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27 वर्ष बाद भी ओबीसी का आरक्षण अनुशेष कायम

संसद में पेश शासकीय नौकरियों की आंकडों ने खोली पोल

अमरावती प्रतिनिधि/ दि.१९ – मंडल आयोग लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने अन्य पिछडा प्रवर्ग (ओबीसी) नागरिकों को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है. किेंतु प्रत्यक्ष में इसपर अमल नहीं हुआ है. इस प्रवर्ग के अकुशल कामगारों के पद भी 19.99 प्रतिशत पद ही नहीं भरे.
सुप्रीम कोर्ट व्दारा दी गई अस्थायी स्थगिति हटाने के बाद 1992 से मंडल आयोग की शिफारिशे लागू की गई. उसके बाद केंद्र सरकार की सेवा में और सार्वजनिक उपक्रम में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की केंद्र ने घोषणा की. उसके अनुसार 1993 से भर्ती प्रक्रिया में आरक्षित सीटें निश्चित की गई. किंतु आज तक किसी भी पद के लिए ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं भरा गया. जिससे ओबीसी का शासकीय नौकरी का अनुशेष कायम है. केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम में व्यवस्थापक, पर्यवेक्षक, कुशल कामगार व अकुशल कामगार श्रेणी के पद पर ओबीसी के पद रिक्त रखे गए है. केंद्र सरकार ने 1993 से 31 मार्च 2020 तक की जानकारी संसद के पटल पर रखी. उसमें से ओबीसी के शासकीय नौकरी के असंवेैधानिक हिस्से के धक्कादायक आंकडे सामने आये है. व्यवस्थापकीय पद पर आज तक 48 हजार 352 ओबीसी उम्मीदवार ज्वाईंन कर लिये गए है. यह केवल 19.50 प्रतिशत थे. पर्यवेक्षक के 20 हजार 729 पद भरे गए. यह पद 20.94 प्रतिशत थे. कुशल कामगार श्रेणी के पद पर 87 हजार 755 ओबीसी को नौकरी मिली. यह प्रतिशत 24.12 अकुशल कामगारों के 41 हजार 745 पद भरे गए. यह पद भी 27 प्रतिशत आरक्षण के अनुसार नहीं भरे गए. केवल 19.99 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. इस तरह पिछले 27 वर्ष में ओबीसी को सरकारी नौकरी के उनके अधिकार का 27 प्रतिशत आरक्षण मिला ही नहीं. ओबीसी के सभी पद जितने भरे गए उनका औसत 21.59 प्रतिशत था. इस संदर्भ में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने संसद के अन्य पिछडे प्रवर्ग के (ओबीसी) कल्याण समिति के अध्यक्ष गणेश सिंह को पत्र देकर ओबीसी का शासकीय नौकरी का अनुशेष पूर्ण करने का आह्वान किया है.

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