अमरावतीमुख्य समाचार

प्रतिभाताई ने की थी 34 दया याचिकाएं मंजुर

जीवनदान देने में रही तीसरे स्थान पर

  • ‘प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ किताब में उल्लेख

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१८ – देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद व पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बाद देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभाताई पाटील ने अपने कार्यकाल में सर्वाधिक दया याचिकाओं को मंजूरी प्रदान की थी. पूर्व महामहिम प्रणब मुखर्जी द्वारा लिखीत ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ नामक किताब में इस बात का उल्लेख किया गया है.
बता देें कि, प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते समय बिहार में घटित नरसंहार के आरोपियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किया था. वर्ष 1992 के दौरान बिहार के बारा गांव में 30 से अधिक सवर्णों की नक्सलवादियों द्वारा नृशंस तरीके से हत्या की गई थी. इस हत्याकांड के चार अपराधियों की दया याचिका पर फैसला करते हुए मुखर्जी ने उनकी सजा को बदल दिया था. इस संदर्भ में मुखर्जी ने अपनी किताब में कहा है कि, उन्होंने घटना के वक्त आरोपियों की मनस्थिति व हकीकत पर जोर दिया था. मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में 30 दया याचिकाओं को खारिज किया था और 4 दया याचिकाओं को मंजूरी दी थी. जिनके बारे में उन्होंने अपनी किताब में विस्ृतत जानकारी प्रस्तुत की है.
अब तक के राष्ट्रपतियों के सामने पेश हुई दया याचिकाओं और राष्ट्रपतियों द्वारा उन याचिकाओं पर लिये गये निर्णय की जानकारी भी पूर्व महामहीम की किताब में है. जिसके मुताबिक पूर्व महामहिम प्रतिभाताई पाटील ने वर्ष 2007 से वर्ष 2012 तक अपने कार्यकाल के दौरान 34 दया याचिकाओं को स्वीकार किया. वहीं केवल पांच दया याचिकाओं को खारिज किया था. इस मामले में वे तीसरे स्थान पर रही. उनसे पहले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 180 तथा डॉ. राधाकृष्णन ने 57 दया याचिकाओं को स्वीकार किया था.
बॉक्स
* वेंकटरमन ने खारिज की सर्वाधिक याचिकाएं, मुखर्जी दूसरे स्थान पर
राष्ट्रपति पद के कार्यकाल में अब तक सर्वाधिक 45 दया याचिकाओं को पूर्व महामहिम वेंकटरमन द्वारा खारिज किया गया है. जिनके बाद दूसरे स्थान पर प्रणब मुखर्जी का क्रमांक आता है. जिन्होंने अपने कार्यकाल में 30 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

Back to top button