नाबालिग के दुराचारी को 20 साल की कैद
अमरावती/दि.7- स्थानीय जिला न्यायाधीश क्र. 2 एस. ए. काजी की अदालत ने 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ दुराचार करने के मामले में नामजद आरोपी विठ्ठल रामजी कामठे को 2 अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 20 हजार रुपए के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपी को 6-6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा. इस मामले में अतिरिक्त सरकारी वकील दीपक आंबलकर ने सफल पैरवी की.
जानकारी के मुताबिक तिवसा पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत तारखेडा निवासी 35 वर्षीय विठ्ठल रामजी कामठे की एक व्यक्ति के साथ अच्छी खासी दोस्ती थी. जिसके चलते विठ्ठल कामठे का उस व्यक्ति के घर पर आना-जाना था. इसी के तहत 4 फरवरी 2021 को विठ्ठल कामठे उक्त व्यक्ति के घर पहुंचा. उस समय उक्त व्यक्ति काम से लौटने के बाद बाजार गया हुआ था और उसकी पत्नी रसोई घर में काम कर रही थी. इस समय विठ्ठल कामठे ने अपने उस दोस्त की 12 वर्षीय बच्ची को अपनी दुपहिया पर बिठाया और वह उसे अपने साथ लेकर चला गया. जिसे वह पूरी रात घर पर लेकर वापिस नहीं लौटा. ऐसे में अगले दिन सुबह बच्ची की मां ने तिवसा पुलिस थाने में विठ्ठल कामठे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. वहीं विठ्ठल कामठे ने दूसरे दिन उस बच्ची को उसके घर के पास लाकर छोड दिया और चला गया. पश्चात बच्ची से की गई पूछताछ में पता चला कि, विठ्ठल कामठे उक्त बच्ची को अपने साथ लेकर एक खेत में गया था. जहां पर उसने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. साथ ही कहा कि, वह उसे बेहद पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है. इसके अलावा यह भी पता चला कि, विठ्ठल कामठे ने इससे पहले भी उक्त बच्ची के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे. इसे लेकर दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर तिवसा पुलिस ने विठ्ठल कामठे के खिलाफ भादंवि की धारा 376 (3), पोक्सो एक्ट की धारा 3 व 4 तथा एट्रासिटी एक्ट की धाराओं के तहत अपराध दर्ज करते हुए जांच शुरु की तथा आरोपी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश की गई. जहां पर अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील दीपक आंबलकर ने 5 गवाहों को पेश करने के साथ ही जोरदार युक्तिवाद किया. जिसे ग्राह्य मानते हुए जिला न्यायाधीश क्रमांक-2 ए. एस. काजी की अदालत ने विठ्ठल कामठे को भादंवि की धारा 376 (3) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए के जुर्माने तथा पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास व 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. सश्रम कारावास की दोनों सजाए एकसाथ चलेगी. साथ ही दोनों ही मामलों में आर्थिक जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपी को 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा.
इस मामलें में अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील दीपक आंबलकर को मामले की सुनवाई दौरान जांच अधिकारी एपीआई वर्षा वंजारी, उपविभागीय पुलिस अधिकारी जीतेंद्र जाधव, पैरवी अधिकारी मपोहेकां वैशाली तिवारी व नापोका अरुण हटवार ने सहयोग किया.