अब फास्ट टैग की भी होने लगी चोरी
अमरावती में खडी गाडी के फास्ट टैग से बंगलुरू में टोल कटा
अमरावती प्रतिनिधि/दि.४ – स्थानीय रामनगर परिसर में रहनेवाले शहर के प्रतिष्ठित नागरिक व व्यवसायी मदनलाल मोंगा गत रोज उस समय भौचक रह गये, जब उनके मोबाईल पर आये एक मैसेज में कहा गया कि, उनकी इनोवा कार ने अभी-अभी बंगलुरू-सेलम मार्ग के टोल नाके को पार किया है और फास्ट टैग के जरिये 70 रूपये का टोल शुल्क अदा किया है. हैरत की बात यह है कि, मदनलाल मोंगा की इनोवा कार विगत पंद्रह दिनों से अमरावती से बाहर गयी ही नहीं. बल्कि आठ-दस दिन तो गैरेज में खडी थी. साथ ही 4 जनवरी की सुबह एक विवाह समारोह की ट्रीप के लिए इस कार को 3 जनवरी की शाम अमरावती में ही सजाया जा रहा था. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब कार अमरावती में खडी है, तो फिर उसका फास्ट टैग बेंगलोर में कैसे प्रयुक्त किया गया.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल कार्यालय पहुंचकर जानकारी देते हुए मदनलाल मोंगा ने बताया कि, उनके पास इनोवा कार क्रमांक एमएच 27/बीई 0014 है. जिसका उन्होंने फास्ट टैग स्टीकर बना रखा है. उनकी कार विगत आठ-दस दिनों से अमरावती में ही खडी थी, और 4 जनवरी की सुबह इस कार को उनके एक परिचित के यहां विवाह संबंधी काम के लिए भेजना था. अत: 3 जनवरी की शाम यह कार अमरावती में ही तैयार करते हुए सजायी जा रही थी. कमाल की बात यह रही कि, जो कार 3 जनवरी की शाम अमरावती में खडी थी, उसी कार का फास्ट टैग 3 जनवरी की शाम करीब पौने आठ बजे बंगलुरू में प्रयुक्त हुआ. मदनलाल मोंगा के मुताबिक 3 जनवरी की शाम उनके मोबाईल पर इस संदर्भ में एक एसएमएस आया. जिसके जरिये उन्हें पता चला कि, उनकी कार ने कुछ समय पूर्व बंगलुरू-सेलम हाईवे का टोल प्लाझा पार किया है और उनके फास्ट टैग से 70 रूपये का टोल शुल्क अदा हुआ है, जबकि उनकी कार उनकी आंखों के सामने घर पर खडी थी और फास्ट टैग स्टीकर कार के फ्रंट ग्लास पर लगा हुआ है. ऐसे में मदनलाल मोंगा ने तुरंत संबंधित टोल प्लाझा से संपर्क करते हुए इस बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास किया, तो उन्हें बताया गया कि, कुछ समय पूर्व उस टोल प्लाझा से एक इनोवा कार ही पास हुई है. जिसका नंबर तो टोल प्लाझा पर दर्ज नहीं हुआ है. किंतु उस वाहन पर जो फास्ट टैग लगा हुआ था, उसी आधार पर टोल शुल्क जमा किया गया है.
मदनलाल मोंगा के मुताबिक वे इस संदर्भ में पुलिस सहित संबंधित एथॉरिटी के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करानेवाले है, ताकि दोबारा कोई इस तरह की धोखाधडी व ठगबाजी का शिकार न हो सके. किंतु इस मामले से यह तो साफ हो गया है कि, साईबर अपराधियोें ने फास्ट टैग का भी क्लोन बनाते हुए ठगबाजी करना शुरू कर दिया है.