मोबाइल के अति प्रयोग से बढ सकता है ब्रेन ट्यूमर का खतरा
आज ब्रेन ट्यूमर डे पर विशेष
अमरावती/दि.8 – मोबाइल का लगातार प्रयोग करने से ब्रेन ट्यूमर होता है यह अब तक यद्यपि पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है. किंतु मोबाइल का अति प्रयोग इस गंभीर बीमारी को आमंत्रित जरूर कर सकता है. ऐसे में मोबाइल का प्रयोग बेहद सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए. ऐसी सलाह स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा दी गई है.
अमूमन दो प्रकार के ट्यूमर शरीर में होते है. जिसमें से एक कैंसर से संबंधित होता है और दूसरे का कैंसर से कोई संबंध नहीं होता. ब्रेन ट्यूमर वाले 95 फीसदी मामलों में ऑपरेशन करना जरूरी होता है. वहीं कुछ ट्यूमर कीमो थैरेपी से भी ठीक हो सकते है. ट्यूमर होने की कोई निश्चित वजह नहीं बताई जा सकती और कई बार यह अनुवांशिक भी होता है. किंतु ट्यूमर और जीवनशैली का कोई विशेष संबंध नहीं रहता. ऐसा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है. किंतु साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा यह सलाह भी दी जाती है कि मोबाइल का प्रयोग करने से कुछ सावधानियां बरती जानी चाहिए. क्योंकि मोबाइल का आगमन होने से पहले की तुलना में अब ट्यूमर होनेवाले मरीजों की संख्या काफी अधिक बढी हुई दिखाई दे रही है. ऐसे में लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टरों के पास जाकर अपनी जांच और ईलाज करवाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि इन दिनों ब्रेन ट्यूमर की जांच और ईलाज हेतु अत्याध्ाुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हो गये है और अब ब्रेन ट्यूमर के हर ऑपरेशन के लिए खोपडी के हिस्से को बडे पैमाने पर निकालने की जरूरत नहीं पडती. बल्कि एक से दो सेमी हिस्सा निकालकर ऑपरेशन किया जा सकता है. इसी तरह कुछ मामलों में नाक के जरिए भी ऑपरेशन किए जा सकते है. जिसके लिए खोपडी के हिस्से को तोडकर शल्यक्रिया करने की जरूरत नहीं पडती है. 40-50 वर्ष की आयु के बाद यदि मिरगी की समस्या उत्पन्न होती है तो ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
बिना घबराए ईलाज करें
प्रत्येक ट्यूमर कैंसर ही होता है, ऐसा जरूरी नहीं है और बिना कैंसर वाले ट्यूमर को निकालने के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है. साथ ही कैंसर का ट्यूमर रहनेवाले मरीजों का भी समय पर ईलाज और ऑपरेशन करने पर वे भी ठीक हो सकते है. अत: इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. बल्कि लक्षण दिखाई देते ही तुरंत ही विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपनी जांच करवानी चाहिए.
ये है सामान्य लक्षण
-लगातार सिरदर्द व सुबह के वक्त उल्टी होना
-उल्टी होने के बाद सिरदर्द रूक जाना
-शरीर के किसी हिस्से द्वारा बिल्कुल भी काम नहीं करना
– कानों से बराबर सुनाई नहीं देना और ऑखों से दिखाई देने में भी तकलीफ होना
– कई बार किसी एक वस्तु या व्यक्ति की दो प्रतिमाएं दिखाई देना