गंभीर स्थितिवाले मरीजों को लगता है रोजाना 9 से 10 हजार लीटर ऑक्सिजन
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प्रति मिनट 15 से 20 लीटर ऑक्सिजन की होती है खपत
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संक्रमित मरीजों की संख्या बढने से ऑक्सिजन की खपत भी बढ रही
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जिले को रोजाना 20 टन ऑक्सिजन की पड रही जरूरत
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लगातार आपूर्ति जारी रखने हेतु प्रशासन प्रयासरत
अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – इस समय अमरावती जिले में जिस रफ्तार से गंभीर स्थितिवाले कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या बढ रही है, उसी रफ्तार से उनकी जान बचाने हेतु कृत्रिम ऑक्सिजन की खपत भी बढ रही है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ऑक्सिजन बेड पर भरती मरीज को जहां प्रति मिनट 1 से 5 लीटर कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत पडती है, वहीं आयसीयू अथवा वेंटिलेटर पर रहनेवाले गंभीर स्थितिवाले मरीजों को प्रति मिनट 15 से 20 लीटर लिक्वीड ऑक्सिजन की जरूरत पडती है. यानी गंभीर स्थितिवाले मरीजों को प्रति घंटे 450 लीटर और रोजाना 9 से 10 हजार लीटर कृत्रिम ऑक्सिजन देना पडता है. यहीं वजह है कि, इन दिनों अमरावती जिले में मरीजों की जान बचाने हेतु रोजाना 20 टन कृत्रिम ऑक्सिजन की जरूरत पड रही है.
बता दें कि, इस समय शहर सहित जिले के सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों को जिला प्रशासन द्वारा अन्न व औषधी प्रशासन (एफडीए) के जरिये ऑक्सिजन उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है और सभी अस्पतालों को ऑक्सिजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी वल्लभ गैसेस के संचालक हिमांशू वेद पर सौंपी गयी है. जिले में विगत सितंबर माह के दौरान कोविड संक्रमण की विस्फोटक स्थिति के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा सुपर स्पेशालीटी हॉस्पिटल, इर्विन अस्पताल व पीडीएमसी अस्पताल में लिक्विड ऑक्सिजन टैंक स्थापित किये गये. जिसमें से सुपर स्पेशालीटी में सरकार एवं प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर ऑक्सिजन टैंक लगाया गया. जिसकी देखभाल व दुरूस्ती हेतु इस अस्पताल में स्वतंत्र कर्मचारी नियुक्त है. वहीं इर्विन अस्पताल में औरंगाबाद स्थित एक एजेन्सी के जरिये ऑक्सिजन टैंक स्थापित किया गया. जिसकी देखभाल व दुरूस्ती का जिम्मा उसी एजेन्सी का है. इसके अलावा पीडीएमसी अस्पताल में वल्लभ गैसेस द्वारा दस वर्ष के करार के तहत ऑक्सिजन टैंक स्थापित किया गया. इसके साथ ही वल्लभ गैसेस को ही तीनों ऑक्सिजन टैैंक की रिफीलिंग का जिम्मा सौंपा गया है. ऐसे में वल्लभ गैसेस के प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा ही पीडीएमसी सहित इर्विन और सुपर स्पेशालीटी में स्थापित ऑक्सिजन टैंकोें की देखभाल व दुरूस्ती से संबंधित छोटे-मोटे काम अपने स्तर पर ही कर लिये जाते है.
इस बारे में जानकारी देते हुए वल्लभ गैसेस के संचालक हिमांशू वेद ने बताया कि, जिला प्रशासन व एफडीए के निर्देश पर वे लगातार अपने टैंकरों के जरिये अमरावती में भिलाई, चाकण व बुटीबोरी स्थित प्लांट से लिक्वीड ऑक्सिजन मंगा रहे है और प्रशासन के निर्देश पर ही अलग-अलग अस्पतालों को उनकी जरूरत के हिसाब से ऑक्सिजन की आपूर्ति की जा रही है. गत रोज तक इर्विन अस्पताल के ऑक्सिजन टैंक में ढाई टन व सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के ऑक्सिजन टैंक में साढे 3 टन लिक्विड ऑक्सिजन भरा हुआ था. साथ ही कल से अब तक अमरावती जिले को भिलाई से 20 टन व चाकण से 5 टन ऐसे कुल 25 टन ऑक्सिजन की सप्लाय हुई है. ऐसे में फिलहाल अगले डेढ-दो दिन के लिए जिले में कृत्रिम ऑक्सिजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. साथ ही ऑक्सिजन प्लांट पर टैंकर लगे हुए है. जिनके जरिये आज-कल में ऑक्सिजन की नई खेप भी उपलब्ध हो जायेगी. इसके अलावा उम्मीद दिखाई दे रही है कि, आगामी तीन-चार दिनों में कृत्रिम ऑक्सिजन को लेकर स्थिति काफी हद तक सामान्य हो जायेगी.
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निजी अस्पतालों को सिलेंडरों के जरिये आपूर्ति
जहां एक ओर सुपर स्पेशालिटी, इर्विन व पीडीएमसी जैसे बडे अस्पतालों में कई टन क्षमतावाले लिक्विड ऑक्सिजन टैंक स्थापित किये गये है, वहीं निजी कोविड अस्पतालों को अब भी पहले की तरह सिलेंडरों के जरिये ऑक्सिजन आपूर्ति की जा रही है. जिसके तहत इन दिनों ड्यूरा सिलेंडर उपलब्ध कराये गये है. जिनमें करीब 25 सिलेंडर के बराबर ऑक्सिजन भरा होता है. इस सिलेंडरनूमा छोटे टैंक से सेंट्रलाईज्ड ऑक्सिजन पाईपलाईन के जरिये मरीजों तक ऑक्सिजन पहुंचाया जाता है. फिलहाल महेश भवन, बख्तार हॉस्पिटल और एक्झॉन हॉस्पिटल में मरीजों को ऑक्सिजन आपूर्ति हेतु ड्यूरा सिलेंडर का प्रयोग किया जा रहा है. वहीं अन्य अस्पतालों में सामान्य ऑक्सिजन सिलेंडर ही प्रयुक्त हो रहे है. किंतु मौजूदा हालात में जिस रफ्तार से मरीजों को ऑक्सिजन की जरूरत पडती है, उसे देखते हुए कभी-कभी एक ही घंटे में तीन बार ऑक्सिजन सिलेंडर बदलने पडते है. ऐसे में ऑक्सिजन पर रहनेवाले मरीजों पर मेडिकल स्टाफ को कडी नजर रखनी पडती है.