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बीच आमसभा में हुआ राडा

मनपा के इतिहास का काला दिन

  •  युवा स्वाभिमानियों ने आमसभा में घुसकर किया आंदोलन

  •  मनपा के कई ठेका कर्मी भी हुए आंदोलन में शामिल

  •  हंगामे के बीच आमसभा हुई स्थगित, शहर में गलत परंपरा की हुई शुरूआत

अमरावती/प्रतिनिधि दि.17 – अमूमन लोकसभा या विधानसभा का सत्र अथवा स्थानीय निकाय की आमसभा जारी रहने केे दौरान विभिन्न संगठनों द्वारा अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन व आंदोलन किये जाते है. जिसके तहत एक निश्चित स्थान तक जाने की अनुमति होती है. आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब जारी सत्र अथवा आमसभा के दौरान किसी बाहरी व्यक्ति ने सदन के भीतर घुसकर कोई आंदोलन या हंगामा किया हो. किंतु मंगलवार 17 अगस्त को मनपा की आमसभा जारी रहने के दौरान और सदन की कार्रवाई शुरू रहने के बीच कुछ लोगोें ने सदन में घुसकर न केवल सदन की कार्रवाई को बाधित किया, बल्कि आमसभा में जमकर नारेबाजी करते हुए हंगामा भी मचाया. जिसकी वजह से आमसभा को बीच में ही स्थगित कर देना पडा. ऐसे में इसे एक तरह से भारतीय लोकतंत्र के साथ-साथ अमरावती महानगरपालिका के इतिहास में काला दिन कहा जा सकता है.
अमरावती मनपा मुख्यालय स्थित विश्वरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सभागार में पहले से तय नियोजन के तहत मंगलवार 17 अगस्त की सुबह 11 बजे मनपा की आमसभा शुरू हुई. इस समय प्रशासकीय विषयों पर चर्चा करने के पश्चात प्रश्न काल चल रहा था और पार्षद धीरज हिवसे द्वारा आउटसोर्सिंग का ठेका हासिल करनेवाली कंपनी ईटकॉन्स ई-सोल्यूशन एजन्सी से संबंधित सवाल प्रशासन से पूछे जा रहे थे. ठीक इसी समय बाहर अचानक कुछ होहल्ला होना शुरू हुआ, तब पूर्व महापौर और सदन के वरिष्ठ पार्षद विलास इंगोले आमसभा से निकलकर बाहर आये. जहां पर युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मनपा की सेवा में रहनेवाले अस्थायी व ठेका नियुक्त कर्मचारी भी मौजूद थे और ये सभी लोग आमसभा जारी रहने के दौरान सदन में घुसने का प्रयास कर रहे थे. जिन्हें पार्षद इंगोले ने समझाबुझाकर शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि, वे अपनी समस्याओं का ज्ञापन अथवा निवेदन दे, आमसभा में उस पर चर्चा एवं विचार-विमर्श जरूर किया जायेगा. साथ ही इस समय सभागृह के सामने उपस्थित मनपा के सुरक्षा रक्षकों ने भी इन सभी लोगों को रोकने का प्रयास किया. किंतु ये सभी लोग कुछ भी सुनने के लिए तैयार नहीं थे और सुरक्षा रक्षकों के साथ धक्कामुक्की करते हुए आमसभा के भीतर जा पहुंचे. साथ ही पीठासीन अधिकारी यानी आसंदी और पार्षदों की आसन व्यवस्था के बीच खाली रहनेवाली खुली जगह पर जमीन पर ही पालथी मारकर बैठ गये. साथ ही साथ जबर्दस्त नारेबाजी भी करने लगे. युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारियों एवं मनपा की सेवा में रहनेवाले ठेका नियुक्त कर्मचारियों द्वारा आमसभा की कार्रवाई जारी रहने के दौरान सदन में घुसकर किये जा रहे इस हंगामे को देखकर पीठासीन अधिकारी महापौर चेतन गावंडे एवं उनके साथ मंच पर मौजूद उपमहापौर कुसुम साहू व आयुक्त प्रशांत रोडे सहित सदन में मौजूद सभागृह नेता तुषार भारतीय, नेता प्रतिपक्ष बबलु शेखावत, स्थायी सभापति सचिन रासने एवं सभी गुटनेता व पार्षद भी भौचक रह गये. इस समय महापौर चेतन गावंडे सहित सभागृह नेता तुषार भारतीय ने सभी आंदोलनकारियों को सदन से बाहर जाने हेतु कहा. साथ ही यह भी कहा कि, उनकी मांगों और समस्याओं पर मनपा प्रशासन एवं आमसभा द्वारा निश्चित तौर पर विचार-विमर्श किया जायेगा. किंतु सदन में इस तरह बाधा पहुंचाना और हंगामा करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है. लेकिन इसके बावजूद आंदोलनकारी अपवनी जगह से टस से मस नहीं हुए और लगातार नारेबाजी के साथ-साथ शोर-शराबा करते रहे. जिसके चलते महापौर चेतन गावंडे ने सभा स्थगित करने की घोषणा की और वे सदन से बाहर निकल गये. जिसके साथ ही मनपा के सभी पदाधिकारी व अधिकारी भी सदन से बाहर चले गये. इसके बाद सदन में हंगामा कर रहे आंदोलनकारी मनपा आयुक्त कार्यालय के सामने पहुंचे और जमकर नारेबाजी करते हुए उन्होंने आयुक्त कार्यालय के प्रवेश द्वार को खोलने का प्रयास किया. किंतु उस पर ताला लगा हुआ था. अत: वह दरवाजा खुल न सका. जिसके बाद आयुक्त कार्यालय के ठीक सामने स्थित मनपा मुख्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगे ताले को भी युवा स्वाभिमान पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा खोलने का प्रयास किया गया. बता दें कि, मनपा का यह मुख्य प्रवेश द्वार कोविड संक्रमण काल के समय से ताला लगाकर बंद किया गया है और इस ताले को भी युवा स्वाभिमानी खोल नहीं पाये.

  • दुबारा शुरू हुई सभा, निषेध प्रस्ताव पारित कर स्थगित

उधर आंदोलनकारियों के आमसभा से निकलकर बाहर जाते ही महापौर चेतन गावंडे एक बार फिर सदन में पहुंचे. इस समय तक अन्य पदाधिकारी भी सदन में पहुंच चुके थे. जिसके बाद आमसभा द्वारा आज की घटना और युवा स्वाभिमान पार्टी की हरकत के खिलाफ आम सहमति से निषेध प्रस्ताव पारित किया गया. जिसके पश्चात आमसभा एक बार फिर अगले माह तक के लिए स्थगित हो गई. इसके साथ ही आमसभा में रखे जानेवाले विभिन्न प्रस्तावों एवं मसलों पर चर्चा व निर्णय भी एक माह के लिए आगे टल गये है.

  • ये थी हंगामे की मुख्य वजह

बता दें कि, अभी हाल ही में मनपा द्वारा ठेके पर कुशल व अकुशल कर्मचारियों की नियुक्ति करने हेतु नोएडा स्थित ईटकॉन्स ई-सोल्यूशन्स नामक कंपनी को आउटसोर्सिंग का ठेका सौंपा गया. जिसके द्वारा विगत दिनों कर्मचारियों की भरती हेतु विज्ञापन जारी किया गया था. युवा स्वाभिमान पार्टी का कहना रहा कि, जब कंपनी के पास भरती करने के लिए लोग ही नहीं है और पद भरती के लिए विज्ञापन जारी करने पड रहे है, तो फिर मनपा प्रशासन ने किस आधार पर इस कंपनी को आउटसोर्सिंग का ठेका दिया है. वहीं आंदोलन में शामिल मनपा की सेवा में रहनेवाले ठेका कर्मियों ने आरोप लगाया कि, नई कंपनी द्वारा उनसे सेवा में बनाये रखने के लिए पैसों की मांग की जा रही है. जिसके तहत कंपनी द्वारा कहा गया है कि, एक माह का वेतन कंपनी के पास जमा रहेगा. यह पूरी तरह से गलत और अन्यायकारक बात है. जिसकी ओर मनपा प्रशासन द्वारा तत्काल ध्यान दिये जाने की जरूरत है.

  • महापौर सहित मनपा पदाधिकारी पहुंचे सीपी कार्यालय

वहीं दूसरी ओर मनपा की आमसभा को स्थगित करने के तुरंत बाद महापौर चेतन गावंडे, उपमहापौर कुसुम साहू, सभागृह नेता तुषार भारतीय, नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत, स्थायी समिती सभापति सचिन रासने तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले सहित गुट नेताओं व पार्षदों का एक दल शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से मिलने पहुंचा. इस मुलाकात के दौरान मनपा पदाधिकारियों द्वारा आमसभा में हुए हंगामे की जानकारी सीपी डॉ. आरती सिंह को देने के साथ ही आंदोलनकारियों के खिलाफ तुरंत सख्त कदम उठाये जाने और कडी कार्रवाई किये जाने की मांग की गई. पश्चात सीपी डॉ. आरती सिंह ने इस मामले को लेकर सिटी कोतवाली थाना पुलिस को आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये.

  • प्रशासन भी जल्द उठायेगा कडे कदम

वहीं इस मामले को लेकर मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने कहा कि, मनपा प्रशासन की ओर से भी इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज करायी जायेगी. इसके साथ ही आमसभा की कार्रवाई जारी रहने के दौरान सदन के भीतर घुसकर हंगामा व शोर-शराबा करनेवाले ठेके पर नियुक्त मनपा कर्मियों के खिलाफ भी प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. आयुक्त प्रशांत रोडे के मुताबिक प्रशासन को अपने कामकाज के लिए आंदोलनकारी नहीं, बल्कि कर्मचारी चाहिए और कर्मचारियों को मनपा के नियमों व कानूनों सहित अनुशासन का पालन करना भी आना चाहिए.

  • अब आमसभा के दौरान रहा करेगी कडी सुरक्षा व्यवस्था

मंगलवार को आमसभा जारी रहने के दौरान कुछ बाहरी लोगों द्वारा सदन के भीतर घुस जाने और आमसभा की कार्रवाई को बाधित करते हुए शोरशराबा किये जाने की घटना ने मनपा की सुरक्षा व्यवस्था को भी सवालों के घेरे में खडा कर दिया है. इस बारे में निगमायुक्त प्रशांत रोडे का कहना रहा कि, इस तरह की वारदात अमरावती मनपा के इतिहास में आज तक घटित नहीं हुई. जिसकी वजह से इस ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन अब मनपा मुख्यालय सहित आमसभा जारी रहने के दौरान मनपा परिसर में प्रवेश संबंधी नियमों को बदला जायेगा. साथ ही आमसभा जारी रहते समय मनपा की मुख्य इमारत में किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जायेगा. साथ ही आमसभा की दर्शकदीर्घा में प्रवेश हेतु भी मीडिया कर्मियों को पहचानपत्र दिखाने के बाद ही प्रवेश दिया जायेगा. इसके अलावा अन्य सभी तरह के लोगों का मनपा इमारत में आमसभा जारी रहने के दौरान प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा.

 

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  • को कलंकित करनेवाली घटना

– महापौर चेतन गावंडे का कथन

सीपी डॉ. आरती सिंह से मुलाकात करने के बाद पुलिस आयुक्तालय परिसर में मीडिया कर्मियों से मुखातिब होते हुए शहर के प्रथम नागरिक व महापौर चेतन गावंडे ने कहा कि, आज मनपा की आमसभा में जो कुूछ भी हुआ, उसकी वजह से लोकतंत्र कलंकित हुआ है. साथ ही यह अमरावती महानगरपालिका के इतिहास का सबसे काला दिन है. उन्होंने यह भी बताया कि, मनपा के कुछ ठेका कर्मियों द्वारा आज सुबह ही उन्हें आउटसोर्सिंग का ठेका रहनेवाली एजन्सी के संदर्भ में कुछ शिकायतें दी गई थी. जिस पर उन्होंने आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन भी दिया था और इस बारे में सभागृह नेता तुषार भारतीय तथा स्थायी समिती सभापति सचिन रासने के साथ चर्चा भी की थी, लेकिन युवा स्वाभिमान पार्टी ने इस विषय को लेकर बेहद ही असंसदीय व अलोकतांत्रिक कदम उठाया है. महापौर चेतन गावंडे ने यह भी कहा कि, खुद राज्य सरकार द्वारा तय किये गये नियमों के चलते मनपा में नौकर भरती की प्रक्रिया बंद पडी है. वहीं इस दौरान मनपा की सेवा में रहनेवाले कई अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये है. जिनके स्थान पर काम करने हेतु आवश्यक मनुष्यबल की जरूरत है. इसी वजह के चलते आउटसोर्सिंग एजेन्सी के लिए ठेका दिया जाता है. किंतु आउटसोर्सिंग का ठेका रहनेवाली एजेन्सी पर मनपा का पूरा नियंत्रण रहता है और एजेन्सी अपनी मनमर्जी नहीं कर सकती, यह बात सभी ने ध्यान में रखनी चाहिए.

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