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पब्लिसिटी स्टंट साबित हुआ जबरन दुकाने खोलने का ऐलान

 जिला प्रशासन की चेतावनी ने दिखाया असर

  •  संभावित कार्रवाई के डर से किसी ने नहीं किया लॉकडाउन का उल्लंघन

  •  शहर के सभी व्यापारिक क्षेत्रों में छाया रहा सन्नाटा

  •  दूसरों को उकसानेवाले व्यापारी नेताओं के प्रतिष्ठान भी रहे बंद

  •  तीन दिन से चल रही ‘उचापती’ साबित हुई ‘टांय-टांय फिस्स’

अमरावती/प्रतिनिधि दि.2 – विगत दो तीन दिनों से शहर में कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हो गये थे, जो यहां के भोले-भाले व्यापारियों को जिला प्रशासन के खिलाफ भडकाते हुए लॉकडाउन संबंधी नियमोें का उल्लंघन करने और लॉकडाउन रहने के बावजूद अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने के लिए उकसा रहे थे. जिसके तहत लॉकडाउन विरोधी कृति समिती नामक आनन-फानन में बनाये गये संगठन द्वारा ऐलान किया गया था कि, यदि प्रशासन की ओर से सोमवार की शाम तक लॉकडाउन को रद्द नहीं किया जाता है, तो मंगलवार को शहर के सभी व्यापारियों द्वारा लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोला जायेगा. लेकिन यह ऐलान मंगलवार को उस समय पूरी तरह से टांय-टांय फिस्स साबित हुआ. जब मंगलवार की सुबह अमरावती शहर में जीवनावश्यक वस्तुओं की दुकानोें के अलावा कोई अन्य दुकान नहीं खुली और शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में सन्नाटा पसरा दिखाई दिया.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा 28 फरवरी तक लॉकडाउन लागू किया गया था. जिसे कोरोना के लगातार बढते खतरे को देखते हुए 8 मार्च तक आगे बढाया गया है. जिला प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमण के हालात को नियंत्रित करने हेतु लिये गये इस फैसले का शहर के कुछ व्यापारिक संगठनोें व नेताओं द्वारा विरोध किया जाने लगा. साथ ही प्रशासन के खिलाफ खुन्नस रखनेवाले कई लोगों ने इस विरोध को हवा देनी शुरू की. यहीं वजह रही कि, बीते रविवार को शहर के रामपुरी कैम्प परिसर में कुछ लोगों द्वारा व्यापारियों की एक बैठक बुलायी गयी थी. इसके साथ ही मीडिया के नाम बाकायदा प्रेस विज्ञप्ती जारी करते हुए खुला ऐलान किया गया था कि, मंगलवार को व्यापारियों द्वारा लॉकडाउन संबंधी नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलेंगे. जिसके बाद जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी गई कि, अगर किसी ने भी लॉकडाउन संबंधी नियमों का उल्लंघन किया और प्रतिबंधात्मक आदेश की अनदेखी करते हुए अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान खोले तो संबंधितोें के खिलाफ सख्त एवं कडी दंडात्मक व कानूनी कार्रवाई की जायेगी. जिलाधीश नवाल द्वारा दी गई इस चेतावनी का असर यह रहा कि, प्रशासनिक कार्रवाई के डर से मंगलवार को पूरे शहर में जीवनावश्यक वस्तुओं की दूकानोें के अलावा अन्य कोई दुकान या प्रतिष्ठान खोला ही नहीं. सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि, जिन व्यापारी नेताओं ने आगे-आगे करते हुए अन्य व्यापारियोें को लॉकडाउन का उल्लंघन करने को लेकर उकसाना शुरू किया था, वे भी प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन कर अपनी दुकानों को खोलने की हिम्मत नहीं कर पाये.

 

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 डरपोक हैं व्यापारी, अब कभी नहीं दूंगा साथ

विगत दो दिनों से शहर के ख्यातनाम उद्योजक व व्यवसायी नितीन मोहोड लॉकडाउन का विरोध करनेवाले व्यापारियोें का सिरमौर बने हुए थे और उनकी अगुआई में ही लॉकडाउन का उल्लंघन करने को लेकर अभियान चलाया जा रहा था. किंतु मंगलवार को जहां एक ओर लॉकडाउन का विरोध करनेवाले किसी भी व्यापारी ने अपने प्रतिष्ठान नहीं खोले. वहीं इस अभियान का नेतृत्व कर रहे नितीन मोहोड के भी व्यापारिक प्रतिष्ठान लॉकडाउन का पालन करते हुए पूरा दिन बंद रहे. इस संदर्भ में प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर नितीन मोहोड ने कहा कि, अमरावती शहर के व्यापारी काफी डरपोक है और उन्हें इस बात का बेहद अफसोस और पछतावा हो रहा है कि, उन्होंने ऐसे डरपोक ेलोगोें के लिए काम करने की सोची. साथ ही नितीन मोहोड ने यह भी कहा कि, उन्हें पूरी उम्मीद थी कि मंगलवार को शहर के अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान खुलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अपने खुद के प्रतिष्ठानों को बंद रखने के संदर्भ में नितीन मोहोड का कहना रहा कि, उनका व्यवसाय जिला प्रशासन के नियमों के साथ-साथ आबकारी नियमों के भी अंतर्गत आता है. और यदि वे लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपने प्रतिष्ठान को खोलते, तो इससे उनके परमीट रूम व बीयरबार का लाईसेन्स ही कैन्सल हो सकता था, लेकिन यदि कोई मोबाईल शॉप या कपडा प्रतिष्ठान जैसा प्रतिष्ठान खुलता तो ज्यादा से ज्यादा धारा 188 के तहत नोटीस जारी करने की कार्रवाई होती. औेर यदि एक साथ संगठित होकर सभी व्यापारी ेपूरा बाजार खोल देते, तो प्रशासन को भी सबके खिलाफ धारा 188 की कार्रवाई करने से पहले दस बार सोचना पडता, लेकिन व्यापारियों में आपसी सामंजस्य और संगठित रहने का अभाव रहा और सभी व्यापारी प्रशासन के दबाव में आकर डर गये. जिसकी वजह से मंगलवार को लॉकडाउन बदस्तूर जारी रहा. किंतु अब प्रशासन को 8 मार्च को लॉकडाउन खत्म करना ही होगा. क्योंकि प्रशासन भी आम लोगोें के असंतोष को देखकर लॉकडाउन को आगे बढाने से पहले कई दफा विचार करेगा. इसके साथ ही नितीन मोहोड ने यह भी कहा कि, वे अब भविष्य में व्यापारियों के किसी भी आंदोलन का हिस्सा नहीं बनेंगे और किसी आंदोलन का नेतृत्व भी नहीं करेंगे, क्योेंकि उनकी समझ में आ गया है कि, मौका पडने पर सभी लोग डरकर साथ छोड जाते है. इसके अलावा अमरावती जिला परमीट रूम व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहनेवाले नितीन मोहोड ने यह भी कहा कि, वे इस संगठन के अध्यक्ष पद से भी अपना इस्तीफा देने जा रहे है. और अब केवल खुद के व्यवसाय पर ही अपना ध्यान केंद्रीत करेंगे.

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