रापनि को रोजाना प्राप्त हो रही १० लाख की आय
-
जिले से चलायी जा रही १५० बसेस
-
पूरी क्षमता से बसेस चलाने का निर्णय होने पर भी कम प्रतिसाद
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१९ – कोरोना महामारी के चलते घोषित किये गये गये लॉकडाउन के बाद बस सेवा प्रभावित हुई थी. जिससे रापनि के कर्मचारियों सहित बस चालक (Bus driver) और कंडक्टर (Conductor) पर भी बेरोजगारी (Unemployment) की गाज गिरी थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से २२ यात्रियों को लेकर बस सेवा प्रारंभ करने का निर्णय लॉकडाउन में लिया गया. जिसके बाद शुरूआत में अल्प प्रतिसाद रापनि बसों को मिला. वहीं अब पूरी क्षमता के साथ बसें शुरू होने पर भी अल्प प्रतिसाद ही मिल रहा है.
हालांकि अमरावती रापनि के लिए राहतवाली खबर यह है कि, जिले सहित बाहरी जिलों में छोडी जा रही रापनि की बसों से रोजाना १० लाख रूपयों की आय मिल रही है. यहां बता दें कि, कोरोना महामारी ने पूरे जनजीवन को प्रभावित कर रखा है. हालात यह है कि, अमरावती शहर सहित जिले में अभी भी कोरोना के केसेस लगातार सामने आ रहे है. हाल की घडी में अमरावती जिले में कोरोना के केसेस १० हजार ४३४ का आंकडा भी पार कर चुका है. हालात और भी बिगडने लगे है. इस कोरोना विपदा के हालातों से निपटने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग पूरी तरह से मुस्तैदी से अपने काम को निभा रही है, लेकिन जनता अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रही है. जिसके चलते कोरोना संक्रमण के केसेस लगातार बढने लगे है.
इस विपदा की घडी में सरकार की ओर से बंद पडी रापनि की बस सेवा को शुरू कराने का निर्णय लिया गया. शुरूआती दौर में रापनि की बसों को सैनिटाईज करने के साथ ही संचारबंदी के नियमों का पालन करते हुए २२ यात्रियों को ले जाने की अनुमति दी गई. जिसके बाद धीरे-धीरे बसों में भी यात्रियों का आवागमन शुरू हुआ. लेकिन जब से लॉकडाउन में थोडी ढील मिलने के बाद बस सेवा आरंभ हुई है. उस समय से बस सेवा को यात्रियों का अल्प प्रतिसाद ही मिला है. वहीं अब रापनि के प्रति यात्रियों का रूझान बढाने के लिए पूरी क्षमता के साथ बस सेवा शुरू करने का निर्णय लिया गया है. लेकिन पहले जो हालात थे, वहीं हालात अभी भी बरकरार है. इस संदर्भ में अमरावती रापनि के विभाग नियंत्रक श्रीकांत गभणे ने बताया कि, भले ही सरकार की ओर से पूरी क्षमता के साथ यात्रियों की ढुलाई कराने का फैसला लिया गया है, लेकिन इन फैसले को यात्रियों का बेहतर प्रतिसाद अभी भी नहीं मिला है. जैसे थे, वैसे ही हालात में बसेस छोडी जा रही है. जिले से १५० बसेस रोजाना चलायी जा रही है. लेकिन बसों को भी यात्रियों का अल्प ही प्रतिसाद मिल रहा है. उन्होंने बताया कि, कोरोना महामारी अभी भी टली नहीं है. जिसके चलते लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे है. इस वजह से रापनि की बस सेवा को मनमुताबिक प्रतिसाद नहीं मिल रहा है. जितनी भी १५० बसेस सडकों पर चलायी जा रही है, उन बसों से रोजाना १० लाख रूपयों की आय रापनि की तिजोरी में जमा हो रही है.
-
स्कूल, महाविद्यालय भी बंद रहने से पडा असर
कोरोना महामारी के चलते बीते मार्च माह से स्कूल, महाविद्यालय बंद रहने से भी बस सेवा पर खासा असर देखने को मिल रहा है. जब तक कोरोना की स्थिति नियंत्रण में नहीं आ जाती, तब तक स्कूल, महाविद्यालय शुरू करने का सरकार का कोई विचार नहीं है. जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में रापनि की ओर से चलायी जानेवाली बसों को भी इक्का-दुक्का यात्रियों का ही प्रतिसाद मिल रहा है. कभी-कभार तो बसेस खाली ही लौट रही है. पूरी क्षमता के साथ यात्री बस सेवा सुचारू होने पर भी लोगों ने सफर से मुंह फेर लिया है.