अमरावतीमुख्य समाचार

परतवाड़ा के युवक का पेटेंट हुआ स्वीकार

  • वाहनों के माइलेज में होंगी आश्चर्यजनक वृद्धि

  • वाहन के एवरेज और पर्यावरण सुरक्षा पर बनाया डिवायस

परतवाडा /दि. ३ – पूत के पाव पालने में ही नजर आते है इस कहावत को चरितार्थ करते हुए मूलतः परतवाड़ा निवासी युवक सौरभ नंदकुमार तिवारी ने एक ऐसा करिश्माई डिवाइस बनाया है, जिसे वाहन में लगाये जाने पर गाड़ी की माइलेज क्षमता में आश्चर्यजनक वृद्धि होंगी. सौरभ के इस अविष्कार को पूरी जांच-पड़ताल, छानबीन के बाद भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है.राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती अवसर पर यह खुशखबरी सौरभ को प्राप्त हुई.फिलहाल राज्य की शैक्षणिक राजधानी पूना में कार्यरत सौरभ ने प्रस्तुत प्रतिनिधि को जानकारी देते हुए बताया कि उसने सन 2012 में अपने इस रिसर्च पर काम शुरू किया था.2013 में व्यक्तिगत श्रेणी में अपने डिवायस को स्वीकृति प्राप्ति हेतु सौरभ ने,भारत सरकार के बौद्धिक क्षमता कार्यालय मुंबई को आवेदन किया था.किसी अविष्कार को मान्यता देकर उसकी मालकी प्रदान करना अथवा पेटेंट ( एकस्व ) एक्सेप्ट करने के लिए सभी बातों को बड़ी ही बारीकी से परखा जाता है. वैश्विक स्तर पर इसके साक्षात्कार होते हैऔर पूर्ण समाधान होंने के बाद उस अविष्कार की मालकी स्वीकार की जाती है.2013 में बडनेरा के सिपना महाविद्यालय में अध्ययन करते हुए सौरभ ने अपनी इस खोज के लिए आवेदन किया था.7 वर्षों की जद्दोजहद के बाद हिंदुस्थानी हुकूमत ने सौरभ डिवायस को स्वीकृति दी.परतवाड़ा-अचलपुर जैसी छोटी सी जगह पर होने के बाद कोई बंदा इतनी ऊंचाई पर जाने में सफल होता है, यह गौरव की बात कही जा सकती है. मध्यमवर्गीय परिवार से वास्ता रखते सौरभ को नित्य नये अविष्कार करने का हुनर पैदायशी मिला हुआ है.संसाधनों का अभाव भी उसे इस रिसर्च प्रवुति से विमुख नही कर सका.अभी सौरभ के अलग-अलग 9 अविष्कार भी पेटेंट स्वीकृति के लिए आवेदित हो चुके है.
अपने मान्यता प्राप्त अविष्कार के बारे में जानकारी देते हुए सौरभ ने बताया कि –
उनके द्वारा तैयार किये गए इस डिवाइस का टूव्हीलर में प्रयोग करने पर 80 का एवरेज देनेवाला वाहन 320 का यानी चार गुना ज्यादा माइलेज देने लग जाएंगे. जिस कार को एक लीटर पेट्रोल में 20 किमी तक चलाया जाता है वो डिवायस लगने पर 80 किमी तक दौड़ना शुरू कर देंगी.

पर्यावरण के संवर्धन में सहयोगी

अपनी खोज की अन्य महत्वपूर्ण विशेषता को बताते हुए सौरभ ने कहा कि यह खोज पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होंगी.डिवायस लगने के बाद यह इंजिन की पूरी कार्यक्षमता को प्रभावित करेगा.अभी इंजिन में जो पेट्रोल जाता हैवो पूरी तरह से जल नही पाता है.इस वजह से वाहन के सायलेंसर में से भारी मात्रा में विषैला धुंआ निकलता रहता है.यह धुंआ पर्यावरण के साथ -साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है.उक्त डिवायस इंजिन में जाते पेट्रोल का शतप्रतिशत उपयोग लेगा. इससे पेट्रोल के पैसों का सदुपयोग होंगा, गरीबो के पेट्रोल खर्च में भी बचत होंगी और पर्यावरण में भी हम सकारात्मक उच्चाक हासिल कर पाएंगे.
सौरभ ने कांडली गाँव से प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद ,सुबोध हाइस्कूल से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की थी.स्थानीय नपा तन्त्रनिकेतन से इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलीकम्युनिकेशन में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद अमरावती (बडनेरा )के सिपना से सौरभ ने E&T में डिग्री प्राप्त कर दिखाई.उनका यह अविष्कार ‘ इलेक्ट्रोमैकेनिकल ‘ गठबंधन का सुखद परिणाम है.
वर्तमान में सौरभ पूना में सुपर कम्प्यूटर के पिता कहे जाते डॉ विजय भटकर के साथ मे शोधकार्यो से जुड़े है.भटकरजी के मार्गदर्शन में उनका आगे का सफर जारी है. इसके अलावा वो दिल्ली बेस सक्सेसिव टेक्नालॉजी नामक एमएनसी कंपनी में चीफ इनोवेशन एडवाइजर के रूप में कार्य कर रहे है.यह आयटी कंपनी है जिसके लिए वो वर्क फ्रॉम होम करते है.इसके अलावा ‘ थिंकर प्लेस ‘ और माइंड हब इन्क्यूबेशन इन दो कंपनियों में वो बतौर सीईओ पदस्थ है.थिंकर प्लेस यह छात्रों को अविष्कार करने के क्षेत्र में सुविधाएं उपलब्ध कराती है, उन्हें और भी पारंगत करती है.वही माइंडहब यह स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने , उन्हें बाजार में स्थापित करने का काम करती है .इंटरप्रेन्योर ( उद्यमिता ) सौरभ ने जुड़वाशहर का नाम रोशन किया है.परतवाड़ा में ना कोई मार्गदर्शन था और ना ही कोई संसाधन प्राप्त हुए.स्वयं के घर मे भी कोई तकनीकी ज्ञान की परंपरा नही रही.एक ईश्वरप्रदत्त हुनर जन्मजात प्राप्त हुआ जिसे विकसित करते हुए सौरभ आकाश की ऊंचाइयों को छूने की ख्वाहिश रखता है.स्थानीय और अमरावती के अध्यापकों ने जो शिक्षा दी उसे ही अपनी सफलता की कुंजी मानता है सौरभ.स्थानीय प्रतिष्ठित नागरिक नंदकुमार हरिप्रसाद तिवारी( नंदू पहेलवान )और माँ साधना के आशीर्वाद व मार्गदर्शन के कारण वो आज इस मुकाम तक पहुंच सका.सौरभ को अभी तक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोई 12-13 पुरुस्कार प्राप्त हो चुके है.यदि हम इस होनहार को वैश्विक स्तर पर मिल रहे सम्मानों को लिखने बैठे तो एक पेज भी कम पड़ सकता है. बहरहाल इस अनूठी उपलब्धि के लिए सौरभ का अभिनंदन किया जा सकता है, बधाई दी जा सकती, जिसने यह सिद्ध कर दिखाया है कि कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती.
Back to top button