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एफबी पेज व ग्रुप सहित वाट्सएप व ट्विटर पर किया गया था एक्जिट पोल
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हजारों ने लॉकडाऊन के खिलाफ जताई अपनी राय
अमरावती प्रतिनिधि/ दि. २७ – इस समय अमरावती शहर सहित तहसील में कोरोना के खतरे को देखते हुए आठ दिनों का लॉकडाऊन चल रहा है, जिसकी मियाद कल रविवार 28 फरवरी को खत्म होने जा रही है. साथ ही संभावना जताई जा रही है कि संभवत: इस लॉकडाऊन को थोड़ा और आगे बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में पश्चिम विदर्भ के अग्रणी हिंदी दैनिक अमरावती मंडल ने क्षेत्रवासियों से इस दोबारा लॉकडाऊन लगाये जाने को लेक उनकी राय जाननी चाही, जिसके लिए अमरावती मंडल के फेबुक पेज व ग्रुप सहित तमाम वाट्सएप ग्रुप व ट्विटर अकाऊंट के जरिए एक एक्जिट पोल किया गया. इस एक्जिट पोल में शामिल हुए तमाम लोगों ने लॉकडाऊन लगाये जाने को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि अब दोबारा लॉकडाऊन किसी भी सूरत में नहीं लगना चाहिए. अधिकांश ने गत वर्ष लगाये गये लॉकडाऊन से जुड़ी यादों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब कभी भी दोबारा उस तरह की स्थितियां नहीं बननी चाहिए, क्योंकि उस लॉकडाऊन के भीषण व भयावह परिणामों से लोगबाग अबतक उबर नहीं सके हैं.
जब तक लोग खुद की जिमेदारी नही समझेगे लॉकडाऊन का कोई फायदा नही है, इसलिए लॉकडाऊन रहे या न रहे, अगर काम न हो, तो घर में रहें. व्यवसाय करते समय सतर्क रहें, मास्क सेनिटाइजर का उपयोग करे घर परिवार का ध्यान रखें.
– गणेश शर्मा
जिले की पालकमंत्री होने के नाते एड यशोमति ठाकुर सहित महाविकास आघाडी के नेताओं ने अमरावती में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के लिए अमरावती के लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए खुद को सेफ साईड कर लिया है. इन दिनों कांग्रेस के पदाधिकारी रोजाना ही पालकमंत्री के समर्थन व उनके आदेशानुसा सोशल मीडिया पर अपने वीडियो पोस्ट करते हैं, जिनमें बार बार अमरावती की जनता को इस स्थिति के लिये जिम्मेदार बताया जाता है और लॉकडाऊन लगाने का निर्णय कितना सही है, यह समझाया जा रहा है. अंदाज कुछ ऐसा होता है, मानों पालकमंत्री ने लॉकडाऊन लगाकर अमरावतीवासियों पर कोई बहुत बड़ा उपकार कर दिया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि दिल्ली में किसानों का इतना बड़ा आंदोलन शुरू रहते समय वहां कोरोना का संक्रमण कैसे नहीं फैला और अमरावती में जहां लोगबाग कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन कर रहे हैं, यहां संक्रमण कैसे फैल रहा है. इस स्थिति के लिए केवल और केवल यहां के नेता व प्रशासन जिम्मेदार है, जो अपनी गलती छिपाने के लिए लॉकडाऊन का सहारा ले रहे है.
– अभिजीत देशमुख
संभवत: अमरावती का नाम आगे कर कुचलोग केंद्र सरकार से पैसा खाने का प्रयास कर रहे हैं. वैसे भी विदर्भ को पिछड़ा बताते हुए दिल्ली से हरबार पैसा मांगा ही जाता है. लेकिन सवाल यह है कि केरल व बंगाल में चुनावी धामधूम शुरू है और दिल्ली में तीन महीने से किसान आंदोलन चल रहा है, इन सभी स्थानों पर कोरोना क्यों नहीं फैल रहा और अमरावती में ही अचानक कोरोना फैलने के पीछे क्या वजह है. कुछ तो गड़बड़ है.
-अमोल घरड पाटील
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके सभी मंत्रियों सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारी अपने घर पर रहकर भी अपने परिवार का पेट पाल सकते है. क्योंकि लॉकडाऊन के बाद भी उनकी कमाई का जरिया शुरू ही रहता है. लेकिन आम नागरिकों के साथ ऐसा नहीं होता. लॉकडाऊन लगाने के पहले सरकार ने इस बात का विचार करना चाहिए कि आम आदमी अपने परिवार की जरूरत पूरी करने हेतु पैसा कहां से लायेगा.
– अनिल तायडे पाटील
भीड़भाड़ को कम किया जाना जरूरी है, लॉकडाऊन किसी समस्या का हल नहीं है. लोगों को भी काफी सतर्क और सजग रहना होगा, बार बार लॉकडाऊन लगाने से आम लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पडता है. साथ ही व्यापार व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
– प्रवीण भगत
लॉकडाऊन का समर्थन नहीं किया जा सकता है. इससे समाज का निम्न व मध्यम वर्ग बुरी तरह प्रभावित होता है और लोगों के रोजगार व कामधंधे खतरे में पड़ जाते हैं. लॉकडाऊन लगाने के बाद सरकार की ओर से भी लोगों को उनकी जरूरत के लिए कोई सहूलियत नहीं मिलती है. ऐसे में सरकार व प्रशासन को चाहिए कि इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता सोचा जाये.
– प्रज्ञा जानी
सरकार लॉकडाऊन लगाये और फिर हम नियमों का पालन करें, इससे बेहतर है कि हालात की गंभीरता को समझते हुए हर कोई खुद होकर नियमों का पालन करने, इससे लॉकडाऊन लगाने की नौबत ही नहीं आएगी और सभी लोग सुरक्षित भी रह सकेंगे. सभी लोगों ने घर से बाहर निकलते समय अपने चेहरे पर मास्क लगाना चाहिए तथा सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पान करना चाहिए.
– पद्मजा देशपांडे
इन दिनों आम लोग काफी लापरवाह हो गये है, जिसकी वजह से कोरोना को लेकर यह स्थिति पैदा हुई ौर प्रशासन को एक बार फिर लॉकडाऊन लगाने का निर्णय लेना पड़ा है. लोगों ने शायद पिछले अनुभवों से कोई सबक नहीं लिया है. हम सभी को समझना चाहिए है कि सजग और सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि जान है तो जहान है.
– संजय वाघ
लॉकडाऊन ही हर चीज का विकल्प नही है. लेकिन जब लोग नियमों का पालन ही नहीं कर रहेस तो प्रशासन भी क्या कर सकता है. अगर लॉकडाऊन से बचना है, तो सभी को नियमों का पालन करना होगा. वहीं प्रशासन ने भी सोचना चाहिए कि बिना लॉकडाऊन लगाये हालात को नियंत्रित कैसे किया जा सकता है. इसके तहत सभी व्यापारी प्रतिष्ठानों को सुबह 10 से 5 बजे तक ही सीमीत कालावधी मे खुला रखना चाहिए, ताकि भीड़भाड़ को नियंत्रित करते हुए दैनिक जीवन का कामकाज भी चलता रहे.
-निलेश वडालकर
इस समय व्यापार व्यवसाय की हालत काफी बुरी हो गई है. ऐसे में लॉकडाऊन को बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता है. लॉकडाऊन में कमाई पूरी तरह से ठप्प हो जाती है, तो लोग अपने खर्च चलाने के लिए पैसा कहां से लायेंगे. ऐसे में लोगों की परेशानियों के बारे में प्रशासन और सरकार ने सोचना चाहिए.
– अब्दुल माजीद
मुझे लगता है कि लोगों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियो को निभाना चाहिए, अभी भी कुछ लोग शहर में सैर सपाट कर रहे हैं, कारण पूछने पर कोई जवाब नहीं मिलता. साथ ही लोग अब भी बिना मास्क के देखे जा सकते है क्या यह हम सब की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है कि हालत काबू होने तक संयम बरता जाये. प्रशासन को यह भी सुनिचित करना चाहिए. सभी लोगो के परिवार की जरूरते कैसे पूरी हो. फिर से लॉकडाउन यह एकमात्र उपाय नहीं हो सकता.
– अंकुश लोभरे
इस समय अमरावती से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज नागपुर मे निकल रहे है. मगर नागपुर मे लॉकडाउन नहीं है, तो अमरावती में ही लॉकडाऊन क्यों लगाया गया. लॉकडाउन को किसी समस्या का हल नहीं है. लॉकडाउन का खामियाजा तो पूरी तरह से गरीबों को भुगतना पड़ रहा हैय
– इमरान खान
कोरोना का लेकर इस समय अमरावती में जो हालात हैं, वह उसी तरह से सरकार और प्रशासन की असफलता है. अनलॉक के समय प्रशासन की ओर से कोई सावधानी नहीं बरती नहीं गई. और सबकुछ एक साथ पहले की तरह खोल दिया गया. जिसकी वजह से कोरोना को लेकर हालात विस्फोटक हो गये. ऐसे में अगर दोबारा लॉकडाऊन लगाया जाता है, तो इसके और भी गंभीर परिणाम दिखाई दे सकते है और लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए तरसना पड़ सकता है.
सागर संजय लोखंडे
अपने अपने वार्ड की सुरक्षा के लिए नगर सेवक को जवाबदारी देनी चाहिए उन्हें भी तो एहसास होना चाहिए जवाबदारी क्या चीज होती हैं जब लॉकडाउन सफल होगा. सारी बातों की जिम्मेदारी केवल प्रशासन पर नहीं डाली जा सकती है.
– संजय अग्रवाल नागलिया
कोरोना की चैन तोडने के लिए हर बार का लाकडाऊन किसी भी ऐंगल से सही उपाय नहीं कहा जा सकता. अगर प्रशासन 1 मार्च से लाकडाऊन बढाने के पक्ष में है, तो देश के व्यापारियों को भी किसानों की तहरा व्यापारी आंदोलन का रास्ता अखतियार करना पडेगा, और व्यापारी आंदोलन की शुरुवात अमरावती से ही होनी चाहिए
– पंकज वर्मा