अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – एक ओर आम जनता ईंधन दर वृध्दि से परेशान है, वहीं दूसरी ओर रसोई को लेकर गृहिणियों की चिंताएं भी बढ़ी है. मसालों में प्रमुख रुप से इस्तेमाल किये जाने वाली खसखस के दाम भी आसमान छू रहे हैं. यही नहीं, कपूर के दाम भी बढ़े हैं. हालांकि कुछ हद तक खाद्य तेल के दाम में कुछ हद तक गिरावट होने से थोड़ी राहत मिली है.
बता दें कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस दर वृध्दि से मध्यमवर्गियों की परेशानियां बढ़ी है, वहीं अब किराना बाजार में भी महंगाई झेलनी पड़ रही है. खसखस को लेकर महिलाओं की चिंताएं बढ़ी है. आमतौर पर खसखस का उपयोग दवाईयों के साथ-साथ मसालों के लिये भी किया जाता है. देश में खसखस की डिमांड ज्यादा रहती है, लेकिन इस बार कड़ी पाबंदियों के चलते खसखस का उत्पादन देशभर में नहीं लिया गया है. जिसके चलते चेकोस्लोवाकिया, तुर्कीस्थान, चीन में उत्पादित होने वाली खसखस पर ही देश निर्भर है. वास्तविक रुप से खसखस का उत्पादन मध्यप्रदेश,राजस्थान व उत्तर प्रदेश में किया जाता है. तीन राज्यों में खसखस का उत्पादन 4 हजार टन है. जबकि देश में इसकी डिमांड 20 से 25 हजार टन तक है. देश में उत्पादित होने वाली खसखस का प्रमाण कम रहने से बाहर से खसखस मंगाई जा रही है. वहीं इस बार कोरोना के चलते उत्पादन अधिक नहीं होने से बाजार में खसखस अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं है. इसलिए खसखस की कीमत बढ़ी है.
शहर के सुरेश किराना दुकान के संचालक मोहन मतलानी ने बताया कि खसखस के दाम फिलहाल 1500 से 1800 रुपए प्रति किलो है. जबकि इससे पहले 1200 से 1300 रुपए प्रति किलो थे. इसी तरह कपूर के दाम 1000 से 1600 रुपए प्रति किलो पहुंचा गया है. जबकि खाद्य तेल के 15 किलो वाले डिब्बा 2100 रुपए में मिल रहा है. खाद्य तेल के दाम में थोड़ी बहुत कमी देखी जा रही है. बादाम 650 से 700 रुपए प्रति किलो भाव है. कालीमूंछ चावल के दाम 6500 से 7000 हजार रुपए है. जबकि यह दाम पहले 4500 से 4800 रुपए थे. तुअर दाल के भाव 9000 से 9200 रुपए प्रति किलो है. पेट्रोल-डीजल में हुई दर वृद्धि के चलते किराना सामग्री के भाव में थोडा बहुत बढोत्तरी हुई है.