अमरावतीमुख्य समाचार

चपरासी अरूण पारेकर ने कई लोगों को रोका था पुलिस के पास जाने से

दो लोगों को लाखों रूपये देकर परभारे किया था सेटलमेंट

* एक खाताधारक को चुप रहने के लिए राजकमल चौक पर दिलाई थी दुकान
* यूनियन बैंक गोल्ड लोन घोटाले के राज अब हो रहे उजागर
अमरावती/दि.1- स्थानीय राजापेठ पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में कुछ समय पहले गोल्ड लोन घोटाला उजागर हुआ था. जिसमें 37 कर्ज धारकों द्वारा गिरवी रखे गये सोने के असली आभूषणों के स्थान पर लॉकरों में नकली सोने के आभूषण रख दिये गये थे. साथ ही करीब 22 फर्जी खाताधारकों के नाम पर नकली सोने के आभूषण गिरवी रखते हुए गोल्ड लोन को मंजूरी देकर बैंक से रकम निकाली गई थी. वहीं अब यह जानकारी भी सामने आयी है कि, इस गोल्ड लोन घोटाले का मुख्य मास्टरमाइंड रहनेवाले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चपरासी अरूण पारेकर ने अपना भंडाफोड होने से बचने हेतु कई खाताधारकों को पुलिस में जाने से रोका था और उनके साथ बाहर ही परभारे लाखों रूपयों का सेटलमेंट कर लिया था.
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यूनियन बैैंक की राजापेठ शाखा में अरूण पारेकर पिछले साल के जुलाई माह से काम कर रहा था और लॉकरों में रखे असली सोने के आभूषणों को बदलकर वहां पर नकली सोने के आभूषण रखने की करतूत उसी के दिमाग की उपज थी. जिसके बाद विगत दिसंबर माह में एक खाताधारक जब बैंक में गिरवी रखा अपना सोना छुडाने हेतु पहुंचा, तो उसके द्वारा रखा गया असली सोना गायब हो चुका था और उसके स्थान पर उसे नकली सोना दिया जा रहा था. ऐसे में मामला समझ में आते ही वह खाताधारक पुलिस थाने में शिकायत देने हेतु जाने लगा, तब अरूण पारेकर ने ही उसे पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराने की ऐवज में करीब 10 लाख रूपये दिये थे.
ऐसा ही एक मामला अमरावती शहर के एक ‘हैवीवेट’ राजनेता के भतीजे के साथ भी घटित हुआ था. जिसने अपने द्वारा गिरवी रखे गये सोने को छुडाने हेतु बैंक में साढे तीन लाख रूपये जमा करवाये. इस समय साढे तीन लाख रूपये की राशि स्वीकार करते हुए अरूण पारेकर ने बैंक की जमा स्लीप पर मुहर लगायी और उसे सोना वापिस लेने हेतु अगले दिन बैंक में बुलाया. जब वह व्यक्ति दूसरे दिन अपना सोना छुडाने हेतु बैंक में पहुंचा, तो बैंक ने यह कहते हुए उसे उसका सोना देने से इन्कार कर दिया कि, अभी उसके तरफ कर्ज की रकम बकाया है. इस समय उक्त खाताधारक ने अपने पास मौजूद बैंक की जमा स्लीप दिखाते हुए बताया कि, उसने एक दिन पहले ही बैंक में साढे तीन लाख रूपये जमा कराये है और उससे यह पैसा बैंक के कर्मचारी अरूण पारेकर ने स्वीकार करते हुए उसे उसकी रसीद भी दी. लेकिन वहां पर मौजूद अरूण पारेकर ने इस बात से साफ इन्कार करते हुए रसीद पर रहनेवाले हस्ताक्षर अपने नहीं रहने की बात कही. इस समय उस ग्राहक ने बैंक के सीसीटीवी कैमरे के फूटेज चेक करने कहा, तो पता चला कि, बैंक के सभी सीसीटीवी कैमरे भी बंद पडे है. ऐसे में चीढकर उस राजनेता के भतीजे ने बैंक में ही अरूण पारेकर की जमकर पिटाई की थी और वह राजापेठ थाने में बैंक के खिलाफ अपनी शिकायत देने हेतु निकला. लेेकिन उस वक्त अरूण पारेकर ने उसे बीच रास्ते में ही रूकवा लिया और पुलिस में शिकायत नहीं देने की ऐवज में उस खाताधारक को 7 लाख रूपये दिये थे.
इससे ही संबंधित एक तीसरा मामला भी सामने आया है, जब एक ग्राहक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में करीब साढे 12 लाख रूपये मूल्य का सोना गिरवी रखा था और जब वह व्यक्ति कर्ज की राशि अदा करने के बाद अपना सोना छुडाने हेतु पहुंचा, तो उसके द्वारा रखा गया असली सोना नदारद था. ऐसे में जब वह व्यक्ति पुलिस में शिकायत दर्ज कराने हेतु जाने लगा, तो अरूण पारेकर ने उसे सोने की बजाय साढे 12 लाख रूपये नकदी वापिस देने की ऑफर दी, लेकिन उस खाताधारक ने इसके बदले राजकमल चौक पर एक दुकान दिये जाने की मांग रखी और आश्चर्यवाली बात यह है कि, बैंक में चपरासी के पद पर काम करनेवाले अरूण पारेकर ने अपने एक साथी के साथ मिलकर राजकमल चौक पर स्थित दुकान खरीदकर उक्त खाताधारक को दिलवाई.
उपरोक्त तीनों मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, बैंक में चपरासी जैसे सबसे निचले पद पर काम करनेवाला अरूण पारेकर बैंक के आर्थिक लेन-देन संबंधी कामों में भी हिस्सा ले रहा था, जबकि अमूमन चपरासी पद पर कार्यरत व्यक्ति का इससे कोई लेना-देना नहीं रहता. साथ ही साथ अरूण पारेकर अपने शातीर दिमाग के दम पर बैंक में लाखों रूपयों की हेराफेरी भी कर रहा था. जिसमें निश्चित तौर पर बैंक के कुछ अधिकारियों व लिपीकों की मिलीभगत भी शामिल थी और ये सभी लोग मिलकर अपनी करतूतों पर परदा डालने का भी पूरा प्रयास कर रहे थे. लेकिन इसके बावजूद भी अकोली परिसर के आंचल विहार में रहनेवाले उज्वल मलसने नामक खाताधारक द्वारा दिखाई गई हिम्मत के चलते आज यह पूरा मामला सबके सामने उजागर हो गया है और इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा पुलिस द्वारा अरूण पारेकर व उसके एक साथी सहित बैंक के तत्कालीन मैनेजर, असिस्टंट मैनेजर और दो सुवर्णकारों को भी अपनी हिरासत में लिया गया है. इन दोनों सुवर्णकारों ने ही असली सोने को नकली सोने में बदलने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साथ ही असली सोने को अपने पास गिरवी रखकर अरूण पारेकर को काफी पैसा भी दिया था.

 

Related Articles

Back to top button