राज्य के 20 शहरों में लोगों को हर दिन नहीं मिलता पानी
केवल 16 शहरों में रोजाना होती है जलापूर्ति
* भविष्य के नियोजन में सरकार व प्रशासन साबित हुए नाकाम
मुंबई./दि.24 – अभी जैसे-तैसे गर्मी का मौसम शुरु ही हुआ है और आधे से अधिक राज्य में पानी की किल्लत दिखाई देनी शुरु हो गई है. क्योंकि राज्य के 20 जिला मुख्यालय वाले शहरों में लोगों को पीने के लिए रोजाना पानी की आपूर्ति नहीं की जाती है. 6 शहरों में तो 5 से 12 दिन के दौरान एक बार नलों से पानी आता है. जिसके तहत मराठवाडा का सबसे बडा शहर रहने वाले छत्रपति संभाजी नगर में 6 दिन के अंतराल पर तथा जालना में 12 दिन के अंतराल पर लोगों को नलों से पानी उपलब्ध कराया जाता है. वहीं राज्य में 16 शहर कुछ हद तक सौभाग्यशाली कहे जा सकते है. जहां पर कम-अधिक प्रमाण में रोजाना पानी उपलब्ध होता है.
इस समय गर्मी का मौसम धीरे-धीरे तेज होने लगा है. साथ ही पानी की किल्लत की समस्या भी सामने आने लगी है. इस वर्ष राज्य के अधिकांश हिस्सों में अपेक्षा से अधिक बारिश हुई तथा बांधों में भी पर्याप्त जल संग्रहण है. इसके बावजूद भी लोगों को उनकी जरुरत के हिसाब से पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो रहा, ऐसी शिकायतें भी लगातार बढती नजर आ रही है.
* किस शहर को कितने दिनों में जलापूर्ति
– रोजाना – 16 शहर
गोंदिया, नागपुर, भंडारा, गडचिरोली, नासिक, पुणे, मुंबई, मुंबई उपनगर, अलीबाग, ठाणे, पालघर, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, सातारा, सांगली, कोल्हापुर.
– 2 से 4 दिन – 14 शहर
अमरावती, वर्धा, बुलढाणा, चंद्रपुर, यवतमाल, अकोला, नांदेड, परभणी, लातूर, हिंगोली, नंदुरबार, जलगांव, अहमदनगर, सोलापुर.
– 5 से 7 दिन – 4 शहर
वाशिम, धाराशिव, छत्रपति संभाजीनगर, धुलिया.
– 8 से 10 दिन – 1 शहर
बीड,
– 10 से 12 दिन – 1 शहर
जालना
* विभाग निहाय स्थिति
विदर्भ – विदर्भ के 2 संभागीय मुख्यालयों में शामिल 11 में से नागपुर सहित केवल 4 शहर सौभाग्यशाली है, जहां पर रोजाना पानी मिलता है. इन 4 शहरों में नागपुर, भंडारा, गोंदिया व गडचिरोली जिलों का समावेश है. वहीं अन्य 7 शहरों में 2 से 4 दिन की आड के एक बार नलों से जलापूर्ति की जाती है.
मराठवाडा – क्षेत्र के 8 में से एक भी शहर को रोजाना जलापूर्ति नहीं होती. बल्कि अधिकांश शहरों में सप्ताह में एक बार नलों से पानी आता है.
उत्तर महाराष्ट्र – नाशिक को छोडकर कहीं पर भी रोजाना जलापूर्ति नहीं होती. बल्कि ज्यादातर शहरों में 2 से 4 दिन की आड में एक बार नलों से जलापूर्ति होती है.
कोंकण – पानी के मामले में कोंकण क्षेत्र बेहद सौभाग्यशाली है. जहां के सभी शहरों में रोजाना ही नलों से जलापूर्ति होती है.
* इस पर विचार कब होगा
सभी शहरों में 20 वर्ष के बाद संभावित जनसंख्या और उस समय रहने वाली पानी की जरुरत.
– पुरानी व जीर्ण हो चुकी पाइप-लाइन बदलने को प्राथमिकता तथा भविष्य की जरुरत को ध्यान में रखते हुए पानी के वितरण का नियोजन
* टॉप 10 दिक्कतें
– सदोष वितरण व्यवस्था
– बार-बार जलवाहिणी टूटना
– आए दिन विद्युत आपूर्ति खंडित होना
– पुरानी पाइन-लाइन से लिकेज होना
– अवैध नल कनेक्शन
– नियोजन का अभाव
– बढती बकाया राशि
– अमृत योजना की सुस्त रफ्तार
– पानी का कोटा न बढाया जाना
– मई माह के लिए होने वाली कटौती
* पाइप-लाइन फूटने की वजह से होने वाला पानी का लिकेज भी अनियमित जलापूर्ति की सबसे प्रमुख वजह है. विशेष तौर पर रास्तों के किनारे किए जाने वाले खुदाई कार्य की वजह से बडे पैमाने पर पाइप-लाइन फूटती है. ऐसी ही फूटी हुई पाइप-लाइन से बह रहे पानी के जरिए अपनी प्यास बुझाता बच्चा.