अमरावतीमुख्य समाचार

शहर में मात्र २१८ फेरीवालों को ही मिला स्वनिधी योजना का लाभ

  •  दस्तावेजों की आ रहीं बडे पैमाने पर दिक्कतें

  •  योजना के लक्ष्य को हासिल करने ‘दूर की कौडी’

अमरावती/प्रतिनिधि दि.4 – लॉकडाउन काल के दौरान कई फेरीवालों के व्यवसाय पूरी तरह से बर्बाद हो गये और उन्हें बेरोजगार रहते हुए भूखमरी तक का सामना करना पडा. ऐसे में वे दोबारा अपने पैरों पर खडे रह सके और नये सिरे से अपना व्यवसाय शुरू कर सके. इस बात के मद्देनजर केंद्र सरकार ने देश के सभी महानगरों में प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना को क्रियान्वित किया है. लेकिन आवश्यक दस्तावेजों का अभाव रहने के चलते कई पात्र लाभार्थी रहनेवाले फेरीवालों के लिए यह निधी ‘दूर की कौडी’ साबित हो रही है, और उन्हें 10 हजार रूपये का कर्ज मिलना मुश्किल दिखाई दे रहा है.
बता दें कि, अमरावती मनपा की सूची में शहर के 3 हजार 432 पात्र लाभार्थियों की जानकारी दर्ज है. जिसमें से केवल 218 लाभार्थियों को ही विविध बैंकों के जरिये कर्ज उपलब्ध कराया गया है. इसके अलावा अन्य पंजीकृत फेरीवालों के साथ-साथ कई फेरीवाले ऐसे भी है, जिनका पंजीयन ही नहीं हुआ है और वे इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु अपना पंजीयन कराने के लिए मनपा कार्यालय में लगातार चक्कर मार रहे है.
ज्ञात रहें कि, जून माह में प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना घोषित की गई. इस योजना का प्रत्यक्ष काम जुलाई माह तक होना अपेक्षित था. लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार सहित स्थानीय मनपा प्रशासन द्वारा इसमें कोई खास कार्य नहीं किया जा सका. लॉकडाउन की शर्ते शिथिल होने के बाद शहर के सभी रास्तों पर पहले की तरह फेरीवालों की भीडभाड दिखाई देने लगी. उलटे पहले की तुलना में फेरीवालों की संख्या बढ गयी. साथ ही इन दिनों पर्व व त्यौहारों का सीझन रहने के चलते शहर के सभी चौक-चौराहों और रास्तों को किनारे बडी संख्या में फेरीवाले दिखाई देने लगे है और उन्होंने अपने स्तर पर जैसे जैसे अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसों का जुगाड करते हुए अपना कामकाज शुरू किया है. ऐसे में यदि इन फेरीवालों को प्रधानमंत्री स्वनिधी योजना के जरिये कर्ज मिलता है, तो वे एक बार फिर नई ताकत के साथ अपना व्यवसाय कर सकते है, लेकिन इस योजना के कडे नियमों व शर्तों के साथ ही योजना के लाभ हेतु कई तरह के दस्तावेजों की जरूरत की वजह से अधिकांश फेरीवाले इस योजना का लाभ पाने से वंचित है.
पता चला है कि, इस योजना के तहत फेरीवालों का चार श्रेणियों में वर्गीकरण किया गया है. जिसके तहत अ व ब गट में लाईसेन्सधारक तथा वर्ष 2014 के सर्वेक्षण की पावती रहनेवाले लोगों का ही समावेश है और उन्हें ही इस योजना का लाभ देने का प्रयास है. वहीं क व ड श्रेणी में शामिल रहनेवाले फेरीवालोें के पास किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं है. हालांकि वे शहर के विभिन्न इलाकोें में फेरी लगाते हुए विभिन्न तरह के साहित्य की बिक्री करते है. ऐसे में इन फेरीवालों की ओर भी ध्यान दिये जाने की सख्त जरूरत है.

Prashant-Rode-Amravati-Mandal

हॉकर्स सबूत ही नहीं दे पाते

इस योजना के तहत लाभ पाने के इच्छूक व्यक्ति को इस बात का सबूत देना होता है कि, वे फेरीवाले है, लेकिन कई हॉकर्स के पास इससे संबंधित दस्तावेज या सबूत नहीं है. यहीं पर असली समस्या है. फेरीवालों ने दंड की पावतियों सहित अपने दस्तावेजोें को संभालकर रखने की आदत नहीं होती. लेकिन हम सभी को लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे है और किसी भी पात्र लाभार्थी को लाभ से वंचित नहीं रखा जायेगा.
प्रशांत रोडे
निगमायुक्त, अमरावती

chetan-gawande-amravati-mandal

नोडल अधिकारी व बैंक अधिकारियों की बैठक लेंगे

पंजीयन की प्रक्रिया ऑनलाईन रहने की वजह से कुछ तकनीकी दिक्कते है. लेकिन फिर भी इस योजना का लाभ हर एक फेरीवाले को दिलाने हेतु योजना के नोडल अधिकारी व बैंक अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए चर्चा की जायेगी और जल्द से जल्द इस काम को गतिमान किया जायेगा.
चेतन गावंडे
महापौर, अमरावती मनपा

सर्वे अनुसार 3432 पंजीकृत लाभार्थी

मनपा के सर्वे अनुसार उनकी सूची में शहर के 3 हजार 432 लाभार्थियों के नाम दर्ज है. जिन्हें इस योजना का लाभ देने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन उसके अलावा शहर में ऐसे सैंकडों हॉकर्स है, जिनके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि, वे फेरीवाले है और सडके के किनारे खडे रहकर अपना व्यवसाय करते है. इन लोगों के पास मनपा के अतिक्रमण अथवा बाजार परवाना विभाग की ओर से किये गये दंड की पावती भी नहीं है. जिसकी वजह से ये सभी लाभार्थी कर्ज की रकम से वंचित है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, मनपा को 7 हजार 700 लाभार्थियों को कर्ज देने का लक्ष्य दिया गया है. किंतु मनपा के पास केवल 3 हजार 432 लाभार्थियों के नाम दर्ज है. जिसमें से अब तक केवल 218 लाभार्थियों को ही इस योजना का लाभ दिया गया है.

कर्ज नहीं, अनुदान चाहिए

कई फेरीवालों को कर्ज नहीं बल्कि अनुदान चाहिए है. लेकिन सरकार अनुदान देने के लिए तैयार नहीं है. कोरोना के कहर व लॉकडाउन की वजह से कई लोगों के व्यवसाय ठप्प हो गये है. ऐसे में वे नये सिरे से अपने पैरों पर खडे हो पाये. इस हेतु यह योजना शुरू की गई है. लेकिन दस्तावेजों के अभाव में कई फेरीवालों को इस योजना का लाभ मिलना संभव नहीं है. इस योजना का लाभ पाने हेतु कई लोग मनपा के चक्कर काट रहे है, लेकिन इसका कोई फायदा होता नहीं दिख रहा. साथ ही कई फेरीवालों का कहना है कि, उन्हें कर्ज नहीं बल्कि अनुदान चाहिए है. क्योंकि कर्ज की अदायगी करने लायक व्यवसाय होगा अथवा नहीं, इसे लेकर फिलहाल कुछ भी तय नहीं है.

Related Articles

Back to top button