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घातक हो सकता है दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार

 शहर के केमिस्टों व ड्रगिस्टों ने दी राय

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१९ – विगत लंबे समय से दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार कर रही कंपनियों द्वारा दवाईयों की घरपहुंच सेवा दिये जाने के खिलाफ स्थानीय केमिस्ट व ड्रगिस्ट एसो. की ओर से आवाज उठायी जा रही है. किंतु ऐसे तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए अब ऍमेझॉन जैसी मल्टी नैशनल कंपनी को भी दवाईयों का ऑनलाईन व्यवसाय करने की छूट मिल गयी है. ऐसे में अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे दवाईयों की ऑर्डर ऍमेझॉन पर भेज सकेगा और ऍमेझॉन द्वारा संबंधित व्यक्ति को घर पहुंचे दवाई उपलब्ध करायी जायेगी. किंतु अन्य वस्तुओं की तुलना में दवाईयों का यह ऑनलाईन व्यापार और घर पहुंच सेवा काफी हद तक खतरनाक साबित हो सकते है, क्योेंकि कई दवाईयां ऐसी होती है, जिन्हें शेड्यूल एच यानी प्रतिबंधक श्रेणी में रखा जाता है और इन दवाईयों की डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन के बिना बिक्री नहीं की जाती. साथ ही कई दवाईयोें के मामलों में मेडिकल स्टोरवाले डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्शन को अपने पास ही जमा रख लेते है, ताकि उस प्रीस्क्रीप्शन के आधार पर उस दवाई को दुबारा ना खरीदा जा सके. इसके साथ ही प्रीस्क्रीप्शन पर दर्ज तारीख एवं डोज की मात्रा को ध्यान में रखते हुए ही उन दवाईयों की दोबारा बिक्री नहीं की जाती, लेकिन दवाईयों के ऑनलाईन कारोबार में इस तरह की ऐहतियात कितने प्रामाणिक तरीके से बरती जायेगी, इसे लेकर काफी संदेह है. इसे आधार मानते हुए स्थानीय केमिस्टों व ड्रगिस्टों सहित फार्मासिस्टों का कहना रहा कि, इस तरह से दवाईयों का बाजार अनियंत्रित हो जायेगा. जिसके काफी घातक परिणाम भी सामने आ सकते है. ऐसे में दवाईयों के ऑनलाईन व्यापार को तुरंत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, विगत लंबे समय से कई छोटी-बडी कंपनियां दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार कर रही है. वहीं अब ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अच्छाखासा दखल रखनेवाली ऍमेझॉन नामक मल्टीनैशनल कंपनी को भी दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार करने की अनुमति मिल गयी है. ऐसे में अब कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की दवा को ऑनलाईन तरीके से ऑर्डर करते हुए मंगवा सकता है. जिसके संदर्भ में दवा कारोबारियों ने अंदेशा जताया कि, चूंकि कई दवाईयों की आम व खुली बिक्री नहीं की जाती. साथ ही कई दवाईयों के साईड इफेक्ट भी हो सकते है. इसके अलावा अपने विशेष गुणधर्म की वजह से कई दवाईयोें का नशे के तौर पर भी प्रयोग हो सकता है. ऐसे में यदि दवाईयों के कारोबार को ऑनलाईन कर दिया गया, तो इसके बेहद घातक परिणाम सामने आ सकते है. अत: दवाईयों का अन्य आम वस्तुओं की तरह ऑनलाईन व्यापार नहीं होना चाहिए.

 

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 बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पडता है

दवाईयों के मामले में इनग्रेडियंटस्, मॉलीक्यूल्स तथा तापमान जैसी बातें काफी मायने रखती है. कई दवाईयों को एक निश्चित तापमान में ही रखना जरूरी होता है. अन्यथा उनके असर पर प्रभाव पड सकता है. इसी तरह हर मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्ट की देखरेख में ही दवाईयों की बिक्री करना जरूरी होता है. इसके अलावा सभी मेडिकल स्टोर पर डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी पर्ची को अनिवार्य रूप से देखा जाता है. जिसके बाद मरीज के लिए दवा उपलब्ध करायी जाती है. इसके अलावा सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, अस्पताल या दवाखाने से चेकअप करवाकर बाहर निकलने के बाद आप तुरंत ही किसी भी मेडिकल स्टोर से दवाई खरीदकर अपना औषधोपचार शुरू कर सकते है, लेकिन दवाईयों के ऑनलाईन कारोबार में जहां एक ओर दवाईयों की बिक्री के मामले में कई नियमों व मानकों की अनदेखी होगी. वहीं दूसरी ओर ऑनलाईन ऑर्डर देने के बाद दवाईया मिलने में तीन से चार दिन का समय भी लगेगा. साथ ही डिलेवरी बॉय द्वारा लाकर दी गई दवाई वाकई में असरकारक है अथवा नहीं, इसकी तसदीक करने का भी कोई पर्याय नहीं रहेगा. ऐसे में हर लिहाज से दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार लोगों की सेहत के हिसाब से खतरनाक साबित हो सकता है.
– भारती मोहोकार
फार्मासिस्ट

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हमारे नुकसान से ज्यादा लोगों की सुरक्षा जरूरी

ऑनलाईन व्यापार में हर तरह के रिटेल कारोबारियों का कबाडा कर रखा है. दवाईयों का ऑनलाईन कारोबार काफी पहले से कुछ छोटी-मोटी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. जिसके बारे में हम लगातार आवाज उठा रहे है. किंतु सरकार इन बातों पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है. वहीं अब बडी मल्टीनैशनल कंपनियों को भी ऑनलाईन दवा बिक्री की अनुमति दे दी गई है. जिसके घातक परिणाम निकट भविष्य में दिखाई दे सकते है. दवाईयों का व्यवसाय केवल लाभार्जन से नहीं जुडा हुआ है. बल्कि इसमें एक तरह का सेवाभाव भी है और इस व्यवसाय में मुसिबत के समय किसी मरीज की जान बचाने हेतु काम आने की भावना अंर्तनिहित होती है. किसी व्यक्ति का इलाज जारी रहते समय उसके परिजन जितना विश्वास डॉक्टरों पर रखते है, उतना ही विश्वास मेडिकल स्टोरवालों पर भी रखा जाता है. लेकिन यदि दवाईयां ऑनलाईन ऑर्डर पर घरपहुंच आने लग जाये, तो भरोसे की यह कडी टूट जायेगी. साथ ही इस बात की भी कोई गारंटी नहीं रहेगी कि, जो दवाईयां घर पहुंच सेवा के तहत मिल रही है, वे कारगर है अथवा नहीं. इसके अलावा सभी तरह की दवाईयों तक लोगों की पहुंच बेहद आम हो जाने के बाद कौन किस मात्रा में किस तरह की दवाई खरीद रहा है और उसका क्या उपयोग कर रहा है, इसके तरफ भी किसी का ध्यान नहीं जायेगा. यह अपने आप में काफी खतरनाक हो सकता है.
– सुरेश जैन
अध्यक्ष, अमरावती महानगर चेेंबर

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