पुलिस से गडरेल को 3 दिन पहले ही मिल गई थी रैली निकालने की अनुमति
अनुमति नहीं मिलने को लेकर किया भ्रामक प्रचार
* सोशल मीडिया पर वीडियो किया था वायरल
* अनुमति को लेकर धार्मिक भावनाएं भडकाने का प्रयास
* अनुमति लाने को लेकर राजनीति चमकाने की भी कोशिश
* पूरी नौटंकी का हुआ पर्दाफाश, अनुमति वाले पत्र आए सामने
परतवाडा/दि.30 – खुद को भारतीय जनता पार्टी का जिला उपाध्यक्ष बताने वाले एड. प्रमोदसिंह गडरेल ने कल बुधवार 29 मार्च की शाम सोशल मीडिया पर अपने द्बारा जारी वीडियो संदेश में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि, परतवाडा पुलिस ने उन्हें 30 मार्च को रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने हेतु अनुमति देने से इंकार कर दिया है. हालांकि इसके दो घंटे बाद प्रमोदसिंह गडरेल एक बार फिर सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश के जरिए अवतरीत हुए और उन्होंने बताया कि, उन्होंने अपने राजनीतिक रसुख व पहुंच का इस्तेमाल करते हुए पुलिस की अनुमति प्राप्त कर ली है. लेकिन अब यह जानकारी सामने आई है कि, हकीकत में पुलिस द्बारा तो 27 मार्च को ही गडरेल के शक्ति फाउंडेशन को रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे दी गई थी. ऐसे में अब जुडवा शहरवासियों द्बारा यह सवाल पूछा जा रहा है कि, जब अनुमति पहले ही मिल गई थी, तो गडरेल द्बारा अनुमति नहीं मिलने और अनुमति प्राप्त करने हेतु राजनीति दबाव लाने की बात क्यों कहीं गई.
बता दें कि, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष व शक्ति फाउंडेशन के अध्यक्ष एड. प्रमोदसिंह गडरेल ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि, वे रामनवमी के पर्व पर 30 अप्रैल को पेंशनपुरा परिसर से भव्य रैली निकालने वाले है. जिसमें भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले भी उपस्थित रहेंगे. वहीं बीती शाम एड. गडरेल ने सोशल मीडिया पर अपना वीडियो संदेश जारी करते हुए बताया कि, परतवाडा पुलिस द्बारा उन्हें रामनवमी पर रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में रैली का आयोजन रद्द किया जा रहा है. इसे लेकर परतवाडा व अचलपुर में रहने वाले लोगों में परतवाडा पुलिस प्रशासन के प्रति अच्छा खासा गुस्सा भी फैल गया था. वहीं बीती रात ही अपना पहला वीडियो जारी करने के करीब 2 घंटे बाद प्रमोद गडरेल ने अपना दूसरा वीडियो जारी करते हुए बताया कि, जिले के एक जनप्रतिनिधि के मार्फत उन्होंने यह मामला सीधे राज्य के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक पहुंचाया और फडणवीस द्बारा जिला पुलिस प्रशासन सहित परतवाडा पुलिस को जमकर आडे हाथ लिए जाने के बाद पुलिस ने उन्हें रैली निकालने की अनुमति दी है. जिसके चलते वे 30 मार्च को परतवाडा के पेंशनपुरा से भव्य रैली निकालने वाले है. लेकिन इसे लेकर खबरे सामने आने के बाद जब प्रस्तूत प्रतिनिधि ने पूरे मामले को लेकर अपने स्तर पर पडताल की, तो पता चला कि, परतवाडा पुलिस ने विगत 27 मार्च को ही प्रमोदसिंह गडरेल को उनके द्बारा किए गए आवेदन के आधार पर रामनवमी पर 30 मार्च को रैली निकालने की अनुमति दे दी थी. साथ ही यह भी कहा था कि, चूंकि इस समय जिले में बोर्ड परीक्षाओं एवं विभिन्न धार्मिक त्यौहारों के चलते जमावबंदी संबंधी प्रतिबंधक धाराएं लागू है. अत: रैली निकालते समय सभी प्रतिबंधक नियमों व शर्तों का कडाईपूर्वक ख्याल रखा जाए. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब परतवाडा पुलिस ने विगत 27 मार्च को ही रैली निकालने हेतु अपनी अनुमति प्रदान कर दी थी, तो दो दिन बाद 29 मार्च की शाम प्रमोदसिंह गडरेल ने पुलिस द्बारा अनुमति नहीं दिए जाने से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर क्यों वायरल किया और जब पहले से अनुमति जारी हो चुकी थी, तो फिर तथा कथित रुप से डेप्यूटी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किस बात के लिए जिला प्रशासन को आडे हाथ लिया और गडरेल को किस बात की अनुमति दिलाई. यह तमाम सवाल ऐसे है, जिनके जवाबों को खोजा जाना बेहद जरुरी है. क्योंकि इस पूरी नौटंकी के पीछे कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर अपनी राजनीति को चमकाने और अपने राजनीतिक कद को बढाने के प्रयास जुडे हुए है. साथ ही ऐसा करते समय इस बात का कोई एहसास नहीं रखा गया कि, बेहद संवेदनशील माने जाते अचलपुर व परतवाडा में ऐसी कोशिशों के परिणाम कितने भयानक भी हो सकते है.
उल्लेखनीय है कि, जुडवा नगरी के रुप में विख्यात अचलपुर व परतवाडा में धार्मिक उन्माद को भडकाने के लिए एक छोटी सी चिंगारी भी काफी है. ऐसे में समाज के विभिन्न तबको के समझदार और अमन पसंद लोग जुडवा शहर में कानून व व्यवस्था की स्थिति के साथ ही अमन व शांती तथा धार्मिक व सामाजिक सौहार्दवाला वातावरण बनाए रखने का प्रयास हमेशा ही करते रहते है. लेकिन बावजूद इसके कई बार वोटों के गणित और राजनीतिक नफा-नुकसान को ध्यान में रखने वाले लोग अपने फायदे के लिए सारे किए धरे पर पानी फेर देते है ताजा मामले को देखते हुए चर्चा चल रही है कि, जिस समय प्रमोद गडरेल ने परतवाडा पुलिस द्बारा रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने के संदर्भ में अनुमति नहीं दिए जाने का वीडियो जारी किया था, तो यह वीडियो जुडवा शहर में जंगल की आग की तरह फैला और देखते ही देखते वायरल हो गया. इस वीडियो को देखकर क्षेत्र के हिंदू समाज में परतवाडा पुलिस को लेकर काफी हद तक गुस्से व शोक की लहर भी व्याप्त हो गई थी. जो एक हद तक लाजिम भी थी. क्योंकि यह उनकी धार्मिक आस्था से जुडा मामला था. लेकिन आम लोगों को यह बात पता ही नहीं थी कि, हकीकत में परतवाडा पुलिस ने दो दिन पहले ही रामनवमी की शोभायात्रा हेतु आवश्यक अनुमति जारी कर दी है. ऐसे में लोगों के बीच एक झूठ परोसते हुए गुस्से की लहर फैलाने के बाद इसका फायदा उठाने हेतु प्रमोदसिंह गडरेल ने दो घंटे पश्चात अपना दूसरा वीडियो वायरल किया. जिसमें कहा गया कि, परतवाडा पुलिस द्बारा अनुमति देने से इंकार किए जाने की शिकायत उन्होंने एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के मार्फत राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की थी. जिसके चलते उन्हें रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति मिली है. इस जरिए संभवत: प्रमोदसिंह गडरेल ने यह दर्शाने का प्रयास किया कि, उनकी पहुंच सीधे राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तक है और वे पुलिस की ऑर्डर को बदलने का रसुख भी रखते है. जबकि हकीकत यह थी कि, ऐसा करने की कोई जरुरत ही नहीं थी. क्योंकि गडरेल को रैली निकालने की अनुमति तो पहले ही मिल चुकी थी.
* अनुमति के लिए राजनीतिक दबाव का कोई मतलब ही नहीं
परतवाडा पुलिस द्बारा रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने को अनुमति दिए जाने से मना करने संबंधी खबर सामने आने पर प्रस्तूत प्रतिनिधि ने जब परतवाडा के थानेदार संदीप चव्हाण से आज सुबह 10 बजे जानकारी हेतु संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि, परतवाडा थाने में शक्ति फाउंडेशन की ओर से एड. श्यामसिंह जियालाल गडरेल (33, अंबिका नगर) द्बारा विगत 25 फरवरी को रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने के लिए अनुमति मिलने हेतु आवेदन किया गया था. जिसे स्वीकार करते हुए सभी आवश्यक पडताल करने के बाद परतवाडा पुलिस ने विगत 27 मार्च को शक्ति फाउंडेशन को प्रचलित नियमों के तहत 30 मार्च को रामनवमी पर शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे दी थी. जब थानेदार चव्हाण से यह पूछा गया कि, क्या रामनवमी पर रैली निकालने हेतु अनुमति लेने के लिए पुलिस पर कोई राजनीतिक दबाव डाला गया था, तो थानेदार चव्हाण ने कहा कि, सभी शहरों में रामनवमी जैसे पर्व पर शोभायात्रा व रैली का आयोजन होता ही है और आम परिस्थितियों में पुलिस द्बारा इसके लिए प्रचलित नियमों के तहत अनुमति प्रदान की ही जाती है. इसमें कहीं से कोई राजनीतिक दबाव आने का सवाल ही नहीं उठता. हमें शक्ति फाउंडेशन की ओर से रैली निकालने के लिए आवेदन मिला था. हमने अपनी ओर से पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए 27 मार्च को अपनी अनुमति प्रदान कर दी. साथ ही आवश्यक निर्देश भी दिए. इसमें कहीं पर भी कोई राजनीतिक हस्तक्षेप या दबाव का कोई मसला ही नहीं था.
बॉक्स/फोटो- संजय जोशी के दूसरे मेल पर
* गडरेल ने पालिका से अनुमति मांगी ही नहीं
वहीं इस पूरे मामले को लेकर की गई पडताल में सबसे रोचक जानकारी यह सामने आई कि, गडरेल बंधुओं द्बारा शक्ति फाउंडेशन की ओर से रामनवमी की शोभायात्रा के लिए अचलपुर नगरपालिका प्रशासन से कोई अनुमति मांगी ही नहीं गई. जबकि ऐसे आयोजनों के लिए पुलिस के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन से भी अनुमति लेनी पडती है. जिसके अनुसार बैनर-पोस्टर लगाने की अनुमति दी जाती है. साथ ही रैली के आयोजकों से रैली के दौरान सडकों पर गंदगी नहीं करने की गारंटी भी प्रशासन द्बारा लिखवाकर ली जाती है. लेकिन गडरेल बंधुओं ने रामनवमी पर शहर में बैनर, पोस्टर, होर्डिंग व फ्लैक्स लगाने की कोई अनुमति पालिका प्रशासन से प्राप्त ही नहीं की.
इस संदर्भ में प्रस्तुत प्रतिनिधि ने अचलपुर नगरपालिका के बाजार प्रमुख गौरव लोंधे व इंजि. गोठवाल से बातचीत करने के साथ ही मुख्याधिकारी राजेंद्र फातले से जानकारी हेतु संपर्क किया, तो बताया गया कि, श्यामसिंह गडरेल नामक व्यक्ति द्बारा उन्हें जुडवा शहर में स्थित विवादित स्थलों की जानकारी देने के संदर्भ में आवेदन दिया गया था. चूंकि ऐसे स्थलों की सूची बनाने और जानकारी देने का काम पुलिस विभाग का होता है. अत: इस बारे में आवेदक को यानि श्यामसिंह गडरेल को लिखित पत्र द्बारा सूचित कर दिया गया था. इसके अलावा श्यामसिंह गडरेल अथवा शक्ति फाउंडेशन की ओर से अन्य कोई आवेदन नहीं आया. ऐसे में शक्ति फाउंडेशन को पालिका प्रशासन द्बारा बैनर, पोस्टर, होर्डिंग व फ्लैक्स लगाने की अनुमति भी नहीं दी गई.
यहीं पर एक और सवाल पैदा होता है कि, जब किसी भी धार्मिक आयोजन के लिए शहर में बैनर, पोस्टर लगाने हेतु पालिका प्रशासन से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होता है, तो गडरेल बंधुओं ने यह अनुमति प्राप्त करना जरुरी क्यों नहीं समझा और जब अनुमति ही नहीं मांगी गई, तो अनुमति नहीं मिलने का रोना भी क्यों रोया जा रहा है. साथ ही इसमें राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम घसीटकर अचलपुर व परतवाडा की जनता के सामने क्या साबित करने का प्रयास किया जा रहा है. इन तमाम सवालों और बातों को लेकर इस समय जुडवा शहर के बाशिंदो में चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है.