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कोविड के इलाज से हटाई गई प्लाज्मा थेरेपी

एम्स् व आयसीएमआर ने जारी की नई गाईडलाईन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – फिलहाल चल रहे कोविड संक्रमण के खतरे के बीच आयसीएमआर और एम्स् ने प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एक बडा फैसला लेते हुए नई गाईडलाईन जारी की है. जिसमें प्लाज्मा थेरेपी को कोविड संक्रमितों की उपचार प्रक्रिया से हटा दिया गया है. क्योंकि अब तक अनुभवों को देखते हुए पाया गया कि, कोविड संक्रमित मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी प्रभावित साबित नहीं हुई है और कई मामलोें में इसका अनुचित इस्तेमाल भी हुआ है. इसके अलावा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी मानना रहा कि, प्लाज्मा थेरेपी महंगी रहने के साथ ही इसकी वजह से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर काम का अनावश्यक बोझ बढ रहा है, जबकि इससे मरीजों को ठीक होने में कोई मदद भी नहीं मिल रही. ऐसे में अब कोविड संक्रमण के इलाज से प्लाज्मा थेरेपी को हटा देने का निर्णय लिया गया है.
ऐसे में हमने स्थानीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों और कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज करनेवाले डॉक्टरों से इस संदर्भ में उनकी प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो अधिकांश का कहना यहीं रहा कि, शुरूआती दौर में कोविड संक्रमित मरीजों का किस पध्दति से इलाज किया जाये. यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं था. ऐसे में एंटीवायरल व एंटी बैक्टेरियल दवाईयों के साथ ही रेमडेसिविर व टोसिलीजुमैब जैसे इंजेक्शनों और प्लाज्मा थेरेपी जैसे पर्याय का उपयोग करके देखा गया, किंतु कालांतर में मिले अनुभवोें से यह साबित हुआ कि, सभी मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं है. साथ ही प्लाज्मा थेरेपी तो बिल्कुल भी कारगर नहीं है. ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया गया है.

 

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  • कोविड के इलाज में प्लाज्मा का कोई रोल ही नहीं

कोविड संक्रमित मरीज का इलाज करने या उसकी जान बचाने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का कोई रोल ही नहीं है. यह बात रेमडेसिविर इंजेक्शन पर भी लागू होती है. हमने अपने कोविड अस्पताल में विगत छह माह के दौरान एक भी मरीज को प्लाज्मा नहीं चढाया. साथ ही बेहद जरूरी रहने पर ही मरीजों को रेमडेसिविर का इंजेक्शन दिया जाता है और इन छह माह के दौरान हमारे अस्पताल में भरती होनेवाले मरीजों में से केवल एक मरीज की ही मौत हुई है. वह मरीज भी कोविड के साथ-साथ हृदय संबंधी बीमारियों से पीडित था. ऐसे में सभी को यह समझना होगा कि, फिलहाल कोविड के खिलाफ कोई निश्चित उपचार पध्दति उपलब्ध नहीं है और उन्हें केवल उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाकर ही बचाया जा सकता है.
डॉ. प्रफुल्ल कडू
संचालक, गुरूकृपा व रिम्स् हॉस्पिटल

 

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  • कोई खास कारगर नहीं प्लाज्मा थेरेपी

अब तक के अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि, कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कोई खास कारगर या उपयोगी नहीं है. बल्कि इससे मरीजों पर रिएक्शन होने का भी खतरा हो सकता है. इस बात के मद्देनजर हमने छह माह पहले से प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग करना बंद कर दिया है. यहां तक की मैने खुद कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद प्लाज्मा लगवाने से मना कर दिया था. एक बात सभी को समझनी होगी की कोविड संक्रमण के खिलाफ अब तक निश्चित तौर पर कोई कारगर दवाई उपलब्ध नहीं हुई है. इसीलिए अब तक हर संभावित पर्याय पर अमल किया गया है और उन अनुभवों को देखते हुए निष्कर्ष निकाले गये है.
– डॉ. विजय बख्तार
संचालक, बख्तार हॉस्पिटल व रिम्स् हॉस्पिटल

बॉक्स, फोटो डॉ. सोहेल बारी

  • एक साल से किसी मरीज को नहीं लगाया प्लाज्मा

कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद हर मरीज के शरीर में तीन-चार दिनोें के दौरान एंटीबॉडीज् विकसित होना शुरू हो जाती है. ऐसे में किसी अन्य कोविड मुक्त मरीज का प्लाज्मा चढाने की कोई जरूरत ही नहीं होती. हमने समूचे विदर्भ क्षेत्र में सबसे पहले निजी कोविड अस्पताल एक साल पहले खोला था और आज तक केवल एक मरीज को उसके परिजनों के आग्रह पर प्लाज्मा दिया गया था. उस मरीज को भी बचाया नहीं जा सका. इसके अलावा हमने आज तक किसी भी अन्य मरीज को प्लाज्मा नहीं चढाया.
– डॉ. सोहेल बारी
संचालक, बेस्ट कोविड हॉस्पिटल

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  •  मरीज की स्थिति पर निर्भर होता है सब

किसी भी कोविड संक्रमित मरीज की संक्रमण की चपेट में आने के बाद यदि पहले सात दिन के भीतर स्थिति चिंताजनक रहती है, तो ही उसे प्लाज्मा दिये जाने की जरूरत पडती है. ऐसे मरीजों की संख्या बेहद कम होती है. सात दिन के बाद किसी भी मरीज को प्लाज्मा चढाये जाने की जरूरत ही नहीं पडती. किंतु विगत कुछ दिनों में प्लाज्मा को लेकर काफी पैनिक माहौल बन गया था.
डॉ. अरूण हरवानी
संचालक, महेश भवन कोविड हॉस्पिटल

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