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हर 9 घंटे में एक किसान आत्महत्या!

पश्चिम विदर्भ में लगातार भयावह है किसान आत्महत्या की स्थिति

  •  6 माह के दौरान 461 किसानों ने अपने हाथों ली अपनी जान

  •  कोरोना काल भी नहीं रोक पाया किसान आत्महत्याओं को

अमरावती/प्रतिनिधि दि.20 – पश्चिम विदर्भ क्षेत्र विगत कई वर्षों से किसान आत्महत्याओं के लिए बदनाम हो चुका है और तमाम सरकारी उपाययोजनाओें व राहत पैकेज के बावजूद संभाग में किसान आत्महत्याओं का दौर रोका नहीं जा सका. यहां तक की कोविड संक्रमण काल के दौरान जब सबकुछ बंद था, उस समय भी किसान आत्महत्याओं का दौर जारी था तथा आसमानी व सुलतानी संकट के चलते जारी वर्ष में जनवरी से जून माह के दौरान 461 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. विगत वर्ष इसी कालावधि के दौरान 500 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई थी. इन आंकडों को देखकर कहा जा सकता है कि, प्रत्येक 9 घंटे में एक और हर दो दिन में 5 किसान आत्महत्याएं हो रही है. यह अपने आप में काफी भयानक आंकडे है और भयावह स्थिति की तस्वीर पेश कर रहे है.
बता दें कि, कर्ज, फसलों की बर्बादी, प्राकृतिक आपदा, अकाल आदि की वजह से वर्‍हाड क्षेत्र के किसान काफी हैरान-परेशान हो गये है. अपना घर कैसे चलाये, बाल-बच्चों की पढाई-लिखाई और शादी कैसे करवाये, जैसे विभिन्न सवालों से जिले के किसान जूझ रहे है. फसलों की बर्बादी के दुष्चक्र में फंसे किसानों पर निजी साहूकारों का कर्ज लगातार बढता जा रहा है और प्रतिवर्ष खेतों से निकलनेवाली उपज के दम पर उत्पादन खर्च भी पूरा नहीं निकल पा रहा. ऐसे में धीरे-धीरे किसान धीरज खोने लगे है और वे अपने ही हाथों मौत को गले लगाने लगे है.

  •  6-6 माह से जिला समिती की बैठक नहीं

राज्य में सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं अमरावती संभाग में होती है. ऐसे में सरकार द्वारा किसान आत्महत्याग्रस्त जिलों के लिए कई योजनाएं जारी की गई है. जिनके प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला समिती गठित की गई है. किंतु इस जिला समिती की बैठक 6-6 माह तक नहीं होती. जिसे किसान आत्महत्याओं को लेकर प्रशासन की अनास्था ही कहा जा सकता है और इस अनास्था की वजह से सही व जरूरतमंद किसानों तक सरकारी सहायता समय पर नहीं पहुंच पाती. जिससे क्षेत्र के किसान काफी संकट में फंसे हुए है.

  •  वर्ष 2001 से 16,848 किसान आत्महत्या

अमरावती संभाग में 1 जनवरी 2001 से किसान आत्महत्याओं की जानकारी राजस्व विभाग द्वारा दर्ज करनी शुरू की गई. जिसके मुताबिक अब तक 16 हजार 848 किसान आत्महत्या के मामले दर्ज किये जा चुके है. जिसमें से 7 हजार 565 मामलों में आत्महत्याग्रस्त किसान परिवारों को सरकारी सहायता प्रदान की गई और 8 हजार 973 मामलों को सरकारी सहायता हेतु अपात्र घोषित किया गया. वहीं 390 मामले अब भी जांच के लिए प्रलंबित है.

  •  किसान आत्महत्याओं की स्थिति

महिना     2019      2020      2021
जनवरी       277         83         78
फरवरी         73          97         72
मार्च            82          59         89
अप्रैल          71           51         64
मई             91         116         75
जून            81           94         82
कुल         475        500        460

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