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शहर में शुरु हुई पुलिस की ट्रेनिंग

दफा 302 की बजाय लगेगी 103 (1)

* 1 जुलाई से भादंवि की जगह न्याय संहिता
* अनेक धाराओं में बदलाव, गवाही कानून में भी परिवर्तन
अमरावती/दि.22 – आगामी 1 जुलाई से अपराध जगत में भी बडा बदलाव होने जा रहा है. भारतीय दंड संहिता और भारतीय गवाही कानून के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरी सुरक्षा संहिता सहित बीएसए की धाराएं किसी भी अपराध के प्रकरण में दर्ज की जाएगी. उस मुताबिक कार्रवाई कानून के अधिकारी और कर्मचारी करेंगे. इसकी ट्रेनिंग आज से आयुक्तालय क्षेत्र में पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को देना शुरु हो गया है. विधि अधिकारियों के अलावा नई लागू होने जा रही न्याय संहिता की धाराओं की अच्छी पढाई कर आये एपीआई सहारे, एपीआई रितेश राउत और पीएसआई लोकडे आदि दे रहे हैं. नये बदलाव के मुताबिक किसी की हत्या के मामले में भादंवि 302 की बजाय अब न्याय संहित की धारा 103 (1) के तहत अपराध दर्ज होगा और कोर्ट में भी इसी धारा के तहत मुकदमा चलेगा.
* अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदल
विधि क्षेत्र के अधिकारी और जानकारों का कहना है कि, ब्रिटीश शासनकाल से चले आ रहे कानूनों में नरेंद्र मोदी सरकार ने बडा परिवर्तन किया है. सरकार का इरादा गुन्हगारों को सजा दिलाया और लोगों को न्याय देने का है. इसलिए भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरी सुरक्षा संहिता में बदला गया है.
* आईपीसी की जगह बीएनएस
अब तक इंडियन पीनल कोड कहा जाता था. अब उसके स्थान पर बीएनएस अर्थात भारतीय न्याय संहिता की व्यवस्था की गई है. आईपीसी में 511 धाराएं थी. बीएनएस में 358 धाराएं हो गई है. ऐसे ही भारतीय सबूत कानून को बीएसए में बदला गया है. 17 नये कानून जोडे गये हैं. सीआरपीसी अब बीएनएसएस बन गया है. सीआरपीसी में 484 धाराएं थी. बीएनएसएस में बढकर 531 हो गई है.

– कुछ प्रमुख धाराओं का बदलाव
आईपीसी    बीएनएस
302        103 (1)
307        109
326        118 (2)
324        118 (1)
379        303
380        305
354         74
376          65 (1) (2)

* रेप की धारा को बदला गया
गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मोदी सरकार ने कानूनविदों की राय लेकर ब्रिटिशकालीन कानून में परिवर्तन किये हैं. जिससे हत्या की धारा 302 अब बीएनएस में 103 (1) हो गई है. ऐसे ही हत्या के प्रयास और चोरी-चकारी की धाराएं भी बदली जा रही है. 1 जुलाई से लागू होने वाली कानून की नई पुस्तक में बलात्कार की धारा 376 की बजाय अब 65 (1) (2) लागू होगी. इसी के तहत प्रकरण चलेंगे. सजा के प्रावधान कडे किये जाने का दावा भी जानकारों ने किया है.

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