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म्युकर मायकोसिस के इलाज हेतु इंजेक्शन की चल रही किल्लत

 ‘एम्फोटेरिसिन’ की आपूर्ति है अनियमित

  •  मरीज संख्या की तुलना में इंजेक्शन पड रहे कम

  •  अब तक 152 संक्रमित पाये जा चुके, 10 की हुई मौत

  •  66 को मिला डिस्चार्ज, 86 का चल रहा इलाज

अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 – डायबिटीज व हाई बीपी जैसी बहुविध बीमारियों से पीडित नागरिकोें में कोविड मुक्त होने के बाद म्युकर मायकोसिस नामक फंगल इंफेक्शन होने का खतरा काफी बडे पैमाने पर देखा जा रहा है और जिले में अब तक ब्लैक फंगस नामक इस बीमारी से संक्रमित 152 मरीज पाये जा चुके है. जिसमें से अब तक 10 मरीजों की इस इंफेक्शन के चलते मौत हो चुकी है. वहीं 66 मरीजों को शल्यक्रिया के बाद ठीक हो जाने पर अस्पतालों से डिस्चार्ज मिला. साथ ही इस वक्त 86 मरीज विभिन्न अस्पतालों में भरती रहकर अपना इलाज करवा रहे है. किंतु इन मरीजों के इलाज हेतु बेहद आवश्यक रहनेवाले एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की काफी किल्लत देखी जा रही है. जिसकी वजह से जहां एक ओर म्युकर मायकोसिस से पीडित मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है, वहीं दूसरी ओर इंजेक्शन की किल्लत के चलते मरीजों का इलाज करनेवाले डॉक्टरों को भी काफी दिक्कतें झेलनी पड रही है.
बता दें कि, ब्लैक फंगस के नाम से जानी जाती म्युकर मायकोसिस नामक बीमारी इन दिनों काफी अधिक चर्चा में है. हालांकि यह फंगल इंफेक्शन कोविड संक्रमण काल के पहले भी अस्तित्व में हुआ करता था. किंतु इसके इक्का-दूक्का मामले ही सामने आते थे. लेकिन कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के बाद डायबिटीज, अस्थमा व हाई बीपी से पीडित मरीजोें के इस बीमारी के चपेट में आने का प्रमाण काफी अधिक बढ गया.

  •  काफी महंगा होता है इलाज

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह फंगस नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है और साईनस यानी श्वसन तंत्रिका में चिपककर खुद को विकसित करना शुरू करता है. जहां से यह धीरे-धीरे आंखों और मस्तिष्क की ओर बढना शुरू करता है. सायनस में रहते समय नाक व जबडे की हड्डियों को खाने की क्षमता रखनेवाला यह फंगस जैसे ही आंखों के पास पहुंचता है, तो आंखों को पूरी तरह से खराब कर देता है और आंखों की रोशनी चली जाती है. साथ ही जब यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक अपनी पहुंच बनाता है, तो संक्रमित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है. इसके साथ ही इस बीमारी के इलाज पर होनेवाला खर्च भी काफी अधिक होता है. इस बीमारी की शल्यक्रिया काफी जटिल व महंगी रहने के साथ ही मरीज को दिये जानेवाले इंजेक्शन व दवाईया भी काफी महंगे होते है. इन इंजेक्शनों में एम्फोटेरिसिन नामक इंजेक्शन को सबसे कारगर व महत्वपूर्ण माना जाता है.

  • जिला प्रशासन के नियंत्रण में हो रहा इंजेक्शन का वितरण

किंतु इस समय समूचे देश में एम्फोटेरिसिन नामक इंजेक्शन की भारी किल्लत चल रही है और इस इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो, इस बात के मद्देनजर राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला प्रशासन को इस इंजेक्शन की खेप उपलब्ध करायी जा रही है और जिलाधीश स्तर पर जिलाधीश के नियंत्रण में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के जिला समन्वयक द्वारा सरकारी सहित अलग-अलग निजी अस्पतालों में भरती मरीजों की आवश्यक जांच-पडताल करने के बाद जरूरत के लिहाज से इंजेक्शन की आपूर्ति की जा रही है. किंतु इन दिनों जिले में म्युकर मायकोसिस पीडित मरीजों के लिए रोजाना जितने इंजेक्शनों की जरूरत पड रही है, उसकी तुलना में आपूर्ति बेहद कम है. जानकारी के मुताबिक परसों जिला प्रशासन को एम्फोटेरिसिन के 300 इंजेक्शन की खेप प्राप्त हुई थी. वहीं आज प्रशासन के पास इंजेक्शन का एक भी डोज उपलब्ध नहीं है और प्रशासन द्वारा उम्मीद की जा रही है कि, आज शाम तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से नई डोज प्राप्त हो जायेगी. जो म्युकर मायकोसिस से पीडित मरीजों हेतु उपलब्ध करायी जायेगी.

 

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  •  आज नया स्टॉक मिलने की उम्मीद

इस समय एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन को लेकर काफी किल्लत का सामना करना पड रहा है. जिला सामान्य अस्पताल में इस वक्त म्युकर मायकोसिस से पीडित 30 मरीज भरती है. वहीं इससे पहले 15 मरीजों की सफलतापूर्वक शल्यक्रिया करते हुए उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज दे दिया गया. उम्मीद है कि, आज शाम तक एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की नई खेप प्राप्त हो जायेगी. इस समय हमारे पास केवल आज की जरूरत के हिसाब से ही इंजेक्शन का स्टॉक उपलब्ध है. यदि आज नया स्टॉक नहीं मिलता है, तो काफी परेशानी व दिक्कत हो सकती है.
डॉ. श्यामसुंदर निकम
जिला शल्य चिकित्सक

 

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बेहद खतरनाक और जानलेवा रहनेवाली इस बीमारी की चपेट में इन दिनों कोविड मुक्त होनेवाले बहुविध बीमारियों से पीडित मरीज बडे पैमाने पर आ रहे है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही बीमारी की चपेट में आ चुके मरीजों का इलाज करने हेतु प्रशासन द्वारा तमाम आवश्यक कदम उठाये जा रहे है. किंतु इस समय बीमारी के इलाज में बेहद आवश्यक रहनेवाले एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की काफी किल्लत चल रही है और आपूर्ति भी अनियमित है. बावजूद इसके जो भी स्टॉक सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है, उसमें से म्युकर मायकोसिस से पीडित मरीजों के इलाज हेतु जरूरत के मुताबिक इंजेक्शन मुहैय्या कराये जा रहे है. साथ ही जिले की जरूरत के लिहाज से इंजेक्शन प्राप्त करने हेतु राज्य सरकार से लगातार संपर्क भी किया जा रहा है.
डॉ. सचिन सानप
जिला समन्वयक, पीएम जनआरोग्य योजना

  •  52 मरीजों का चल रहा नि:शुल्क इलाज

म्युकर मायकोसिस नामक बीमारी का इलाज काफी महंगा होता है. इस बीमारी हेतु आवश्यक एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की कीमत 6 हजार रूपये होती है और इस इंजेक्शन के करीब 6 डोज लेने पडते है. वहीं शल्यक्रिया की नौबत आने पर 4 से 5 लाख रूपये खर्च होना अपेक्षित होता है. साथ ही अन्य दवाईयां भी काफी महंगी होती है. ऐसे में इस बीमारी पर होनेवाला खर्च सीधे 6 से 7 लाख रूपये के आसपास पहुंच सकता है. सर्वसामान्य एवं मध्यमवर्गीय स्थितिवाले मरीजों के लिए इलाज पर इतनी अधिक राशि खर्च करना लगभग असंभव है. इस बात के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा म्युकर मायकोसिस की बीमारी को महात्मा ज्योतिबा फुले जनआरोग्य योजना में शामिल किया गया. इस योजना के तहत अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल, सुपर स्पेशालीटी अस्पताल, पीडीएमसी अस्पताल तथा बेस्ट हॉस्पिटल में इस बीमारी के नि:शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. विगत 22 मई से शुष की गई इस सुविधा के चलते इन सभी अस्पतालों में इस समय म्युकर मायकोसिस से पीडित 52 मरीजों का नि:शुल्क इलाज जारी है. ऐसी जानकारी भी पीएम जन आरोग्य योजना के जिला समन्वयक डॉ. सचिन सानप द्वारा दी गई है. साथ ही उन्होंने कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके सभी लोगों से कोविड त्रिसूत्री नियमों का पालन करते हुए अपने स्वास्थ्य का खयाल रखने तथा म्युकर मायकोसिस की बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही नेत्र व ईएनटी विशेषज्ञ से अपनी स्वास्थ्य जांच कराने का आवाहन किया. इसके अलावा उन्होंने कमजोर आर्थिक स्थितिवाले लोगों से म्युकर मायकोसिस की चपेट में आने पर महात्मा फुले जन आरोग्य योजना में शामिल अस्पतालों में भरती होकर अपना नि:शुल्क इलाज कराने की भी सलाह दी है.

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