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सेवा सह. सोसा. होगी कांटे की टक्कर
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क-१ व क-२ के चुनाव भी होते है महत्वपूर्ण
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शेष ५ आरक्षित सीटों पर पूरे जिले से होता है मतदान
अमरावती/प्रतिनिधि दि.४ -इस समय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव की सरगर्मियां चल रही है और २१ सदस्यीय संचालक मंडल के लिए १०० से अधिक इच्छुक प्रत्याशी मैदान में है. जिनके भविष्य का फैसला जिला बैंक में मताधिकार रहनेवाले १६८६ मतदाताओं द्वारा किया जायेगा.
अमूमन आम नागरिको का वास्ता स्थानीय निकायों के चुनाव से ही पडता है और सहकार क्षेत्र के चुनाव से आम लोगों का कोई लेना देना नहीं होता तथा सहकार क्षेत्र के चुनाव शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र से काफी अधिक जुडाव रखते है. आम धारणा यह है कि जिला बैंक में करीब १७०० मतदाता है. जिनके द्वारा अपने पसंदीदा पैनल के २१ संचालक चूने जायेंगे. किंतु यहां थोडा सा फर्क है. क्योंकि १४ संचालको का चुनाव उनके तहसील स्तर पर होता है. इसे सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र कहा जाता है और हर तहसील से एक निर्वाचन क्षेत्र के तहत एक संचालक चूनाज जाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र के तहत किसी भी तहसील में मतदाताओं की संख्या ५० से अधिक नहीं और कुछ तहसीलों में मतदाता संख्या ३० से भी कम है. ऐसे में हर तहसील से एक-एक संचालक की जीत हेतु सेवा सहकारी सोसायटी के एक-एक वोट का काफी अधिक महत्व होता है. साथ ही इस निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित होना बेहद प्रतिष्ठापूर्ण भी माना जाता है. इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इस बार इस निर्वाचन क्षेत्र से राज्य मंत्री बच्चू कडू सहित विधायक बलवंत वानखडे, पूर्व विधायक वीरेन्द्र जगताप के साथ ही राजनीतिक क्षेत्र के कई दिग्गज मैदान में है.
इसके अलावा क-१ यानी व्यक्तिगत निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत पूरे जिले से ६६६ मतदाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में बैंक के शेयर धारको, खरीदी विक्री संघ, जिनिंग व प्रेसिंग तथा दूध उत्पादक संघ के प्रतिनिधियों द्वारा मतदान किया जाता है. वहीं क-२ यानी नौकरी पेशा कर्मचारी सहकारी पतसंस्था गृह निर्माण संस्था मत्स्य उत्पादन सहकारी संस्था व अन्य सहकारी संस्था निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत ६६३ मतदाता है. इन दोनों निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र के संचालक का चयन करने हेतु मतदान करते है.
इसके साथ ही जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में एससी, विजेएनटी तथा ओबीसी संवर्ग से एक-एक संचालक चुने जाते है तथा महिलाओं हेतु दो सीटे आरक्षित होती है. इन पांच सीटों पर संचालको का चयन करने हेतु सभी मतदाताओं द्वारा मतदान किया जाता है. यानी हर मतदाता को अपने निर्वाचन क्षेत्र से खडे किसी एक प्रत्याशी का चयन करने के साथ साथ इन पांच आरक्षित सीटों पर खड़े प्रत्याशियों में से एक-एक प्रत्याशी हेतु अनिवार्य तौर पर मतदान करना पडता है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि जहां सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत हर प्रत्याशी को अपनी अपनी तहसील में एक-एक वोट को संभाले रखने हेतु भारी जद्दोजहद करनी पडती है. वहीं क-१ व क-२ निर्वाचन क्षेत्र अंतर्गत मताधिकार प्राप्त संस्थाओं के प्रतिनिधि व व्यक्ति मतदान करते है. इसके अलावा पांच आरक्षित सीटों के लिए जिला बैंक में मताधिकार प्राप्त हर मतदाता द्वारा मतदान किया जाता है. जिसके चलते इन पांच आरक्षित सीटों के प्रत्याशियों के जिले भर में फैले जिला बैंक के हर एक मतदाता तक पहुंचना होता है. हालाकि सभी २१ प्रत्याशी किसी पैनल का हिस्सा रहते है. ऐसे में संबंधित सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र तथा क-१ व क-२ के प्रत्याशियों द्वारा अपने पैनल से ५ आरक्षित सीटों से चुनाव लड रहे प्रत्याशियों का प्रचार भी किया जाता है.
बता दे कि जिला मध्यवती सहकारी बैंक में इससे पहले २३ सदस्यीय संचालक मंडल हुआ करता था. किंतु इस बार नये परीसीमन के पश्चात २१ सदस्यीय संचालक मंडल हेतु चुनाव कराया जा रहा है. करीब ११ वर्ष पश्चात होने जा रहे इस चुनाव के जरिए जहां बैंक के मौजूदा सत्तापक्ष द्वारा एक बार फिर अपने सहकार पैनल के जरिए बैेंक की सत्ता में वापसी करने का प्रयास किया जा रहा है. वही दूसरी ओर मौजूदा संचालको के विरोधियों द्वारा परिवर्तन पैनल के जरिए सत्ता अपने पास रखने का प्रयास शुरू कर दिया गया है.
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देशमुख व कडू फिर आमने-सामने
-अन्य कई दिग्गज ही मैदान में , सभी की प्रतिष्ठा लगी दांव पर
उल्लेखनीय है कि राज्यमंत्री बच्चू कडू तथा जिला परिषद अध्यक्ष बबलू देशमुख को एक दूसरे का कट्टर राजनीति प्रतिदंदी माना जाता है. दोनों ही चांदूर बाजार तहसील से वास्ता रखते है और इससे पहले अचलपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड चुके है. जिसमें बच्चू कडू विजयी रहे है. वहीं अब जिला बैंक की सत्ता पर विगत लंबे समय से एक छत्र राज कर रहे व जिला बैंक के अध्यक्ष रह चुके बबलू देशमुख को चांदुर बाजार सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र से राज्यमंत्री बच्चू कडू द्वारा चुनौती दी जा रही है. ऐसे में सभी की निगाहे इस निर्वाचन क्षेत्र की ओर लगी हुई है. वहीं दूसरी ओर दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे को मेलघाट के विधायक राजकुमार पटेल भी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड रहे है. साथ ही साथ दर्यापुर से बैंक के मौजूदा संचालक रहनेवाले सुधाकर भारसाकडे के खिलाफ अकोट के विधायक प्रकाश भारसाकडे द्वारा संचालक पद हेतु चुनाव लडा जा रहा है. ऐसे में इस चुनाव में कई दिग्गजों की मौजूदगी और कई दिग्गजों के एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लडे जाने की वजह से पूरे जिले की निगाहे इस चुनाव की ओर लगी हुई है और कुल मिलाकर ऐसे महसूस हो रहा है मानो जिला बैंक के नहीं बल्कि विधान परिषद के चुनाव होने जा रहे है.