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नई पाइप लाइन का प्रस्ताव उच्चाधिकार समिति के पास

मजीप्रा ने रेट घटने से अब बनाया 855 करोड का इस्टीमेट

* शहर की पेय जलापूर्ति- भाग- 1
अमरावती/ दि. 10– बार- बार पाइप लाइन फूटने और उसे बिछाए 30 वर्ष बीतने को आए होने से शहर के विभिन्न भागों में पेयजल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. उसका स्थायी हल नई पाइपलाइन बिछाने से ही होगा और लगातार बढती जनसंख्या तथा शहर के होते विस्तार के मद्देनजर आधुनिक उपकरण एवं तकनीकयुक्त उपाय योजना का 855 करोड 60 लाख तक लागत का प्रस्ताव जल संपदा विभाग को भेजा गया है. वह प्रदेश की उच्चाधिकार समिति के विचाराधीन है. ऐसी जानकारी महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के अभियंता अजय लोखंडे ने अमरावती मंडल को दी. उन्होंने केंद्र सरकार की अमृत- 2 योजना में प्रस्ताव और शहर की बारंबार खंडित होती जलापूर्ति के बारे में बतलाया.
* शहर का बडा एरिया परेशान
अमरावती शहर का बडा भूभाग विशेषकर अनेक बस्तियां अनेक दिनों से बार-बार अनियमित पेय जलापूर्ति के कारण हैरान परेशान हो रही है. उसी प्रकार नलों में पानी आने का समय अधिकांश बार देरी से होने के कारण भी लोगों का वक्त जाया हो रहा है. परिवार में बच्चे बूढे पानी को लेकर दिक्कत में आते हैं. महिला वर्ग का भी काफी समय पानी की व्यवस्था करने में जाया हो रहा है. इन सब विषयों को लेकर अमरावती मंडल ने अजय लोखंडे से बात की.
* बढी आबादी, शहर का विस्तार
लोखंडे से शहर में नियत समय पर जलापूर्ति नहीं होने के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि आबादी बढी है. जितनी आबादी का लक्ष्य रख जलापूर्ति योजना तैयार की गई थी. पाइप लाइन बिछाई गई थी. उससे अब पानी उपयोग करनेवाले दो गुना से अधिक हो गए हैं. उसी प्रकार शहर का विस्तार हो रखा है. एक तरफ नवसारी से आगे, दूसरी तरफ कठोरा ग्राम तक, तीसरी तरफ आउटर रिंग रोड अर्थात नये बायपास के पार भी और निंभोरा तक बस्तियां विस्तृत हुई हैं. वहां तक शुध्द पेयजल पहुंचाने का प्रयास मजीप्रा कर रहा है. इन्हीं कारणों से समय पर कई बार नलों में पानी नहीं आता. देरी हो जाती हैं.
* 26 टंकियों से सुबह 5 बजे से जलापूर्ति
लोखंडे ने बताया कि शहरी क्षेत्र में 26 टंकियों से तडके 5 बजे से जलापूर्ति बारी- बारी से की जाती है. उन्होंने बाकायदा नक्शा दिखलाकर बताया कि यह टंकियां विभिन्न भागों मेंं स्थित है. उसी प्रकार प्रत्येक क्षेत्र का जलापूर्ति का समय तय है. तडके शुरू होती जल सप्लाई का काम देखा जाए तो कुछ क्षेत्र में रात 10 बजे तक जारी रहता है. पानी छोडा जाता है.
* बिजली आपूर्ति का झटका
मजीप्रा अभियंता के मुताबिक सीमित स्टॉफ के बाद भी नियमित शुध्द पेयजल की आपूर्ति का प्रयास है. सिंभोरा बांध से लगभग 42 किमी की पाइप लाइन से होकर पानी शहर तक पहुंचता हैं.तपोवन स्थित जल शुध्दिकरण केंद्र पर पानी फिल्टर होकर टंकियों में बारी- बारी से भेजा जाता है. कहीं भी सिंभोरा हो या तपोवन, बिजली सप्लाई खंडित होते ही जलापूर्ति में डेढ घंटे का विलंब हो जाता है. जिससे रात्रि 10 बजे जिन इलाकों में नलों में जलापूति की जाती है, वह समय रात 12 बजे का हो जाता है. फिर भी प्राधिकरण के कर्मचारी जल ही जीवन है, यह सूत्र ध्यान में रखकर कार्य कर रहे हैं. अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन का प्रयास है. (जारी )

* पहले दिन में एक साथ आता था पानी
लोखंडे ने बताया कि 1986 की जनगणना के आधार पर मौजूदा जलापूर्ति स्कीम तैयार की गई थी. 1991 में सवा चार लाख की आबादी थी. बस्ती घनी थी. अब शहर का सतत विस्तार हो रहा है. हाल के वर्षो में यह विस्तार खूब फैला है. जिससे एक ही समय में जलापूर्ति संभव नहीं है. पहले दिन में एक साथ सभी भागों में पानी सप्लाई किया जाता था. अब शिफ्ट निहाय किया जाता है.

लोहे की कीमत घटी, लागत हुई कम
लोखंडे के अनुसार नई पाइप लाइन लोहे की रहेगी. उसका इस्टीमेट पहले 880 करोड आंका गया था. अब लागत कम होनेवाली है. क्योंकि लोहे के दाम कम हुए हैं. लगभग 25 करोड लागत कम होने जा रही है.

 

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