इटकॉन कंपनी के पास कायम रहेगा आउटसोर्सिंग ठेका
क्षितीज संस्था की याचिका हाईकोर्ट में खारीज
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नागपुर खंडपीठ ने मनपा के फैसले को सही ठहराया
अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – अमरावती मनपा व्दारा पिछले माह दिये गए आउटसोर्सिंग ठेके को लेकर क्षितीज नागरिक सेवा सहकारी संस्था व्दारा मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर की गई याचिका आज न्यायालय ने खारिज करते हुए मनपा का आउटसोर्सिंग ठेका इटकॉन कंपनी के पास ही कायम रखने के निर्देश दिये है. आज इस मामले में नागपुर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे व न्यायमूर्ति अनिल किलोर की व्दिसदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि मनपा व्दारा दिये गए आउटसोर्सिंग ठेके में किसी प्रकार की कोई गडबडी नहीं दिखाई देती और इस तरह के गडबडी के कोई सबूत याचिकाकर्ता न्यायालय में पेश नहीं कर पाने के कारण न्यायालय ने आज क्षितीज नागरी सेवा सहकारी संस्था व्दारा दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय में याचिकाकर्ता क्षितीज संस्था की ओर से एड.फिरदोज मिर्जा, इटकॉन प्रा.लि.कंपनी की ओर से एड. सुबोध धर्माधिकारी व एड. परवेज मिर्जा तथा मनपा की ओर से एड.राहुल धर्माधिकारी ने पक्ष रखा.
उल्लेखनीय है कि पिछले माह 9 अगस्त को अमरावती मनपा ने एक प्रस्ताव पारित कर मनपा में आउटसोर्सिंग का ठेका नोएडा की इटकॉन इ-सोल्यूशन प्रा.लि. इस कंपनी को दिया था. मनपा ने इ-टेंडरिंग के माध्यम से यह प्रक्रिया पूर्ण की थी. आउटसोर्सिंग ठेके के लिए कुल 8 कंपनियों ने टेंडर भरे थे. उसमें से 6 तकनिकी खामियों के चलते रद्द किये गए और मनपा ने प्रस्ताव पारित कर इटकॉन को आउटसोर्सिंग का ठेका देते हुए 11 अगस्त को उसे वर्क ऑर्डर भी सौंप दिया था. जिसपर क्षितीज नागरिक बेरोजगारों की सेवा सहकारी संस्था ने आपत्ति दर्ज करते हुए मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की थी.क्षितीज संस्था का कहना था कि उन्होंने निविदा में दी हुई दर इटकॉन से कम रहते हुए भी मनपा ने आउटसोर्सिंग का ठेका इटकॉन को दिया. ठेके की इस प्रक्रिया में गडबडी होने का आरोप करते हुए क्षितीज संस्था ने इटकॉन को दिया हुआ ठेका रद्द करने की गुहार न्यायालय से की थी. इसी दौरान न्यायालय में इटकॉन प्रा.लि. की ओर से पक्ष रखते हुए एड.सुबोध धर्माधिकारी व एड.परवेज मिर्जा ने न्यायालय को बताया कि ठेके की प्रक्रिया इ-टेंडरिंग व्दारा हुई और उसमें किसी प्रकार को कोई आर्थिक गडबडी नहीं हुई. साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के यह बात निदर्शन में लाकर दी थी. किसी प्रशासन की छोटे-छोटे फैसले को न्यायालय में चुनौती दी जाए तो प्रशासन को काम करना मुश्किल हो जाएगा. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने क्षितीज सहकारी संस्था की याचिका को खारिज कर दिया.