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उगते सूर्य को अर्ध्य देते हुए की गई छठ पर्व की पारणा

कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना का है विशेष महत्व

अमरावती/दि.11- देश के बिहार व झारखंड राज्य में दीपावली के पश्चात कार्तिक शुक्ल चतूर्थी से लगातार चार दिनों तक मनाए जानेवाले छठ पर्व का समापन आज गुरूवार 11 नवंबर को पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ. विगत सोमवार, 8 नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस चार दिवसीय पर्व तीसरे दिन जहां गत रोज बुधवार 10 नवंबर को व्रतियों द्वारा पूरा दिन उपवास रखते हुए शाम के समय डूबते सूर्य को अर्ध्य यानी जल अर्पित किया गया. वहीं आज गुरूवार 11 नवंबर को सप्तमी पर्व पर उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते हुए इस चार दिवसीय पर्व की पारणा यानी समाप्ती की गई.
हालांकि इस वर्ष सार्वजनिक छठ पूजा समिती द्वारा शहर में रहनेवाले सभी उत्तर भारतियों, विशेषकर बिहारियोें से अपने-अपने घरों पर रहकर ही छठ पूजा का पर्व मनाने का आवाहन किया गया था. किंतु चूंकि अब कोविड प्रतिबंधात्मक नियम काफी हद तक शिथिल हो चुके है. ऐसे में कई व्रतियों ने छत्री तालाब पहुंचकर पूरे विधि-विधान के साथ छठ पूजा की और डूबते व उगते सूर्य देवता को अर्ध्य चढाया. इसके साथ ही महिलाओें द्वारा किये जा रहे 36 घंटे के निर्जला उपवास का समापन हो गया.
गत रोज स्थानीय छत्री तालाब पर आयोजीत छठ पूजा के अवसर पर जिले की सांसद नवनीत राणा, आयोजन समिती के दिनेश सिंह, अंजना दिनेश सिंह, अभिनंदन पेंढारी, सुधा तिवारी, पार्षद अजय सारस्कर, बंटी पारवानी, रितेश वर्मा, दयानंद उपाध्याय, संतोषसिंह गहरवाल, दीपक पाठक, शरद अग्रवाल, हरिशचंद्र गोयल, विनोद बत्रा, दीपक अग्रवाल व रमेश मड्याल सहित अनेकों गणमान्य उपस्थित थे.
बता दे कि, उत्तर भारत, विशेषकर बिहार व झारखंड प्रांतों में छठ पर्व को लेकर लोगों की आस्था जुडी हुई है. कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना करने से जीवन में इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है. शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेवता की विशेष रूप से पूजा अर्चना कर व्रत उपासना की जाती है. छठ पूजा में कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी के अरूण बेला एक व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ व्रत की शुरूआत होती है. पहले दिन व्रत रखनेवाले उपासक लौकी व चावल ग्रहण करते हैं. पश्चात दूसरे दिन पंचमी पर खरना होता है, जिसमें पूरा दिन उपवास रखकर शाम के समय खीर का सेवन किया जाता है. यह खीर गन्ने के रसे से बनायी जाती है. तीसरे दिन छठ की तिथी पर उपवास रखकर डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाता है. साथ ही विशेष पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढाने का रिवाज है. वहीं चौथे दिन सप्तमी को उगते सूरज को अर्ध्य चढाकर छठ पर्व की समाप्ति होती है. इस वर्ष छठ की तिथी बुधवार 10 नवंबर को पडी. जिसके चलते शाम के समय डूबते सूर्य को व्रतियों द्वारा विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए अर्ध्य अर्पित किया गया. साथ ही आज गुरूवार 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते हुए इस पर्व की पारणा की गई. डूबते व उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने हेतु स्थानीय छत्री तालाब के किनारे पर भाविकों की काफी भीडभाड देखी गई.

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