेखनीय बात तो यह है कि, खोडके परिवार अब एक ही साथ राज्य के सत्तापक्ष में भी है और विपक्ष में भी है. क्योंकि जहां संजय खोडके राकांपा के प्रदेश उपापध्यक्ष है और इस समय राज्य सरकार का समर्थन करने वाले राकांपा नेता अजित पवार के साथ खडे दिखाई दे रहे है. वहीं संजय खोडके की पत्नी सुलभा खोडके अमरावती क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक है और कांग्रेस इस समय महाविकास आघाडी में शामिल रहकर विपक्ष की भूमिका निभा रही है. यानि स्थिति यह है कि, पति सत्ता पक्ष के साथ है और पत्नी विपक्ष में है. ऐसे में विधानसभा में दोनों ओर खोडके दम्पति की मौजूदगी है. शायद महाराष्ट्र की राजनीति में यह पहला उदाहरण होगा, जब एक ही परिवार का जुडाव राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ हो तथा सदन में दोनों ओर उस परिवार की मौजूदगी है.
बता दें कि, गत रोज महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक ही एक भुचाल आया. जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं अब तक विधानसभा में राज्य के नेता प्रतिपक्ष रहे अजित पवार ने अकस्मात ही पाला बदलते हुए राज्य के सत्तापक्ष के साथ हाथ मिला लिया और राकांपा के 40 विधायकों के साथ राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ भी ले ली. इसके साथ ही अजित पवार के साथ आए राकांपा के 9 विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई दी. जिसके बाद राकांपा नेता अजित पवार ने प्रफुल पटेल व छगन भुजबल के साथ मुंबई में एक पत्रकार परिषद को संबोधित किया. इस पत्रकार परिषद में अमरावती से वास्ता रखने वाले और अमरावती की राजनीति पर अपनी मजबूत पकड रखने वाले राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके भी अजित पवार के पीछे कुर्सी से कुर्सी लगाकर बैठे दिखाई दिए. यानि संजय खोडके भी अजित पवार द्बारा पार्टी नेतृत्व के खिलाफ की गई इस बगावत में साथ है. यह साफ दिखाई दे रहा है.
उल्लेखनीय है कि, खोडके परिवार को हमेशा से ही पवार परिवार का नजदीकी माना जाता रहा है. विशेष तौर पर खोडके परिवार हमेशा से अजित पवार के प्रति अधिक झुकाव रखता आया है. हाल ही में जब संजय खोडके की माताजी का निधन हुआ था, तब राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार विशेष तौर पर खोडके परिवार को सांत्वना देने के लिए अमरावती आए थे. इसके अलावा जब राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार थी और अजित पवार उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री हुआ करते थे. तब भी कांगे्रस विधायक सुलभा खोडके अपने पति संजय खोडके के साथ मिलकर सबसे अधिक अजित पवार के ही संपर्क में रहा करती थी और अजित पवार के जरिए अमरावती के विकास कामों हेतु बडे पैमाने पर निधि प्राप्त करने का प्रयास करते हुए निधी मिलने का दावा किया करती थी. ध्यान रखा जाना चाहिए कि, अमरावती से कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित होने से पहले सुलभा खोडके एक बार बडनेरा से राकांपा की टिकट पर भी विधायक निर्वाचित हो चुकी है और खोडके परिवार हमेशा से पवार परिवार के प्रति समर्पित रहा. हालांकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब राकांपा ने खोडके के धुर प्रतिद्बंदी रहने वाले विधायक रवि राणा की पत्नी नवनीत राणा को लोकसभा के लिए पार्टी का प्रत्याशी बनाया था. तब संजय खोडके ने अपनी पार्टी के नेता शरद पवार के खिलाफ खुलकर बगावत की थी तथा नवनीत राणा के प्रचार हेतु अमरावती आए शरद पवार जिस होटल में रुके थे, उस होटल के सामने अपने समर्थकों के साथ अपने गुस्से का इजहार करते हुए पार्टी के फैसले का निषध भी किया था. साथ ही अपने समर्थकों को साथ लेकर वर्हाड विकास मंच नामक एक अलग राजनीतिक प्लेटफार्म भी बनाया था. हालांकि वर्हाड विकास मंच का राजनीतिक सफर ज्यादा लंबा नहीं चला. क्योंकि कुछ समय बाद संजय खोडके कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा. परंतु वर्ष 2019 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव की गहमागहमी शुरु होते ही संजय खोडके कांग्रेस छोडकर राकांपा में वापिस लौट आए थे और राकांपा में भी उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष का ही पद मिला. जबकि इससे पहले वे पार्टी में प्रदेश महासचिव हुआ करते थे. इससे पश्चात कांग्रेस व राकांपा की आघाडी के तहत कांग्रेस के कोटे में रहने वाली अमरावती विधानसभा सीट पर संजय खोडके ने अपनी पत्नी सुलभा खोडके के लिए कांग्रेस की टिकट हासिल करने में सफलता प्राप्त की थी. सुलभा खोडके ने तत्कालीन विधायक व भाजपा प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख को पराजीत कर चुनाव में जीत हासिल की थी. इस तरह से खोडके परिवार ने कांग्रेस व राकांपा इन दोनों दलों में अपना राजनीतिक दबदबा साबित किया था. वहीं राज्य में महाविकास आघाडी की सरकार बनते ही कांग्रेस में राकांपा में शामिल खोडके परिवार की सीधा पहुंच तत्कालीन एकीकृत शिवसेना में भी हो गई थी और खोडके परिवार ने महाविकास आघाडी के जरिए करीब ढाई वर्ष तक सत्ता सुख भी भोगा. हालांकि बाद में विगत वर्ष जून माह के दौरान शिंदे गुट द्बारा शिवसेना में की गई बगावत के चलते महाविकास आघाडी की सरकार गिर गई और शिंदे-फडणवीस सरकार स्थापित हुई. जिसके चलते कांग्रेस व राकांपा विपक्ष में चले गए, लेकिन अब राजनीतिक हालात में एक बार फिर करवट बदली है तथा गत रोज राकांपा नेता अजित पवार ने राकांपा के 54 में से 40 विधायकों को अपने साथ लेकर पाला बदल लिया तथा राज्य की शिंदे फडणवीस सरकार का समर्थन करने के साथ ही वे सरकार में शामिल भी हो गए. इस समय राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहने वाले संजय खोडके पूरा वक्त अजित पवार के साथ दिखाई दिए. जिसका सीधा मतलब है कि, संजय खोडके द्बारा अजित पवार की भूमिका का समर्थन किया जा रहा है और वे पवार के साथ-साथ शिंदे-फडणवीस सरकार का भी समर्थन कर रहे है. जिसका सीधा मतलब है कि, अब संजय खोडके के पास राकांपा के साथ-साथ भाजपा और शिंदे गुट वाली शिवसेना भी है. वहीं दूसरी ओर संजय खोडके की पत्नी सुलभा खोडके कांग्रेस विधायक होने के नाते इस समय महाविकास आघाडी ने आघाडी मेें रहते हुए विपक्ष में है. ऐेसे मेें कहा जा सकता है कि, पति सत्तापक्ष में है और पत्नी विपक्ष में है. साथ ही राज्य के सारे राजनीतिक पक्ष खोडके दम्पति के घर में है.