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केवल विधानसभा अध्यक्ष को है विधायकों को अपात्र ठहराने का अधिकार

विस अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने दिया बडा बयान

* सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर लगाया सवालिया निशान
मुंबई दि.9 – विधान मंडल के मुखिया के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष द्बारा काम किया जाता है और किसी भी विधायक को अपात्र ठहराते हुए उसे निलंबित करने के संदर्भ में कार्रवाई करने का अधिकार केवल विधानसभा अध्यक्ष के पास ही होता है. सर्वोच्च न्यायालय विधि मंडल का प्रमुख है और कार्यकारी मंडल के प्रमुख के तौर पर मुख्यमंत्री काम करते है. इन तीनों संस्थाओं को संविधान में समसमान अधिकार दिए गए. ऐसे में किसी भी अन्य संस्था प्रमुख द्बारा विधानसभा अध्यक्ष के अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता. इस आशय का प्रतिपादन राज्य विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्बारा किया गया. जिनका सीधा निशाना एक तरह से सुप्रीम कोर्ट की ओर था. जहां पर राज्य के 16 विधायकों की अपात्रता के मुद्दे को लेकर सुनवाई चल रही है और बहुत जल्द इस मामले का फैसला आने की संभावना भी जताई जा रही है.
उल्लेखनीय है कि, महाराष्ट्र में जारी सत्ता संघर्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 5 सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई हो चुकी है. इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति शाह का भी समावेश है. जो अगले सप्ताह सेवा निवृत्त होने जा रहे है और इससे पहले महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष के मामले को लेकर कोई अंतिम फैसला आने की संभावना जताई जा रही है. जिसे लेकर वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ असीम सरोदे ने अनुमान जताया है कि, सुप्रीम कोर्ट द्बारा उन 16 विधायकों को खुद ही अपात्र ठहराया जा सकता है. जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि, यदि ऐसा होता है, तो यह विधान मंडल के अधिकारों में हस्तक्षेप हो सकता है. इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उपरोक्त बात कहीं. साथ ही यह भी बताया कि, उन सभी विधायकों को खुद उन्होंने पात्रता व अपात्रता के संदर्भ में नोटीस जारी की है. जिसमें से कुछ विधायकों ने अपने जवाब पेश कर दिए है और कुछ विधायकों ने जवाब पेश करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है. जिनके जवाब मिलते ही विधान मंडल द्बारा आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. साथ ही अपात्र पाए जाने प संबंधित विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्बारा अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के अलावा विधायकों को अपात्र घोषित करने या उन्हें निलंबित करने की कार्रवाई का अधिकार किसी भी अन्य संस्था को नहीं होता.

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