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‘ पंढरीचे वारकरी , ते अधिकारी मोक्षाचे ’

नारायणगुरू महाराज पालखी का पंढरपुर प्रस्थान

* शताब्दी वर्ष में ढोल पथक, पताका, दिंडी के साथ निकली उत्साह से
* कडी धूप में भी झूमते रहे वारकरी
अमरावती/ दि.1-श्री शंकरानुचर धर्मराज श्री नारायण गुरू महाराज माहुलीकर का शताब्दी वर्ष पालखी समारोह आरंभ हो गया. दर्यापुर के माहुली धांडे से पालखी पंढरपुर के लिए निकली है. उसका आज अमरावती मुक्काम और वहां से आगे प्रस्थान भाजी बाजार के श्री नारायण गुरू मठ से पूर्वान्ह बडे ही उत्साह से हुआ. कडी धूप के बावजूद शहर के प्रमुख मार्गो से जब पालखी निकली तो भाविकों का उत्साह देखते ही बना. वारकरियों ने गले में टाल लेकर उसे खनकाकर उत्साह प्रकट किया. अब पंढरीनाथ के दर्शन की बेला समीप होने का उत्साह स्त्री और पुरूष वारकरियों के रोम रोम से प्रकट हो रहा था. पूर्व महापौर विलास इंगोले ने भी पालखी उठाकर धर्म प्राप्त किया.
उल्लेखनीय कि सुबह 11 बजे भाजीबाजार स्थित मठ से निकली पालखी अंबागेट, गांधी चौक, राजकमल, राजापेठ होते हुए नवाथे चौक पहुंची. पालखी का अनेक स्थानों पर फूलों की वर्षा कर स्वागत किया गया. 5 दिंडी, ढोल पथक, ट्रैक्टर पर संतश्री की प्रतिमाएं और पताकाओं से सजी पालखी में ढोल की थाप पर सभी थिरके.
यह भी स्मरण करा दे कि शंकरानुचर श्री नारायणगुरू महाराज माहुलीकर ने विश्व कल्याणार्थ ई. सन 1924 में अमरावती से पंढरपुर आषाढी पैदलवारी आरंभ की थी. इस उपक्रम का यह शताब्दी वर्ष है. अत: विशेष शोभायात्रा का उत्साहपूर्ण आयोजन किया गया. जिसमें बडी संख्या में स्त्री-पुरूष वारकरी सहभागी हुए. उनमें गोपाल जोशी, विवेक जोशी, सचिन साखरे, रवि साखरे, बालू भैया जोशी, सुधाकर जोशी, राजू बनसोड, मोहन दुर्गे, मिलिंद देशमुख, रमेश भैया मराठे, प्रसाद जोशी, योगेश जोशी, अंबुलकर, नीलेश जोशी सहित महिला भाविकों का समावेश रहा. पालखी 23 जून को पंढरपुर पहुंचेगी.

 

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