टॉप पर रहने के बावजूद अमरावती में अपराध नियंत्रित
शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरतीसिंह का दावा
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बढते अपराधों पर अमरावती मंडल के साथ विशेष साक्षात्कार
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कहा : पुलिस की पहली प्राथमिकता अपराधियों पर नियंत्रण की
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तीन वर्ष का तुलनात्मक अपराधिक रिकॉर्ड ब्यौरा भी दिया
अमरावती/प्रतिनिधि दि.13 – समाज में हत्या जैसे अपराध हमेशा से घटित होते आये है और आगे भी घटित होंगे. इन अपराधों के घटित होने के पीछे कई तरह की वजहें होती है. जिनमें सबसे प्रमुख पारिवारिक विवाद व पुरानी रंजीश को माना जा सकता है. गत रोज भी एक ही दिन के दौरान जो दो हत्याकांड हुए उनके पीछे यहीं दो वजहें थी. ऐसे अपराधों को रोकने के लिए केवल पुलिसिंग ही काफी नहीं, बल्कि इसके लिए सामाजिक स्तर पर भी काफी प्रयास और बदलाव करने होंगे, ताकि नई पीढी को अपराधिक प्रवृत्ति से बचाया जा सके. इस आशय का प्रतिपादन शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह द्वारा किया गया.
बता दें कि, विगत डेढ-दो माह से अमरावती शहर में एक के बाद एक हत्या की वारदाते घटित हो रही है और गत रोज तो एक ही दिन के दौरान एक घंटे के अंतराल में हत्या की दो वारदाते घटित हुई. जिनमें एक व्यक्ति ने मोबाईल दिलाये जाने की मांग से परेशान होकर अपनी पत्नी का गला घोटकर उसे मौत के घाट उतार दिया. वहीं दूसरी घटना में अपने भाई की हत्या का बदला लेने हेतु एक युवक ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर हत्यारोपी की धारदार हथियारों से वार करते हुए हत्या कर दी. इन्हीं घटनाओं की पार्श्वभुमि पर दैनिक अमरावती मंडल ने शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से विशेष तौर पर बातचीत की. जिसमें उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया.
इस समय पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, हत्या व जानलेवा हमले जैसी घटनाएं अमूमन क्षणिक आवेश या खुन्नस जैसे प्रवृत्ति की वजह से घटित होती है. जिन पर पुलिस का भी कोई वश नहीं होता. वहीं चोरी, झपटमारी, जुआ, अवैध शराब बिक्री, गांजा, अन्य मादक पदार्थ की बिक्री जैसे मामलों में पुलिस पहले से सतर्क रहकर पेशेवर अपराधियों पर न केवल नजर रखती है, बल्कि उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई भी करती है. लेकिन हत्या व हत्या के प्रयास जैसे मामलों में ऐसा करना संभव नहीं हो पाता.
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कोविड काल और सोशल मीडिया ने बदल दी जिंदगी
इस समय शहर में एक के बाद एक घटित हो रही हत्या की वारदातों पर अपनी चिंता जताते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, कोविड काल की वजह से हम सभी की जीवनशैली और स्वभाव में काफी हद तक बदलाव आया है. विशेषकर युवावस्था की ओर कदम बढा रहे अल्पवयीन किशोर तथा 18 से 25 वर्ष की आयुवाले युवाओं के पास फिलहाल कोई विशेष कामकाज नहीं है और वे अधिकांश समय सोशल मीडिया पर लगे रहते है. जिन पर आनेवाले कंटेंट पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता. कई बार हिंसक और अपराधिक प्रकार के कंटेंट सर्वाधिक देखे जाते है. जिन्हें देखकर युवाओं के मन में भी अपराधों के प्रति आकर्षण पैदा होता है और वे अपराधिक प्रवृत्ति की राह पर जाने-अनजाने बढ जाते है.
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पूरे राज्य व देश में बढा क्राईम रेट, अमरावती के ट्रेंड में कोई बदलाव नहीं
इस खास बातचीत के दौरान सीपी डॉ. आरती सिंह ने माना कि, इस समय राज्य सहित समूचे देश में अपराधिक वारदातों का प्रमाण बढा है. जिसके लिए प्रमुख तौर पर कोविड काल की वजह से उपजा खालीपन व हताशा जिम्मेदार है. किंतु यदि विगत तीन वर्षों के आंकडों को देखा जाये, तो अमरावती शहर के क्राईम ट्रेंड में तुलनात्मक रूप से कोई बढोत्तरी नहीं हुई है. जिसका सीधा मतलब है कि, हम अपराधिक तत्वों के साथ-साथ अपराधों पर भी अंकुश बनाये रखने में काफी हद तक सफल रहे है. वर्ष 2019, 2020 व 2021 में जनवरी से अगस्त माह के दौरान घटित अपराधिक वारदातों के रिकॉर्ड पर बात करते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, इन तीनों वर्ष के दौरान अपराधिक वारदातों की संख्या लगभग सम-समान रही है. वहीं अपराधिक तत्वों के खिलाफ की जानेवाली प्रतिबंधात्मक कार्रवाई में काफी इजाफा हुआ है.
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अमरावती की बजाय अन्य शहरों में बढे अपराध
राज्य अपराध अन्वेषण विभाग द्वारा वर्ष 2019 में अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय को समूचे राज्य में अपराधिक मामलों के लिए पहले स्थान पर रखा गया है. जिसके बारे में पूछे जाने पर सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, यह रिपोर्ट प्रति 1 लाख जनसंख्या के आधार पर तैयार की गई है और चूंकि अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय अंतर्गत करीब 8 लाख की जनसंख्या का समावेश होता है. ऐसे में नागपुर व पुणे जैसे बडे शहरों की तुलना में अनुपातिक तौर पर अमरावती शहर का औसत कुछ अधिक दिखाई दे रहा है, जबकि हकीकत यह है कि, इन दिनोें अमरावती की बजाय अन्य बडे शहरों में बडे पैमाने पर जघन्य अपराध व अपराधिक वारदाते काफी अधिक पैमाने पर बढे है. किंतु चूंकि वहां की जनसंख्या काफी अधिक है. इस वजह से वहां अनुपात कुछ कम दिखाई देता है.
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नाबालिगों के मामले में पुलिस के हाथ बंधे होते है
इन दिनों हत्या व जानलेवा हमले जैसे जघन्य अपराधों में 18 वर्ष से कम आयुवाले नाबालिगों की संलिप्तता काफी अधिक दिखाई देने लगी है. जिस पर अपनी चिंता जताने के साथ ही सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, नाबालिग अपराधियों के मामले में पुलिस के हाथ बंधे होते है. जघन्य से जघन्य अपराध में शामिल नाबालिग अपराधी को पुलिस थाने भी नहीं लाया जा सकता और उन्हें बाल सुधारगृह में रखना पडता है. जहां से वे बहुत जल्द छूट भी जाते है, क्योंकि उनपर भारतीय दंड सहिता की धाराओं के तहत मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता. साथ ही उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कोई कार्रवाई भी नहीं की जा सकती. इस बात का नाबालिग की श्रेणी में रहनेवाले अपराधियों द्वारा भरपुर फायदा उठाया जाता है. इस समय दिल्ली में घटित निर्भया मामले की याद ताजा करते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, समूचे देश में भूचाल ला देनेवाले इस मामले में सबसे अधिक जघन्यता करनेवाले आरोपी की उम्र 18 वर्ष से कुछ माह कम रहने के चलते उसे नाबालिग माना गया था और वह सजा से बच गया. जिसकेे बाद नाबालिग शब्द को परिभाषित करने की बात कही गयी, जिसके तहत प्रस्तावित था कि, अब 16 वर्ष से कम आयुवाले को ही नाबालिग माना जाये, लेकिन अब तक इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है. ऐसे में नाबालिगों का अपराधिक वारदातों में प्रयोग व सहयोग लगातार बढ रहा है. किंतु पुलिस इसमें अपने स्तर पर कुछ नहीं कर सकती. उन्होंने ध्यान दिलाया कि, गत रोज मारा गया अनिकेत कोकणे इससे पहले अक्तूबर माह में घटित बंटी बारसे हत्याकांड में शामिल था और वह उस समय महज 16 साल का था. वहीं इसके बाद मोती नगर में घटित एक अन्य हत्याकांड में भी शामिल सभी आरोपी नाबालिग थे. साथ ही अब अनिकेत कोकणे की हत्या में शामिल एक आरोपी भी नाबालिग है, यह अपने आप में बेहद चिंता का विषय है.
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संस्कारों व समुपदेशन की सख्त जरूरत
अपराधिक वारदातों में नाबालिगों के बढते सहभाग को समाज के लिए चिंताजनक व खतरनाक बताते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, हर एक अभिभावक की यह जिम्मेदारी बनती है कि, वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर कायदे से नजर रखे और बच्चों का किन लोगों के साथ उठना-बैठना है, इस पर भी ध्यान दे. यदि बच्चों को घर में अच्छे संस्कार मिलते है, तो वे गलत रास्ते पर कभी नहीं चलेंगे. साथ ही यदि यह अंदेशा हो जाता है कि बच्चे रास्ते से भटक रहे है, तो उनका तुरंत समुपदेशन कराया जाना चाहिए, ताकि उन्हें सही राह पर लाया जा सके.
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शांतता समिती व सामाजिक संस्थाओं पर बडी जिम्मेदारी
इस बातचीत में सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, विगत डेढ-दो वर्षों से कोविड काल और लॉकडाउन के चलते पुलिस पर काम का काफी अधिक बोझ बढ गया है. हमें अपराधों व अपराधियों से निपटने के साथ-साथ शहर को तय समय पर बंद कराने और नाईट कर्फ्यू के दौरान पूरा समय गश्त लगाने का काम भी करना पड रहा है. इसके बावजूद शहर पुलिस अपराधिक तत्वों की नकेल कसने में पूरी तरह से कामयाब रही है और बडे पैमाने पर कई अपराधियों के खिलाफ एमपीडीए, मोक्का व तडीपारी जैसी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है. इसके अलावा नाकाबंदी के दौरान बडे पैमाने पर हथियारों व अवैध शराब की खेप पकडने के साथ-साथ गांजा बिक्री व वरली मटका अड्डों पर भी दबीश दी गई है. इन तमाम कामों के साथ हमारी यह अपेक्षा है कि, शहर में कानून व व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने हेतु शांति समिती के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता भी पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी भूमिका व जिम्मेदारी का निर्वहन करे. साथ ही यदि उनके क्षेत्र में कोई भी नाबालिग गलत सोहबत में पडता या अपराधों के रास्ते पर चलता दिखाई देता है, तो उसका समूपदेशन करते हुए उसकी जानकारी तुरंत ही पुलिस को दी जाये.
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औद्योगिक पिछडापन व बेरोजगारी ही अपराधों के बढने की वजह
इस समय सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, अमरावती में पढाई-लिखाई के लिहाज से तो काफी हद तक अच्छी सुविधाएं उपलब्ध है, किंतु इस क्षेत्र में अपेक्षित तौर पर बडे उद्योग-धंधे और कारखाने नहीं है. जिसकी वजह से यहां पर रोजगार के साधन व अवसर बेहद सीमित है. यह स्थिति भी अपराधों के बढने के लिए काफी हद तक पोषक होती है. सीपी डॉ. आरती सिंह के मुताबिक अमरावती शहर में स्लम बस्ती और निम्न आयवर्ग का प्रमाण काफी अधिक है. इस वर्ग से वास्ता रखनेवाले लोग बहुत जल्दी अपराध की दुनिया के आकर्षण का शिकार हो जाते है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि, मुंबई व पुणे जैसे बडे महानगरों में अपराधिक वारदातों की तुलना में आर्थिक अपराध काफी अधिक होते है. वहीं छोटे शहरों में आर्थिक अपराधों की तुलना में अपराधिक वारदातों की संख्या काफी अधिक होती है. अत: यदि अपराधों को कम करना है, तो लोगों के जीवनमान को उंचा उठाना बेहद जरूरी है. सीपी डॉ. आरती सिंह के मुताबिक इन दिनों शहरीकरण तो बडी तेजी से बढ रहा है, लेकिन नागरिकों का सिविलाईजेशन उसी प्रमाण में नहीं हो रहा. यह बेतरतीबी भी एक तरह से अपराधों के बढने की मुख्य वजह है.
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‘प्राईम एज’ को ‘क्राईम एज’ न बनाये युवा
सीपी डॉ. आरती सिंह के मुताबिक 16 से 25 वर्ष की आयु का दौर हर व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दौर होता है. क्योंकि इस समय ही वह अपने जीवन की दिशा निर्धारित करता है. इसी उम्र में पढाई-लिखाई का दौर पूरा होकर करिअर यानी भविष्य की राह तय होती है. इसीलिए इसे ‘प्राईम एज’ कहा जाता है. ऐसे में युवाओं को चाहिए कि, वे अपनी उम्र के इस पडाव को ‘क्राईम एज’ न बनाये और अपराध के रास्तों पर बिल्कुल भी न चले. साथ ही उन्होंने अभिभावकों से भी आवाहन किया कि, इस उम्र के पडाव पर रहनेवाले अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दे, ताकि उनका भविष्य खराब न हो. उन्होंने दैनिक अमरावती मंडल के जरिये युवाओं से आवाहन किया कि, 16 से 25 वर्ष की आयु में रहनेवाले जोश और खून की गरमी का सही व सकारात्मक उपयोग करे, अन्यथा आगे चलकर काफी पछताना पड सकता है. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. क्योंकि उस समय तक सिर पर अपराधी होने का ठप्पा लग चुका रहता है और आगे की पूरी जिंदगी जेल व पुलिस थाने का चक्कर काटने में ही बीत जाती है.
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तीन नये पुलिस थाने बनाना प्रस्तावित
इस समय शहर के लगातार हो रहे विस्तार को ध्यान में रखते हुए शहर पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र अंतर्गत कुछ पुलिस थानों के कार्यक्षेत्र का नये सिरे से परिसिमन करने और नये पुलिस थाने बनाने की जरूरत प्रतिपादित करते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, शहर में तपोवन, साईनगर व नांदगांव पेठ एमआयडीसी पुलिस थाना बनाये जाना प्रस्तावित है. जिसके लिए सरकार के पास काफी पहले प्रस्ताव भेजा जा चुका है. किंतु इस समय कोविड संक्रमण के खतरे की वजह से सरकार के पास फंड की कमी है और फिलहाल पूरा पैसा स्वास्थ्य संबंधी बातों पर ही खर्च किया जा रहा है. अत: फिलहाल पुलिस सेवाओं का विस्तार नहीं किया जा रहा.
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साईबर क्राईम नये दौर की सबसे बडी चुनौती
इस समय बदलते दौर के साथ-साथ अपराधों के बदलते स्वरूप बात करते हुए सीपी डॉ. आरती सिंह ने कहा कि, इस समय ऑनलाईन तरीके से घटित होनेवाले साईबर अपराध सबसे बडी चुनौती है और इन साईबर अपराधियों को पकडना काफी मुश्किलभरा काम होता है. हत्या, चोरी, लूट व झपटमारी जैसे मामलों के अपराधी हमारे-आपके बीच ही कहीं होते है. जिन्हें ढूंढ निकालना अपेक्षाकृत तौर पर काफी आसान होता है, लेकिन ऑनलाईन अपराधी देश और दूनिया के किस कोने में बैठकर लोगों को अपनी जालसाजी का शिकार बना रहे है, इसे खोजना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि इन अपराधियों का कोई चेहरा भी नहीं होता, लेकिन बावजूद इसके पुलिस विभाग ने अपने आप को अपडेट करते हुए नई-नई टेक्नॉलॉजी का सहारा लेकर कई साईबर अपराधोें के मामलों को सफलता पूर्वक सुलझा है. साथ ही उन्होेंने यह भी कहा कि, पुलिस द्वारा आम नागरिकों को साईबर ठगबाजी व जालसाजी से बचाने के लिए समय-समय पर अलर्ट जारी किया जाता है. अत: नागरिकोें को भी चाहिए कि, वे किसी भी तरह का ऑनलाईन व्यवहार करते समय पूरी तरह सतर्क रहे और सावधानियां बरते. साथ ही किसी भी अनजान व्यक्ति पर भरोसा न करे.
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जल्द सुधारी जायेगी शहर की ट्राफिक व्यवस्था
इस बातचीत के दौरान सीपी डॉ. आरती सिंह का ध्यान शहर की लगातार चरमराती व बेतरतीब होती यातायात व्यवस्था की तरफ दिलाये जाने पर उन्होंने कहा कि, हाल ही में इस विषय को लेकर अमरावती शहर के महापौर व निगमायुक्त से चर्चा हुई है. जिसके तहत शहर में जल्द ही नये सिरे से हॉकर्स झोन घोषित किये जायेंगे और जगह-जगह सडक किनारे लगनेवाली गाडियों को हटाया जायेगा. इसके अलावा सडकों व फूटपॉथ पर लोगों द्वारा किये गये अतिक्रमण को भी पूरी तरह से हटाने की कार्रवाई की जायेगी, ताकि शहर साफ-सूथरा भी दिखे और यातायात में किसी तरह का कोई व्यवधान न हो.