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लगातार हो रही दरवृद्घि से जनसामान्य का बजट गडबडाया
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महंगाई आसमान छू रही, जीवनावश्यक वस्तुओं की दरें बढी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१२ – विगत माह करीब 10 से 15 दिनों तक एक ही स्तर पर स्थित रहने के बाद अब पिछले 8 दिनों से पेट्रोल व डीजल की दरें एक बार फिर बढने शुरु हो गई है और रोजाना पेट्रोलियम पदार्थों में थोडी-थोडी दरवृद्धि हो रही है. जिसके चलते अब पेट्रेाल 111.90 रुपए तथा डीजल 102.55 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गये है. बता दें कि, यह पेट्रोल व डीजल की अब तक की सबसे अधिक दरे ंहै और यह पेट्रोलियम पदार्थों की दरों की अब तक की सबसे उच्चतम स्तर है.
पेट्रोलियम पदार्थ वितरकों के मुताबिक इस समय अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी है और वर्ष 2014 के बाद इस समय क्रूड ऑईल की कीमतें उच्चतम स्तर पर है. जिसकी वजह से पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में जबर्दस्त तेजी देखी जा रही है. इस समय अंतराष्ट्रीय बाजार में कू्रड ऑईल की कीमत 78.17 डॉलर प्रति बैरल हो चुकी है. यह विगत 7 वर्षों के दौरान सबसे उच्चतम दाम है. वहीं ब्रेंट टूड की कीमत प्रति बैरल 81 डॉलर हो चुकी है. ज्ञात रहे कि कोविड संक्रमण काल की वजह से खनिज तेलों का उत्पादन कम हो गया था. जिसे तत्काल बढाना संभव भी नहीं. वहीं कोविड काल के बाद पेट्रोलियम पदार्थों की खपत में अकस्मात वृद्धि हो गई है. ऐसे में अनुमान जताया जा रहा है कि, आगामी डिसंबर माह तक ब्रेंट टूड के दाम प्रति बैरल 90 डॉलर तक पहुंचेंगे. यदि ऐसे ही हालात बने रहते है, तो आगामी कुछ दिनों में पेट्रोल व डीजल के दाम और अधिक बढ सकते है. यहा यह विशेष उल्लेखनिय है कि, बीते एक सप्ताह के भीतर पेट्रोल व डीजल के दामों में करीब 6 बार इजाफा हुआ है और अब तक 100 रुपए से कम के स्तर पर रहने वाले डीजल में अब सैकडें का स्तर पार कर लिया है. जिसके ओर अधिक उछाल भरने का पूरा अनुमान है.
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महंगाई छू रही आसमान
डीजल में दरवृद्धि होते ही सार्वजनिक परिवहन, मालढुलाई की दरें भी बढ गई है. साथ ही टैक्टरों व मशीनों के जरीए खेती करने वाले किसानों को भी इस दरवृद्धि का फटका बैठ रहा है. मालढुलाई की दरें बढने की वजह से इसका सीधा असर किराणा व अनाज की दरों पर पडने लगा है और ऐन दशहरा व दिवाली जैसे त्यौहारों के मुहाने पर जीवनावश्यक वस्तु की दरों में जबर्दस्त तेजी देखी जा रही है. जिसकी वजह से आम नागरिकों का बजट पूरी तरह से गडबडा गया है.
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करो की दरें कम करना जरुरी
बता दें कि, पेट्रोल व डीजल पर केंद्र एवं राज्य सरकार द्बारा अलग-अलग कर लगाये जाते है और भारी भरकम करों की वजह से भी पेट्रोल व डीजल काफी हद तक महंगे है. यदि पेट्रोलियम पदार्थों पर करों की दरों को घटाया जाए, तो इससे आम लोगों को काफी राहत मिल सकती है. यहीं वजह है कि, विगत लंबे समय से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाये जाने की मांग भी की जा रही है. ताकि पूरे देश में पेट्रोलियम पदार्थों की दरें एक समान हो, किंतु इससे लेकर राज्य सरकारों व केंद्र सरकार के बीच आम सहमति नहीं बन पा रही.