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कोरोना पर नाक के जरिये इलाज व जांच को अनुमति

 कोविड के खात्मे की ओर एक बेहद मजबूत कदम

  • इलाज की नई पध्दति साबित होगी ‘गेम चेंजर’

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – कोविड वायरस का संक्रमण सबसे अधिक नाक के जरिये ही होता है. ऐसे में नाक के जरिये ही कोरोना पर इलाज करते हुए उसका इंफेक्शन रोकने हेतु मानवीय जांच के लिए नागपुर के मेडिकल कॉलेज को अनुमति प्राप्त हुई है. सौम्य लक्षण रहनेवाले मरीजों की यह जांच की जायेगी. जिसे कोविड संक्रमण के खात्मे की ओर पहला मजबूत कदम बताया जा रहा है.
ज्ञात रहे कि, कोविड संक्रमण को रोकने हेतु देश में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है और इस समय नाक के जरिये वैक्सीन (नेजल स्प्रे) देने को लेकर जांच की जा रही है. लेकिन कोरोना होने के बाद नाक के जरिये इलाज करने को लेकर पहली बार इंसानों पर जांच होने जा रही है. कैनडा स्थित ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने कोरोना पर नाईट्रिक ऑक्सिड नेजल स्प्रे तैयार किया है. कोरोना के खिलाफ जारी लडाई में नाक के जरिये इलाज करने की यह पध्दति गेम चेंजर साबित हो सकती है. केंद्रीय ड्रग्ज कंट्रोलर जनरल द्वारा इसे मंजूरी दी गई है और देश में करीब 603 लोगों की इस पध्दति के जरिये जांच की जायेगी.
नागपुर मेडिकल में औषध वैद्यक शास्त्र (मेडिसीन) विभाग में अधिष्ठाता डॉ. सुधीर गुप्ता के मार्गदर्शन तथा विभाग प्रमुख डॉ. प्रशांत पाटील व प्राध्यापक राजेश गोसावी के सहयोग के तहत मरीजों की इस पध्दति के जरिये स्वास्थ्य जांच की जायेगी. इस जांच में शामिल होनेवाले मरीजों की पहले चार दिन और आठवें दिन आरटीपीसीआर टेस्ट की जायेगी. जिसके जरिये उनमें वायरल लोड कितना है, यह देखा जायेगा. साथ ही 18 दिन के बाद दोनों ग्रुप के मरीजों का अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट पेश की जायेगी, ऐसी जानकारी है.

  • सौम्य लक्षण रहनेवाले मरीजों पर भी आजमाया जायेगा तरीका

इस जांच पध्दति के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. राजेश गोसावी ने बताया कि, जिनकी आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आकर 48 घंटे से कम समय हुआ है और जिनकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच है, ऐसे मरीजों पर ही नई पध्दति के जरिये जांच की जायेगी.

  • ऐसे होगी जांच

डॉ. गोसावी ने बताया की स्टैण्डर्ड केयर के अनुसार इस जांच में शामिल होनेवाले दो दल तैयार किये जायेंगे. जिसमें से एक गुट में शामिल मरीजों को नाईट्रिक ऑक्सीड का नेजल स्प्रे तथा दूसरे गुट में शामिल मरीजों को प्लैसेबो यानी किसी भी तरह की दवा नहीं रहनेवाला नेजल स्प्रे दिया जायेगा. मरीज को अपने घर पर ही रहते हुए पांच दिनों तक रोजाना 6 समय अपनी नाक में यह स्प्रे करना होगा. जिसके बाद मरीजों की जांच करते हुए निष्कर्ष निकाले जायेंगे.

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