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पीओपी की मूर्तियों पर ना लगाया जाये प्रतिबंध

श्री गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन ने की सरकार व प्रशासन से मांग

  • कलेक्ट्रेट पर ले जाया गया मूर्तिकारों का भव्य मोर्चा

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१९ – विगत कुछ वर्षों से पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरिस से मूर्ति निर्माण पर यदि केंद्रीय प्रदूषण मंडल द्वारा प्रतिबंध लगाया जाता है, तो इससे लाखों मूर्तिकार बेरोजगार हो जायेंगे. अत: सरकार एवं प्रशासन द्वारा पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध न लगाया जाये, क्योेंकि पीओपी से बननेवाली मूर्तियों की वजह से पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. इस आशय की मांग का ज्ञापन श्री गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन द्वारा जिलाधीश शैलेश नवाल के मार्फत सरकार एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियोें के नाम सौंपे गये ज्ञापन में की गई है.
अपनी इस मांग को लेकर श्री गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन द्वारा इर्विन चौक स्थित न्यु आजाद गणेशोत्सव मंडल से जिलाधीश कार्यालय तक विदर्भ स्तरीय मूर्तिकार बचाव मोर्चा निकाला गया. पश्चात एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा जिलाधीश शैलेश नवाल से मुलाकात करते हुए उन्हें अपनी मांगोें का ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन में कहा गया कि, प्लास्टर ऑफ पैरिस कोई रासायनिक प्रक्रियावाला पदार्थ नहीं है. बल्कि यह राजस्थान में पायी जानेवाली एक तरह की मिट्टी है, जिसका आम जनजीवन में भवन निर्माण से लेकर सडक निर्माण जैसे विभिन्न कार्यों में बडे पैमाने पर उपयोग होता है. यह मिट्टी मूर्तिकला के लिहाज से काफी उपयोगी है और इसके जरिये मूर्ति निर्माण का कार्य भी जल्दी होता है. साथ ही इस मिट्टी के जरिये बेहद आकर्षक व कलात्मक मूर्तियां बनायी जा सकती है. जिनकी स्थानीय ग्राहकों सहित विदेशों में भी भारी मांग होती है. ऐसे में पीओपी से बननेवाली मूर्तियोें की वजह से मूर्तिकारोें को बडे पैमाने पर रोजगार प्राप्त होता है. लेकिन विगत लंबे समय से पीओपी से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाये जाने की बात हो रही है. यदि ऐसा होता है, तो अमरावती सहित समूचे महाराष्ट्र व देश के लाखों-करोडों मूर्तिकारों का रोजगार छीना जायेगा. अत: सरकार द्वारा पीओपी से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए.
ज्ञापन सौंपते समय श्री गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष गजानन गुजरे, उपाध्यक्ष सुरेश चिल्होरकर, सचिव सचिन कोलेश्वर, सहसचिव गौरव चांदूरकर, कोषाध्यक्ष विजय गुजरे, सदस्य राहुल अजमीरे, विजय ढोले, चेतन डहाणे, निकेश सुर्यवंशी, अशोक रोतले, गणेश सोनोने, मनोज गोरूले, नरेश जोहरे, मदन गुजरे, किशोर गुजरे, दिनेश टेंभरे व भूषण प्रजापति सहित अनेकों मूर्तिकार उपस्थित थे.

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