अमरावतीमुख्य समाचार

अन्यथा गवई ट्रस्ट को सरकार के कब्जे में देना पडेगा

अपनी ही संस्था के खिलाफ डॉ. राजेंद्र गवई ने ठोंका खम

  • बहन कीर्ति व अर्जून परिवार के खिलाफ लगाये गंभीर आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.2 – दिवंगत राज्यपाल स्व. रा. सू. गवई के पुत्र डॉ. राजेंद्र गवई ने यहां बुलायी गयी एक पत्रकार परिषद में अपने पिता द्वारा स्थापित दादासाहब गवई चैरिटेबल ट्रस्ट में चल रही गडबडियों को उजागर करने के साथ ही इस संस्था का संचालन करनेवाली अपनी बहन को उनके परिवार के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप लगाये है. साथ ही कहा कि, उनकी बहन के परिवार द्वारा संचालित की जानेवाली इस संस्था की आर्थिक स्थिति इन दिनों काफी डामाडोल हो गयी है तथा संस्था में कार्यरत कर्मचारियों को विगत 11 माह से वेतन तक अदा नहीं किया गया है. ऐसे में वे कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी बहन व उसके परिवार के खिलाफ भी संघर्ष को तैयार है.
स्थानीय श्रमिक पत्रकार भवन में बुलायी गयी प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. राजेंद्र गवई ने बताया कि, समाज की सेवा करने के उद्देश्य से दादासाहब गवई द्वारा एक चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया गया था. जिसमें कुछ समय तक भूषण गवई भी बतौर विश्वस्त शामिल थे. किंतु कुछ तकनीकी कारणों के चलते उन्होंने ट्रस्ट की सदस्यता से इस्तिफा दिया. लेकिन उनके कार्यकाल में संस्था ने उत्तरोत्तर प्रगती व उन्नति की और आज भी भावनात्मक रूप से इस ट्रस्ट के साथ जुडे हुए है. वहीं अब इस ट्रस्ट का जिम्मा अर्जून परिवार द्वारा संभाला जाता है. जिसके तहत उनकी बहन कीर्ति राजेश अर्जून इस ट्रस्ट की अध्यक्षा है तथा राजेश अर्जून कोषाध्यक्ष, धरम राजेश अर्जून उपाध्यक्ष है. इसके अलावा ट्रस्ट के सदस्यों में करण राजेश अर्जून, प्रा. डॉ. कमलताई गवई व रूपचंद खंडेलवाल सहित खुद उनका यानी डॉ. राजेंद्र गवई का समावेश है. किंतु विगत तीन-चार वर्षों से ट्रस्ट की किसी भी बैठक में उन्हें व रूपचंद खंडेलवाल को नहीं बुलाया गया और किसी भी बैठक अथवा निर्णय के संदर्भ में कोई पूर्व सुचना या सूचना भी नहीं दी गई. वहीं अब उन्हें पता चला है कि, कर्मचारियों की भरती व तबादले सहित विद्यार्थियों के प्रवेश में बडे पैमाने पर गडबडियां की जा रही है. साथ ही अभियांत्रिकी महाविद्यालय के कर्मचारियों को पिछले 11 माह से वेतन भी अदा नहीं किया गया. डॉ. राजेंद्र गवई के मुताबिक इस प्रतिष्ठित संस्था के अंतर्गत 46 शाखाएं काम करती है और यह बेहद समझ से परे है कि, आज यह संस्था इतनी बुरी हालत में कैसे पहुंच गयी और संस्था के पास उपलब्ध पैसा आखिर कहां चला गया. डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, विगत 11 माह से वेतन से वंचित कर्मचारी आर्थिक व मानसिक तौर पर टूट रहे है, इसकी जबाबदेही तय होनी चाहिए. साथ ही वे अपनी संस्था व संस्था के कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार है.

Related Articles

Back to top button