अब मनसे ने खोला सीएस के खिलाफ मोर्चा
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पत्रवार्ता में वर्ष 2015-16 के व्यवहार को लेकर लगाये भ्रष्टाचार के आरोप
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जिला कोषागार कार्यालय के पत्र को बनाया आधार
अमरावती/प्रतिनिधि दि.7 – विगत दिनों जहां भाजपा की ग्रामीण जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी ने जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम के खिलाफ भ्रष्टाचार के सनसनीखेज आरोप लगाये थे. वहीं अब वर्ष 2015 से 2017 के दौरान खरीदी की गई दवाईयों के व्यवहार को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के जिलाध्यक्ष पप्पू उर्फ मंगेश पाटील ने सीएस डॉ. निकम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये है. जिसके लिए विगत 3 फरवरी को जिला कोषागार कार्यालय की ओर से जारी एक पत्र को आधार बनाया गया है. इस पत्र में जिला कोषागार द्वारा जिला शल्य चिकित्सक से वर्ष 2015 से 2017 के दौरान हुई दवाईयों की खरीदी में पायी गयी त्रृटियों की ओर इंगित करते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है. इस पत्र को मनसे द्वारा सीएस डॉ. निकम की ओर से किये गये भ्रष्टाचार का आधार बनाया गया है.
इस पत्रकार परिषद में मनसे के जिलाध्यक्ष पप्पू पाटील ने कहा कि, जिला कोषागार कार्यालय द्वारा जिलाधीश के निर्देश पर सीएस डॉ. निकम से दवाईयों की खरीदी के कई मामलों व बिलों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है. इसके मुताबिक प्रतिवर्ष 1 लाख रूपये की अधिकतम मर्यादा रहने के बावजूद सीएस कार्यालय द्वारा 23 लाख 15 हजार 801 रूपयों के बिल पेश किये गये और 3 लाख से अधिक की खरीदी हेतु ई-निविदा अनिवार्य रहने के चलते निविदा को टालने हेतु दवाईयों की खरीदी अलग-अलग की गई. इसके अलावा जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय को हाफकीन बायोफार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन से ही दवाईयों व वैद्यकीय साहित्य की खरीदी करना अनिवार्य किया गया था. किंतु बावजूद इसके सीएस कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर दरों की जांच-पडताल किये बिना कुछ स्थानीय फार्मा एजेंसियों से दवाईयों की खरीददारी की गई. इसमें भी एक दवा विक्रेता फर्म द्वारा 30 सितंबर 2019 से 4 नवंबर 2020 तक की कालावधी में सारे बिल जिला सामान्य अस्पताल व सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के नाम पर ही फाडे गये. ऐसे में सवाल उठता है कि, इस कालावधी के दौरान संबंधित औषध विक्रेता द्वारा क्या केवल सीएस कार्यालय को ही दवाईयोें की आपूर्ति की गई.
इसके अलावा इस पत्रकार परिषद में कहा गया कि, विगत 31 मई को अपनी सेवानिवृत्ति रहने के चलते सीएस डॉ. निकम ने सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में तुरंत ऑक्सिजन जनरेटर प्लांट लगाने के लिए ई-निविदा को रद्द कर औरंगाबाद स्थित एरॉक्स टेक्नालॉजी नामक कंपनी को 1 करोड 19 लाख 80 हजार 865 रूपयों के ऑक्सिजन प्लांट का वर्कऑर्डर देने के साथ ही 70 फीसदी एडवांस पेमेंट भी कर दिया. जबकि कंपनी ने कोई एडवांस पेमेंट नहीं मांगा था और इसके लिए कोई पूर्व तैयारी भी नहीं की गई थी. साथ ही एडवांस पेमेंट देने के बावजूद एक महिना बीतने पर भी अब तक इस कंपनी ने ऑक्सिजन प्लांट नहीं लगाया है. वहीं दूसरी ओर जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मामला अब तक अनसुलझा है. सबसे बडा सवाल यह है कि, मुख्य लेखापाल सूरज गावंडे पर जारी वर्ष के फरवरी माह दौरान यवतमाल के अवधूतवाडी पुलिस थाने में स्वास्थ्य विभाग के साथ जालसाजी करने का मामला दर्ज रहने के बावजूद उसे वापिस इसी पद पर क्यों लिया गया? इस पत्रवार्ता में मनसे के जिलाध्यक्ष पप्पू पाटील सहित गौरव गादे, प्रवीण डांगे, मिना जुनघरे, संतोष बद्रे, राज पाटील व धीरज तायडे आदि उपस्थित थे.
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‘उस’ पत्र पर अधिकारिक स्पष्टीकरण दिया जा चुका
मनसे द्वारा लगाये गये आरोपोें के संदर्भ में जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम से प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर उन्होंने कहा कि, वर्ष 2015 से 2017 के दौरान दवाईयों की खरीदी और देयकों में पायी गई त्रृटियों को लेकर जिला कोषागार कार्यालय की ओर से जारी पत्र पर उनके कार्यालय द्वारा सिलसिलेवार विस्तृत जवाब दिया जा चुका है. जिससे जिलाधीश सहित जिला कोषागार अधिकारी भी संतुष्ट व समाधानी हुए है. ऐसे में अब ‘उस’ पत्र को लेकर किसी तरह का आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है. वहीं औरंगाबाद स्थित कंपनी को ऑक्सिजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने हेतु वर्क ऑर्डर देने और अग्रीम भुगतान करने का निर्णय जिलाधीश, जिप सीईओ, डीएचओ व सीएस कार्यालय द्वारा साथ मिलकर लिया गया तथा उक्त कंपनी को जिलाधीश के निर्देश पर जिप सीईओ की ओर से कुछ राशि का अग्रीम भुगतान किया गया, ऐसी जानकारी देते हुए सीएस डॉ. निकम ने कहा कि, यह भुगतान करने में खुद उनकी कोई भुमिका नहीं थी. अलबत्ता जिला सामान्य अस्पताल का प्रमुख होने के नाते वर्क ऑर्डर उनके ही हस्ताक्षर से जारी होना था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, रेमडेसिविर इंजेक्शन की चोरी और कालाबाजारी के मामले में लिप्त सभी आरोपी चिन्हीत हो चुके है तथा पुलिस अपना काम बिल्कुल सही ढंग से कर रही है और यह कार्रवाई खुद उनकी शिकायत पर ही हो रही है. यह बात बेसिरपैर के आरोप लगानेवालों ने भूलना नहीं चाहिए. सीएस निकम ने इन दिनों खुद पर लग रहे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि, वे ऐसे आरोपों पर ध्यान देने की बजाय अपने मरीजों के इलाज पर पूरा ध्यान केेंद्रीत कर रहे है और यहीं उनकी पहली प्राथमिकता है.