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पेट्रोल पंप संचालक मुकुंद अग्रवाल ने खुद पर पेट्रोल उंडेला

मामला अतिक्रमण अवैध निर्माण और सडक चौडाईकरण का

  • अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के खिलाफ किया आत्महत्या का प्रयास

परतवाडा/अचलपुर/दि. २१ – जयस्तम्भ से लेकर गुजरी बाजार तक की बची हुई सडक के चौडाईकरण कार्य के लिए स्थानीय भारत पेट्रोलियम के पंप का कथित अतिक्रमण निकालने जब पालिका के अधिकारी दुरानी चौक के पेट्रोल पंप पर पहुंचे, तब संचालक मुकुंद मदनलाल अग्रवाल ने स्वयं के शरीर पर पेट्रोल डाल आत्महत्या करने का प्रयास किया. दुराणी चौक के नागरिको ने दौड-भागी की और ऐन वक्त पर पुलिस के पहुंचने से अनर्थ टल गया. परतवाडा शहर को ही बेचने को निकाल चुके नगराध्यक्ष और सीओ को यह त्रस्त नागरिको की ओर से चेतावनी कही जा रही है. बता दें कि, कुछ बरसो पूर्व परतवाडा स्थित पालिका मुख्यालय में आकर अचलपुर शहर के तांबी नामक युवक ने अपने शरीर को पेट्रोल से आग लगाकर स्वयं की प्राणलीला समाप्त कर ली थी. तांबी का वो मसला भी अवैध निर्माण को लेकर था, वहीं कल का मसला भी अतिक्रमित अवैध निर्माण को लेकर बताया जा रहा.
जानकारी के मुताबिक स्थानीय नगर पालिका के नगराध्यक्ष और सीओ को अब अपने शेष बचे हुए कार्यकाल में सडक निर्माण की याद आई और वो अब परतवाडा के मुख्य मार्ग को डिवाइडर युक्त बनाने में लगे है. अचलपुर शहर को तो परतवाडा जैसा खूबसूरत ये बना नही सकते, तो जो काला-कबाडा करना है, वो परतवाडा में करो और विकास का कमीशन लेकर अचलपुरी दडबे में ऐश करने के लिए यह सब ड्रामेबाजी इन दिनों देखने को मिल रही है.
बताया जाता है कि सडक निर्माण के लिए नपा निर्माण विभाग के लोग जब अग्रवाल के पंप पहुँचे, तब मुकुंद अग्रवाल ने स्वयं के शरीर पर तेल छिडक कर आत्महत्या करने का प्रयास किया. नपा निर्माण विभाग का दल पंप परिसर में लगे पेविंग ब्लॉक व अन्य कथित अतिक्रमण तोडने पहुंचा, तब अग्रवाल ने उक्त पूरी जमीन लीज पट्टे पर पंप हेतु आवंटित रहने कर बात कहते हुए खुद को खत्म करने का प्रयास किया. मुकुंद अग्रवाल ने नपा प्रशासन की तानाशाही और तुगलकी नीति का आज दिनदहाडे भंडाफोड करते हुए यह जानलेवा उग्र प्रदर्शन किया. लोग पूरे घटनाक्रम को देख हतप्रभ थे. पुलिस अग्रवाल को अपने साथ ले गई. देर शाम तक मामले को लेकर कार्यवाही जारी थी.
जानकारी के मुताबिक तत्कालीन नगराध्यक्ष अरुण वानखडे के कार्यकाल में जयस्तंभ से लेकर गुजरी तक की सडक पर डिवाइडर लगाने का कार्य पारित हुआ था. उसी समय स्थानीय शिवसेना का गढ कहा जाता शिव गणेश मंदिर को भी पीछे हटाकर सडक चौडी की गई थी. इस सडक निर्माण में कोर्टबाजी होने से मामला खटाई में पडा था. पूरी तरह से मेन रोड की सडक का श्रेय अरुण वानखडे को दिया जा सकता है. वर्तमान नगराध्यक्ष और सीओ को सिर्फ कागज पर सडक दिखाकर बिल निकालने की जल्दी है. नपा के कुछ स्वीकृत मेंबर नपा कार्यालय में चिल्ला-पुकार कर कहते दिखाई दे रहे कि विकास में यदि कोई अडंगा डालेगा, तो सहन नहीं किया जायेगा. यह शोध का विषय है कि विकास सडक या शहर का हो रहा है अथवा नगराध्यक्ष और सीओ को स्वयं के विकास की फिक्र सता रही है.
पेट्रोल पंप पर अग्रवाल के इस उग्र प्रदर्शन से पूर्व इसी दुराणी चौक पर अंकित जैस्वाल द्वारा किये गए दुग्ध डेयरी के अवैध निर्माण को लेकर पार्षद असलम वंजारा ने सीओ राजेन्द्र फातले को खूब खरी-खोटी सुनाई थी. पार्षद असलम का कहना था कि पहले दुराणी चौक पर जैस्वाल का अवैध निर्माण हटायें और बाद में सडक बनाये. सीओ और वंजारा के बीच जब आमने-सामने यह विवाद चल रहा था, तब वहां पार्षद नरेंद्र फिस्के पहुंचे और उन्होंने सीओ का पक्ष लेते हुए इस विवाद में खुद की एंट्री भी ले ली. फिस्के ने वंजारा को चेतावनी देते हुए कहा कि याद रखना, विकास में अडंगा बर्दाश्त नही किया जायेगा, अतिक्रमण का मुद्दा अलग है और सडक निर्माण अलग. वहीं सीओ फातले ने वंजारा से कहा कि अवैध निर्माण को गिराने का काम एसडीओ का है. तब असलम ने कहा कि जिस दिन जैस्वाल ने यह निर्माण शुरू किया था, उस पहले दिन से मैं आपको शिकायत कर रहा हूँ. नपा की बगैर अनुमति के कोई व्यक्ति अवैध निर्माण करता है, तो उसे एसडीओ कैसे गिराने आयेगा. एक प्रकार से कल वंजारा से बहस के समय सीओ ने स्पष्ट रूप से संदेश ही दिया कि शहर में कोई भी हमसे मिलीभगत कर अवैध निर्माण कर सकता. निर्माण को गिराने के लिए हम (सीओ, इंजीनियर और टीपी) एसडीओ को अधिकार है, यह बहाना कर लेंगे. तीखी बहस के बाद कल नपा प्रशासन ने एसडीओ को पत्र लिखकर उक्त जैस्वाल के अतिक्रमण के बारे में सूचना दी है. जागरूक और नियमों का पालन करते नागरिकों को अपने सपने का घर बनाने के लिए नपा में नक्शा पारित करना पडता है, तब कहीं जाकर वो अपना घर बना पाता है. अचलपुर-परतवाडा के सभी सम्पत्तिधारक यह नपा के साथ ही नझुल का टैक्स भी भरते है. फिर कोई भी अवैध निर्माण गिराने के लिए नपा के सीओ को एसडीओ ही क्यों याद आते हैं, इस प्रश्न का जवाब ढूंढे से भी नही मिल रहा.
जानकार लोगो का कहना है कि जो पक्का-कच्चा निर्माण नगर पालिका की बगैर अनुमति के किया गया, उसे नपा प्रशासन कभी भी ढहा सकता है, इसके लिए उसे एसडीओ के पास जाने की जरूरत ही नही पडती. जमीन अथवा भूखंड नझुल, सरकार अथवा खुद के स्वामित्व का ही क्यो ना हो, अवैध निर्माण को गिरा देने का अधिकार नपा प्रशासन को प्राप्त है. लेकिन दुराणी चौक पर अंकित जैस्वाल के अवैध निर्माण को गिराने के लिए नपा सीओ को एसडीओ की जरूरत है, सिर्फ एसडीओ ही यह निर्माण गिरा सकते. दूसरी ओर नगर पालिका के सीओ पीडब्ल्यूडी के मालकी की सर्किट हाउस रोड के अतिक्रमण को हटाने पहुंच जाते है. सर्किट हाउस की सडक नपा सीओ की व्यक्तिगत मिल्कीयत नहीं, जो दूसरे के अधिकार क्षेत्र में जाकर ये हस्तक्षेप करे. दुराणी चौक का अवैध निर्माण एसडीओ हटाएगा और पीडब्ल्यूडी का अतिक्रमण हम गिरा देंगे. इस प्रकार अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मुद्दे पर स्वयं को मानसिक रूप से दिवालिया बताकर नपा पदाधिकारी और सीओ सिर्फ मलीदा खाने का ही काम कर रहे है.

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