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पीएसआई मुले की आत्महत्या अब संदेह के घेरे में

 एक ऑडिओ क्लिप ने कुछ वरिष्ठाधिकारियों पर उठाई उंगली

  • मानसिक प्रताडना एवं तनाव सहित अवसाद का शिकार थे पीएसआई मुले

  • बिना गलती के अपने खिलाफ कार्रवाई होने तथा इंक्रीमेंट व प्रमोशन रोके जाने से थे क्षुब्ध

  • कई दिनों से काम पर भी हाजीर नहीं थे, स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर निकाली थी छुट्टी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.16 – शहर पुलिस आयुक्तालय अंतर्गत विभिन्न पुलिस थानों में काम कर चुके और फिलहाल फ्रेजरपुरा थाने में पदस्थ रहनेवाले पुलिस उपनिरीक्षक अनिल बंडोप्पा मुले द्वारा विगत 13 अगस्त को आत्महत्या कर ली गई. कठोरा नाका रिंग रोड परिसर में रहनेवाले पीएसआई अनिल मुले ने अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित गोल्डन लीफ मंगल कार्यालय के सामने स्थित लेआउट में जाकर नीम के पेड पर रस्सी बांधकर फांसी का फंदा बनाया और उससे लटककर खुद की जान दे दी. उस समय यद्यपि इस आत्महत्या की वजह ज्ञात नहीं हो पायी थी. किंतु अब एक ऑडिओ क्लिप वायरल होने के चलते यह स्पष्ट हो रहा है कि, पीएसआई अनिल मुले वरिष्ठाधिकारियों द्वारा की जा रही मानसिक प्रताडना की वजह से विगत कई दिनों से तनाव एवं अवसाद सहित निराशा के गर्त में फंसे हुए थे और संभवत: इसी के चलते उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया.
बता दें कि, पीएसआई मुले द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद उनके मोबाईल में दर्ज कॉल रिकॉर्डिंग की एक ऑडिओ क्लिप सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. जिसमें पीएसआई मुले हिंगोली जिलाधिकारी कार्यालय में बतौर जिला प्रशासन अधिकारी के रूप में कार्यरत अपने एक परिचित व्यक्ति से बात कर रहे है. यह कॉल पीएसआई मुले को उसी परिचित व्यक्ति द्वारा लगायी गई थी. जिसे रिसिव करने के बाद पीएसआई मुले ने उस व्यक्ति से बात करते हुए अपना पूरा दर्द बयान किया था. इस ऑडिओ क्लिप से साफ पता चलता है कि, बातचीत के शुरूआती दौर में पीएसआई मुले पूरी तरह खुलकर बात नहीं कर पा रहे है और अगले व्यक्ति द्वारा बार-बार सहानुभूतिपूर्वक पूछने और जीवन अनमोल रहने की समझाईश देने के बाद पीएसआई मुले का दर्द छलक पडता है. जिसके बाद वे कहते है कि, उनकी कोई गलती नहीं रहने के बावजूद वर्ष 2014 में घटित एक मामले को लेकर उनके खिलाफ दो बार दो अलग-अलग पुलिस उपायुक्तों (शशिकांत सातव व विक्रम साली) द्वारा नाहक ही दंडनीय कार्रवाई की गई. जिसकी वजह से उन्हें न तो अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय से रिलीव किया जा रहा है और न ही प्रमोशन दिया जा रहा है. जबकि उनका पुणे शहर पुलिस आयुक्तालय में पीआई पद पर प्रमोशन हो चुका था. इसके अलावा उनका एक इंक्रीमेंट भी काट दिया गया. जिससे वे काफी परेशान है. इसके बाद हिंगोली जिलाधीश कार्यालय में उच्च पदस्थ अधिकारी रहनेवाले उस परिचित व्यक्ति द्वारा पीएसआई मुले का ढांढस बंधाते हुए कहा जाता है कि, वह (मुले) किसी बात का बिल्कुल भी टेंशन न ले और जल्द ही इस बारे में वह व्यक्ति अमरावती आकर शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से बात करेगा. साथ ही अपने संपर्कों के जरिये पुलिस उपायुक्त विक्रम साली को समझाने के साथ ही अन्य कोई रास्ता भी खोजा जायेगा. उस व्यक्ति द्वारा पीएसआई अनिल मुले को तीन-चार दिनों का सब्र रखने और हौसला बनाये रखने की बात कही गई थी. किंतु शायद पीएसआई अनिल मुले की मानसिकता ऐसी तमाम बातों से काफी परे हो चुकी थी और बेहद निराशा व अवसाद में डूबकर उन्होंने विगत 13 अगस्त को एक आत्मघाती कदम उठा लिया.

  • परिजनों ने उठाई सघन जांच की मांग

वहीं दूसरी ओर पीएसआई मुले के भाई शिवकुमार बंडोप्पा मुले तथा रिश्तेदार चंद्रशेखर राजकुमार मोरखंडे ने इस मामले को लेकर नांदगांव पेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए सघन जांच करने की मांग की है. साथ ही कहा है कि, पुलिस द्वारा जप्त किये गये पीएसआई मुले के लैपटॉप को उनके परिजनों के सामने ही खोला जाये. इसके अलावा पंद्रह दिन पूर्व एक महिला द्वारा सिटी कोतवाली पुलिस स्टेशन के महिला शिकायत केंद्र में दर्ज करायी गई शिकायत की भी जांच की जाये. साथ ही मुले परिवार ने शहर पुलिस प्रशासन को आरोपों व सवालों के कटघरे में खडा करते हुए जानना चाहा है कि, शहर पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी जांच-पडताल के बिना वजह पीएसआई मुले की वेतनवृध्दि व प्रमोशन को क्योें रोका गया. साथ ही पुलिस निरीक्षक पुंडलीक मेश्राम व तत्कालीन पुलिस उपायुक्त शशिकांत सातव द्वारा पीएसआई मुले को बिना वजह नोटीस जारी करते हुए वेतन वृध्दि रोकने की क्या वजह थी. इसके साथ ही पीएसआई मुले के मोबाईल की पूरी जानकारी व सीडीआर को जांचे जाने की मांग करते हुए मुले परिवार ने यह अंदेशा भी जताया है कि, पीएसआई अनिल मुले ने अपने एक स्थानीय मित्र के साथ होटल व्यवसाय शुरू किया था, क्या उसमें उनके साथ कोई धोखा हुआ है, या फिर वे किसी तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हुए है.

 

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  •  सीपी डॉ. आरती सिंह ने जारी किये जांच के आदेश

– एसीपी गायकवाड द्वारा की जायेगी जांच

वहीं दूसरी ओर इस मामले के सामने आने और ऑडिओ क्लिप के वायरल होने के बाद शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने राजापेठ विभाग के एसीपी भारत गायकवाड को पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है. साथ ही पुलिस प्रशासन की ओर से यह स्पष्टीकरण भी दिया गया है कि, पीएसआई अनिल मुले को एक ही मामले में दो बार सजा नहीं दी गई, बल्कि अलग-अलग मामलों में अलग-अलग समय पर उनके खिलाफ कुल सात बार दंडात्मक कार्रवाई चार अलग-अलग वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई थी. ऐसे में बिना वजह नोटीस देने, इंक्रीमेंट रोकने तथा प्रमोशन रोकने का सवाल ही नहीं उठता. पुलिस प्रशासन द्वारा इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया गया कि, खुद पुलिस महासंचालक की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सौम्य दंडात्मक कार्रवाई का सामना करनेवाले किसी भी पुलिस अधिकारी व कर्मचारी का एक प्रमोशन रोका जाता है. इस बात का उल्लेख खुद पीएसआई मुले द्वारा उस ऑडिओ क्लिप में भी कही गई है. किंतु फिर भी इस पूरे मामले के साथ-साथ उस ऑडिओ क्लिप की भी फॉरेन्सीक जांच की जायेगी.

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