त्यौहारों पर तेल के दाम भडके
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मांग के साथ ही मालढुलाई का खर्च बढने का असर
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लगातार हो रही दरवृध्दि, आम लोगों का बजट बिगडा
अमरावती/प्रतिनिध दि.3 – विगत एक माह से खाद्य तेलों में दरवृध्दि कायम है और ऐन दशहरा व दीपावली जैसे पर्व के समय हो रही इस दरवृध्दि से आम लोगोें का आर्थिक बजट गडबडा रहा है. जहां एक ओर अनलॉक होने के बाद लंबे समय पश्चात बाजारपेठों में कुछ हद तक उत्साह दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर तेलों की लगातार बढती कीमतों की वजह से ग्राहकों की जेब खाली हो रही है. जानकारी के मुताबिक इस समय जहां एक ओर महिने की शुरूआत रहने के चलते बाजारों में किराना व खाद्यतेलों की मांग को लेकर स्वाभाविक तेजी है, वहीं दूसरी ओर महिने के बीचोंबीच पड रहे पांच दिवसीय दीपोत्सव के त्यौहार की वजह से दोगुनी तेजी देखी जा रही है. इसके अलावा इस समय त्यौहारों का सीझन रहने के साथ-साथ फसल कटाई व ढुलाई का सीझन रहने के चलते मालढुलाई की दरें भी बढी हुई है. इस वजह से भी तेल सहित शक्कर व अनाज जैसे कई किराना माल की दरों में इजाफा देखा जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि दीपावली पर्व पर सभी परिवारों में एक से बढकर एक व्यंजन बनाये जाते है और इस दौरान खाद्यतेलों की जबर्दस्त खपत होती है. इसमें भी विशेष रूप से सोयाबीन व फल्ली तेल की सर्वाधिक मांग होती है और सोयाबीन तेल का प्रयोग करनेवाले लोगों की संख्या अपेक्षाकृत तौर पर अधिक है. लेकिन इस समय इन दोनों खाद्यतेलों की कीमतों में जबर्दस्त उछाल है. विगत माह सोयाबीन तेल का 15 लीटर का डिब्बा 1 हजार 120 रूपये में बिक रहा था. जो इस समय 1 हजार 300 रूपये की दर के आसपास बिक रहा है. इसी तरह विगत माह फल्ली तेल का डिब्बा 2580 से 2670 रूपये की दर पर जा पहुंचा है. ऐसे में एक माह के दौरान सोयाबीन के तेल में करीब 200 रूपये व फल्ली तेल में करीब 100 रूपये प्रति डिब्बे की वृध्दि हुई है. तेल में लगातार हो रही दरवृध्दि की वजह से ग्राहकों के साथ-साथ दूकानदार भी त्रस्त हो गये है. क्योेंकि उन्हें इस बार दीपावली पर्व पर बिक्री कम होने का डर सता रहा है. वहीं विगत माह 15 लीटर सनफ्लॉवर तेल में 300 से 350 रूपयों की वृध्दि हुई थी और 1500 रूपये का डिब्बा 1850 रूपये की दर पर बिक रहा था. वहीं अब सनफ्लॉवर तेल के दामों में प्रति डिब्बा 100 रूपयों की कमी आयी है. होलसेल बाजार की इस स्थिति का असर फूटकर बाजार में भी देखा जा रहा है.
फिलहाल हालात व दाम स्थिर
इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर अमरावती होलसेल शूगर एन्ड ग्रेन मर्चंट एसो. के अध्यक्ष गोविंद सोमाणी ने बताया कि, इस बार बडे पैमाने पर सोयाबीन की फसल बर्बाद हुई है. साथ ही सरकार ने सोयाबीन तेल के आयात पर शुल्क बढा दिया है. इसके अलावा इन दिनों मालढुलाई की दरे भी बढी हुई है. जिसकी वजह से पिछले दिनों तेल बाजार में कुछ हद तक तेजी देखी गयी. लेकिन विगत आठ-दस दिनों से हालात काफी स्थिर है और बहुत जल्द हालात व दरें पूरी तरह से नियंत्रण में भी आ जायेंगे. इस समय गोविंद सोमाणी ने पर्व व त्यौहारों के समय किसी भी तरह की स्टॉकिंग या कालाबाजारी होने की बात से इन्कार करते हुए कहा कि, अमरावती के व्यापारियों ने कोरोना काल व लॉकडाउन जैसे आडे वक्त में भी अपने स्टॉक को पूरी तरह से खुला रखा और सामान्य दरों पर ही माल बेचा, ताकि किसी भी व्यक्ति को किसी तरह की तकलीफ या दिक्कत का सामना न करना पडे. ऐसे में त्यौहार के समय कोई जानबूझकर स्टॉक रोकते हुए भाव बढायेगा, ऐसी कोई संभावना नहीं है. वहीं उन्होंने तेलों की गुणवत्ता को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा कि, अमूमन सरकारी मानकों व नियमों के अनुरूप सोयाबीन तेल के साथ कॉटन सीड ऑईल व पाम ऑईल का मिश्रण किया जाता है. किंतु पाम ऑईल का मिश्रण ठंड के मौसम में नहीं बल्कि गर्मी के मौसम में होता है. वहीं इस समय कपास की नई फसल बाजार में आयी ही नहीं है. ऐसे में कॉटनसीड ऑईल का स्टॉक भी उपलब्ध नहीं है. जिसकी वजह से सोयाबीन तेल की गुणवत्ता बेहतरीन है.