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सहकारी, नागरी बैंकों पर अब आरबीआई के निर्बंध

संचालक मंडल के अधिकारों पर लगेगी कैची

  • बढते घोटालों से नियुक्त होगा बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट

अमरावती/प्रतिनिधि दि.27 – बढते घोटालों से सहकारी व नागरी बैंकों पर कुछ निर्बंध लगाने का निर्णय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने (आरबीआई) लिया है. संचालक मंडल को समांतर बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट नियुक्त करने का अध्यादेश हाल ही में जारी किया गया है. जिससे सत्तारुढ संचालक मंडल के अधिकारों पर कैची लगेगी. अधिकांश अधिकार व जिम्मेदारी बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के पास दी जाएगी. इस आदेश से सहकारी व नागरी बैंकों के संचालक मंडल की नींद उडी है.
पिछले कुछ वर्षों से सहकारी व नागरी बैंक में घोटालों का प्रमाण बढ चुका है. अनेक बैंकों ने गैर कानूनी रुप से बडी मात्रा में कर्ज आपूर्ति की. यह कर्ज वसूल न होने से निवेशकों का भारी नुकसान हुआ. अनेक निवेशकों को आंदोलन करने के बाद भी न्याय नहीं मिला. कुछ निवेशकों ने चक्कर काटकर बैंकों की दहलीज पर प्राण छोडे.
विशेषकर महाराष्ट्र में यह प्रमाण ज्यादा है. शक्कर कारखाने व अन्य लोगों को दिये हुए कर्ज से अनेक सहकारी व जिला बैंक परेशान हो चुकी है. कराड अर्बन, पीएमसी, वसंत दादा, एमएससी व अन्य नागरी बैंक में इस तरह के प्रकार प्रकाश में आये है. इसमें हजारों निवेशकों के करोडों रुपए डूब रहे है. इस बाबत की शिकायतें बडी मात्रा में आरबीआई के पास गई. साथ ही अंतर्गत लेखा परिक्षण में अनेक गैर मुद्दे सामने आये है. जिससे केंद्र सरकार ने इन बैंकों पर निर्बंध लगाने का निर्णय लिया है. उसके अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में अध्यादेश जारी किया है. इसमें संचालक मंडल को समांतर बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट नियुक्त करने के आदेश दिये है. इसमें दो सीए, कृषि अधिकारी व अन्य कुछ विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाएगी. इनकी नियुक्ति करने के अधिकार संचालक मंडल को है किंतु संचालक मंडल के अधिकार कम कर वह बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट को दिये जाएंगे. इससे बैंक के सभी व्यवहारों पर नियंत्रण आयेगा. बडी कर्ज आपूर्ति बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की अनुमति की बगैर नहीं करते आयेगी तथा बैंक ने निवेश कहा, कैसे कब करना इसका निर्णय बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट लेगा, यानी अधिकारों के साथ वसूली समेत अन्य जिम्मेदारी भी बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के पास दी जाएगी तथा अन्य अनेक कडे नियंत्रण की व्यवस्था इस आदेश में है. जिससे नागरी व सहकारी बैंकों के संचालक मंडलों की अस्वस्थ्यता बढ चुकी है.
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निर्णय राजनीतिक, किंतु सभी के हित का
इस निर्णय से सहकारी व नागरी बैंक क्षेत्र में सनसनी मची है. यह निर्णय राजनीतिक रहने का अनेक पदाधिकारी कह रहे है किंतु प्रशासकीय अधिकारी मात्र यह निर्णय राजनीतिक रहा तो भी जरुरी था क्योंकि ऐसे कडे निर्बंध लगाए बगैर बैंकिंग क्षेत्र में शुरु रहने वाली मनमानी पर अंकुश नहीं लगेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है. इस आदेश से सहकारी व नागरी बैंक ने एक अच्छी सिस्टीम लगेगी, ऐसा भी अधिकारियों का कहना है.

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