यवतमाल प्रतिनिधि/दि.११ – केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित पारित किये कानून के खिलाफ देशभर में भारी रोष व्यक्त किया जा रहा है. यह कानून व्यापारियों के लिए फायदेमंद है और इससे किसानों की जबर्दस्त लूट होगी, इसी बीच यह सुलतानी कानून वापस लेने के लिए तथा केंद्र सरकार के खिलाफ बिगुल फुंकने के लिए यवतमाल में किसान नेता राकेश टिकैत की जनसभा आयोजित की गई है. 20 फरवरी को दोपहर 3 बजे स्थानीय आझाद मैदान में यह सभा होगी.
इन कृषि कानून के चलते निर्धारित मूल्य का संरक्षण खत्म होने की संभावना रहने से किसान वर्ग संभ्रम में घिरा है. इन नये कानून के माध्यम से खेती का व्यापारीकरण किया गया है. करार खेती से गरीब, परेशान किसान और गुलाम हुए बगैर नहीं रहेगा. केंद्र सरकार का कानून आने से पहले ही बडे-बडे वेअर हाउस बांधना शुरु हुआ है. किसानों के साथ खेती का करार करना, अच्छा उत्पन्न लेना और किसानों को मात्र कम भाव देना, इस तरह का गोरखधंधा शुरु होगा. व्यापारी यह व्यापार करने में हुशार रहते है. जिससे उनकी ओर से किसानों बाबत आत्मीयता की भावना जागृत होने की अपेक्षा करना गलत है. इस व्यापारीकरण में किसानों का खेती व्यवसाय खत्म होगा.
अधिकार का मंच रहने वाले कृषि उत्पन्न बाजार समितियां भी खत्म होगी, जिससे व्यापारियों की एकाधिकारशाही शुरु होगी. इस तरह का भय सिंकदर शहा ने व्यक्त किया है. इस बीच केंद्र सरकार ने यह काला कानून वापस लेना चाहिए, इसके लिए दिल्ली में पिछले दो महिने से किसानों का आंदोलन शुरु है. अब यह आंदोलन देशभर में शुरु करने के लिए रणनीति बनाई जा रही है. उसके चलते यवतमाल में आझाद मैदान पर 20 फरवरी को किसान नेता राकेश टिकैत की जनसभा आयोजित की गई है. इस सभा की तैयारियां शुरु हो चुकी है. इस संदर्भ में नियोजन करने के लिए बुधवार को जिले के किसान नेताओं की बैठक हुई है.
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यवतमाल से आंदोलन की शुरुआत
केंद्र सरकार व्दारा पारित किये काले कृषि कानून के विरोध में दिल्ली सीमा पर किसानों का आंदोलन शुरु है. अब यह आंदोलन देशभर फैलाने के लिए प्रयास किये जाएंगे. इस आंदोलन की शुरुआत यवतमाल से शुरु हो रही है. यवतमाल में सभा होनी चाहिए, इसके लिए राकेश टिकैत ने तैयारी दर्शाई है और जिलेभर के किसान तथा लोगों को इस सभा में उपस्थित रहना जरुरी है.
– सिकंदर शहा, अध्यक्ष शेतकरी वारकरी संगठन