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बैंक का निजीकरण रोका जाये, यही हमारी मुख्य मांग

पत्र परिषद में यूएफबीयू संयोजक सुभाष सामदेकर ने दी जानकारी

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 15  – युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक युनियन के बैनरतले आज व कल राष्ट्रीय बैंकों की ओर से बैंक के होने वाले निजीकरण को लेकर यह हड़ताल शांतिपूर्वक ढंग से की जा रही है. इस हड़ताल में 10 लाख बैंक कर्मचारी शामिल हुए हैं. यह जानकारी पत्र परिषद में यूएफबीयू संयोजक सुभाष सामदेकर ने दी. श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में यूएफबीयू संयोजक सुभाष सामदेकर ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकों के निजीकरण करने की होड़ में नजर आ रही है. बैंकों का निजीकरण होने से आमजनता की सुरक्षा भी दांव पर लग जायेगी. इस बार यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक युनियन की ओर से वेतन वृध्दि सहित अन्य मांगों को लेकर यह हड़ताल नहीं की जा रही है. बल्कि इस हड़ताल का मुख्य उद्देश्य सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण रोकना है. इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को मजबूत करने, उनका निजीकरण रोकने, बकाया कर्ज वसूली करें, लेकिन इसके लिये बैंकों का निजीकरण नहीं करना चाहिए. सभी बैंक ऑपरेटिंग लाभांश प्राप्त कर रही है. कार्पोरेट एनपीए/डिफॉल्टर की सूची प्रकाशित की जाये, निजीकरण करना यानि सीधे तौर पर नौकरी की सुरक्षा पर हमला करना है. देश में हाल की घड़ी में 21 निजी बैंक हैं. लेकिन इन बैंकों की कार्यप्रणाली संतोषजनक नहीं है. बैंकों के निजीकरण से रोजगार निश्चित तौर पर कम होगा. वर्ष 2003 से पीएसयू की बिक्री कर वर्ष 2020 तक 17.19 लाख पीएसयू कर्मचारियों ने नौकरी गंवा दी है. निजी क्षेत्र में आरक्षण का विचार नहीं किया जायेगा. इसलिए सरकारी बैंकों का निजीकरण कतई नहीं किया जाना चाहिए. यूएफडीयू युनिक की ओर से यह कहा गया कि जुलाई 1969 और वर्ष 1980 की देश की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये बैंकों को सार्वजनिक रखते हुए आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिये समर्थन किया जाये. बैंक ग्राहकों की सुरक्षा और हित का खयाल रखना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य है. ग्राहक भी बैंकों को अपनी जमापूंजी रखने के लिये सुरक्षित मानते हैं. इसलिए बैंकों का निजीकरण टाला जाये. ऐसी हमारी महत्वपूर्ण मांग है और इसी महत्वपूर्ण मांग को लेकर दो दिवसीय हड़ताल शांतिपूर्वक ढंग से की जा रही है.
पत्रकार परिषद में चंद्रकांत खानझोडे,पंकज गावंडे, दीपक उपाध्याय, मनोज वर्मा,अजय देशपांडे,निलेश सराड,आनंद खेडकर,अक्षय वेष्णव, सुनिल रेवस्कर, मंगेश पिंजरकर, सुरेश अंबर्ते,संदीप महल्ले, रुपेश राऊत,सागर झोड,सागर कोकाटे,राजेश शर्मा,संजय चौरसिया, महेश पिल्ले, रुपेश धोटे, मंगेश दुबले, अमित मोहकर, अरुण आठवले, अश्विन जांबुलकर, सुरेन्द्र रामटेके, महेन्द्र चौधरी आदि मौजूद थे.

 

  • पालकमंत्री को दिया निवेदन

केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करने की कोशिश की जा रही है. इस निजीकरण का यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से विरोध जताया जा रहा है. यह विरोध जताने के लिये 15 व 16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल की जा रही है. इस हड़ताल के मद्देनजर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकूर को निवेदन दिया गया. निवेदन में बताया गया कि बैंक का निजीकरण किये जाने से ग्रामीण शाखाएं बंद होगी. बैंकों का शहरों पर ज्यादा ध्यान होगा. सार्वजनिक बचत में अधिक जोखिम होगी. लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी आयेगी. सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिकों, पेंशन उपभोक्ताओं की आय में कमी आयेगी. कृषि कर्ज में कमी, छोटे किसान कृषि कार्यों से बेदखल होंगे, ग्राहकों पर सेवाशुल्क का अधिक भार बढ़ेगा, जनता की बचत पूंजी पर बड़े कार्पोरेट घरानों का कब्जा होगा, बेरोजगारों के लिये रोजगार के अवसर कम होंगे.इसलिए बैंकों का निजीकरण रोका जाये, इस मांग को लेकर फोरम की ओर से संजीव बंदलिश ने पालकमंत्री को निवेदन दिया.

 

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