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वर्मा व सोनी से हुआ एक किलो सोना जप्त

यूनियन बैंक घोटाला मामले में हुई बडी रिकवरी

दो स्वर्णकारों सहित सभी 6 आरोपियों से चल रही पूछताछ
अमरावती-दि.29 राजापेठ पुलिस थानांतर्गत बडनेरा रोड स्थित यूनियन बैंक ऑॅफ इंडिया में ग्राहकों द्वारा गिरवी रखे गये असली सोने को बदलकर उसके बदले लॉकरोें में नकली सोने के आभूषण रखने और 22 फर्जी खाताधारकों के नाम पर नकली सोने के आभूषण गिरवी रखकर बैंक से कर्ज हासिल करने का मामला विगत दिनों उजागर हुआ था. इस मामले में बैंक सहित बैंक के खाताधारकों को करीब पौने दो करोड रूपयों का चुना लगाया गया था. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए दो सराफा व्यवसायियों सहित कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया. जिनमें बैंक के पूर्व मैनेजर, असिस्टंट मैनेजर व एक कर्मचारी के साथ ही एक बाहरी व्यक्ति का समावेश है. वहीं अब दो सराफा व्यवसायियों की निशानदेही पर आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने करीब 1 किलो सोना भी जप्त किया है. हालांकि दोनो सुवर्ण व्यवसाईयों द्वारा इतनी आसानी के साथ सोने की रिकवरी करवा दिये जाने के चलते सोने की गुणवत्ता को लेकर कुछ संदेह जताया जा रहा है.
बता दें कि, दो दिन पूर्व ही आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने शेखर वर्मा व ओमप्रकाश सोनी नामक दो सराफा व्यापारियों को अपनी हिरासत में लिया था. जिनसे पीसीआर के दौरान पूछताछ करने के साथ ही आर्थिक अपराध शाखा पुलिस का एक दल आज इन दोनों सुवर्णकारों को अपने साथ लेकर कहीं बाहर भी निकला था. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि, संभवत: इन दोनों सुवर्णकारों ने अदला-बदली किये गये सोने के बारे में आर्थिक अपराध शाखा पुलिस को कोई महत्व जानकारी दी है और उनकी निशानदेही पर अब अदला-बदली किये गये सोने को जप्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. यह कयास कल देर रात उस समय सही साबित हुआ, जब आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने बजरंगलाल छोटेलाल वर्मा (कुलथीया) नामक सराफा प्रतिष्ठान के संचालक शेखर वर्मा और सुवर्ण व्यवसायी ओमप्रकाश सोनी की निशानदेही पर करीब 1 किलो सोने की बरामदगी की.
ज्ञात रहे कि, करीब ढाई करोड रूपये मूल्य के 5 किलो 400 ग्राम सोने की अदलाबदली और अफरातफरी के इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा पुलिस द्वारा विगत सोमवार 19 सितंबर की शाम बैंक के तत्कालीन शाखा व्यवस्थापक जतीन प्रेमचंद कुंद्रा (34, अजमेर, राजस्थान) सहित गौरव पुरूषोत्तम शिंदे (42, महादेव खोरी), पवन अरूण पारेकर (34, हमालपुरा) तथा सतीश भोजने (36, हमालपुरा) ऐसे कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. जिन्हें उस समय अदालत में पेश किये जाने पर चारों आरोपियों को 26 सितंबर तक पुलिस कस्टडी रिमांड में रखने का आदेश जारी हुआ था. ऐसे में पीसीआर की अवधि खत्म होने पर चारों आरोपियों को एक बार फिर कोर्ट के सामने पेश किया गया. जहां पुलिस की मांग को स्वीकार करते हुए अदालत ने चारों आरोपियों के पीसीआर की अवधि को तीन दिनों के लिए बढा दिया. ऐसे में अब चारों आरोपी 29 सितंबर तक पुलिस की कस्टडी में रखे गये. वहीं दो दिन पूर्व पुलिस के हत्थे चढे शेखर वर्मा व ओमप्रकाश सोनी नामक दो सराफा व्यवसायियों को भी अदालत ने 29 सितंबर तक पुलिस कस्टडी रिमांड में रखने का आदेश जारी किया था. ऐसे में सभी 6 आरोपियों से आर्थिक अपराध शाखा द्वारा एक साथ पूछताछ की गई और पुलिस को इस पूछताछ में कुछ पुख्ता जानकारी व सबूत भी प्राप्त हुए.
* ऐसे सामने आया था पूरा मामला
बता दें कि, स्थानीय अकोली रोड परिसर के आंचल विहार कालोनी में रहनेवाले उज्वल मलसने नामक व्यक्ति ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में अपना 100 ग्राम सोना गिरवी रखते हुए उस पर 3.30 लाख रूपयों का कर्ज लिया था और कर्ज की किश्त अदा करने के बाद जब बैंक में गिरवी रखे अपने सोने के आभूषण वापिस लिये, तो पता चला कि, उसे बैंक द्वारा नकली सोने के आभूषण दिये जा रहे है. ऐसे में उज्वल मलसने द्वारा बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों पर अपने साढे पांच लाख रूपये मूल्यवाले असली सोने के गहने हडप लिये जाने का आरोप लगाते हुए राजापेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करायी गई थी. जिसके आधार पर राजापेठ पुलिस ने 12 अगस्त को बैंक के स्थानीय प्रबंधन के खिलाफ जालसाजी का मामला दाखिल किया था. पश्चात इस बैंक के और भी कुछ कर्जधारकों की ओर से बैंक प्रबंधन के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं को लेकर शिकायतें मिलनी शुरू हो गई थी. ऐसे में मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई. वहीं खुद बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर बैंक का ऑडिट करवाना शुरू किया. जिसमें पता चला कि, बैंक के कई लॉकरों में रखे असली सोने के आभूषणों को गायब करते हुए वहां पर नकली सोने के आभूषण रखे गये है. यह जानकारी सामने आते ही बैंक के लॉकरधारकों व गोल्ड लोन कर्जधारकों में हडकंप मच गया. साथ ही सबसे सनसनीखेज जानकारी तो यह थी कि, गोल्ड लोन से संबंधित 22 मामले ऐसे है, जिनमें कोई कर्जधारक ही नहीं है. यानी जिन नामों पर कर्ज आवंटित दिखाया गया है, उस नाम के किसी व्यक्ति ने बैंक से कर्ज ही नहीं लिया है और उस व्यक्ति के नाम पर नकली सोने के आभूषण को गिरवी दर्शाते हुए बैंक द्वारा कर्ज भी आवंटित कर दिया गया. जाहीर है कि, बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा करना संभव ही नहीं है. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक को उसकी ऑडिट रिपोर्ट मंगवायी और अब ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त होते ही बैंक के तत्कालीन शाखा व्यवस्थापक सहित चार कर्मचारियों को जांच हेतु अपनी हिरासत में लिया है.
* 22 फर्जी कर्जधारकों के नाम पर नकली सोना गिरवी रखकर निकाला कर्ज
पुलिस सूत्रों के मुताबिक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में कुल 59 लॉकर्स में से 5,400 ग्राम नकली सोना बरामद हुआ है. जिसमें से 37 लॉकर्स ऐसे है जिनमें 37 ग्राहकों द्वारा गोल्ड लोन प्राप्त करने हेतु गिरवी रखे गये 2,700 ग्राम असली सोने के गहने रखे हुए थे और कर्ज की अदायगी के बाद इन गहनोें को वापिस लौटाना है. लेकिन अब इन 37 लॉकर्स में से नकली सोने के आभूषण बरामद हुए है. ऐसे में गोल्ड लोन कर्जधारकों में हडकंप व्याप्त है. वहीं शेष 22 लॉकर्स में से भी 2,700 ग्राम नकली सोना बरामद हुआ है. सर्वाधिक हैरत की बात यह है कि, यह सोना जिन कर्जधारकों की ओर से गिरवी दर्शाया गया है, उन खाताधारकों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से अपना कोई सोना गिरवी रखते हुए कर्ज ही नहीं लिया और उन्हें यह पता ही नहीं है कि, उनके नाम पर कोई कर्ज भी आवंटित है. जिसका ब्याज उनके सिर पर चढ रहा है. यानी बैंक से वास्ता रखनेवाले कुछ अधिकारियोें व कर्मचारियों ने जहां एक ओर बैंक के 37 कर्जधारक ग्राहकों का असली सोना हडप करते हुए उनके साथ जालसाजी की. वहीं दूसरी ओर 22 ग्राहकों के नाम फर्जी तरीके से लोन केस बनाकर बैंक के लॉकर में नकली सोना रखते हुए कर्ज की राशि हासिल कर उसे आपस में बांट लिया और इस जरिये अपनी ही बैंक को चुना लगाया.

* रिकवरी ऐतिहासिक
अमरावती सराफा बाजार के सूत्रों ने एक किलो सोने की रिकवरी होने की स्थिति में इसे ऐतिहासिक बताया और कहा कि, आज तक एक ही प्रकरण में अमरावती में इतनी बडी रिकवरी कभी नहीं दी गई. यह भी उल्लेखनीय है कि, कुछ वर्ष पूर्व लफडे के सोने-चांदी की रिकवरी के लिए सराफा एसो. की बाकायदा विजिलंस कमिटी रहती. उसकी उपस्थिति में संबंधित पुलिसकर्मी – अधिकारी उस स्वर्णकार अथवा व्यापारी से कीमती धातु रिकवर करते. बाकायदा धरमकाटा की वजन की पर्ची भी रहती है और पंचों के दस्तखत लिये-दिये जाते.

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