जिला वकील संघ के चुनाव में पहली बार रिकाउंटींग की नौबत
ऐन समय पर अदालत ने रिकाउंटींग पर दिया स्टे
* उपाध्यक्ष व सचिव पद के लिए पडे वोटों की दुबारा शुरु हुई थी गिनती
* पराजित प्रत्याशियों ने चुनावी नतीजे को लेकर उठाई थी आपत्ति
* कानून के जानकार ही अदालत में गए एक-दूसरे के खिलाफ
* तीन सदस्यीय जांच समिति का भी हुआ गठन
अमरावती/दि.1 – जिला वकील संघ के 29 मार्च को हुए चुनाव एवं घोषित नतीजों में दो पदों को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है. सचिव पद के चुनाव में पराजित हुए एड. वसुसेन देशमुख तथा उपाध्यक्ष पद के चुनाव में पराजित हुई एड. श्रीमती एन. एस. तिखिले द्बारा चुनावी नतीजे घोषित होते ही मतगणना में गडबडी को लेकर दर्ज कराई गई आपत्ति के चलते जिला वकील संघ की नई कार्यकारिणी को लेकर विगत 2 दिनों से भारी उहापोहवाली स्थिति रही. जिसके बाद सभी कानूनी पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के उपरान्त आज दोपहर 4 बजे के आसपास उपाध्यक्ष एवं सचिव पद के लिए पडे वोटों की दोबारा गिनती करने का निर्णय लिया गया. जिसके चलते विगत 29 मार्च को मतगणना पश्चात सीलबंद कर रखे गए वोटों के गट्ठे आज एक बार फिर जिला वकील संघ के कार्यालय में तीन सदस्यीय समिति के समक्ष खोले गए और निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में एक बार फिर वोटों की गिनती का काम शुुरु किया गया. लेकिन इसी बीच दोनों पदों पर विजेता रहे प्रत्याशियों ने स्थनीय अदालत ने इसके खिलाफ अपील दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने अगले आदेश तक रिकाउंटींग करने को लेकर स्थगनादेश जारी किया. ऐसे में रिकाउंटींग के काम को शुरु होने के थोडी ही देर बात रोक देना पडा.
बता दें कि, जिला वकील संघ के चुनाव हेतु दो दिन पहले ही 29 मार्च को मतदान कराया गया था. जिसके उपरान्त देर रात मतगणना होकर चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे. जिसमें सचिव पद पर एड. उमेश इंगले को निर्वाचित घोषित किया गया था. जिन्हें 600 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्बंदी एड. वसूसेन देशमुख को 593 वोट हासिल हुए थे. साथ ही 4 वोटों को अवैध घोषित किया गया था. साथ ही वकील संघ के उपाध्यक्ष पद पर एड. एन. डी. राउत निर्वाचित ुहुए थे. जिन्हें 538 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्बंदी एड. श्रीमती एन. एस. तिखिले को 530 वोट मिले थे और तीसरे स्थान पर रहने वाले एड. इमरान नुरानी ने 71 वोट हासिल किए थे. उल्लेखनीय है कि, जिला वकील संघ के चुनाव में कुल 1,337 मतदाताओं में से 1,211 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. ऐसे में उपाध्यक्ष पद के लिए पडे वोटों में 40 तथा सचिव पद के लिए पडे वोटों में 14 वोटों का फर्क दिखाई दे रहा था. जिसके चलते एड. वसूसेन देशमुख एवं एड. एन. एस. तिखिले ने इस बात को लेकर आपत्ति उठाई कि, उपाध्यक्ष पद की वोटींग से 40 और सचिव पद की वोटींग से 14 वोट कहां चले गए, साथ ही उन्होंने मतगणना में निश्चित रुप से कोई ना कोई गडबडी होने का आक्षेप उठाते हुए दुबारा मतगणना करने की मांग उठाई. जिसके चलते जिला वकील संघ द्बारा गत रोज दोपहर मुख्य निर्वाचन निर्णय अधिकारी एड. नंदकिशोर कलंत्री की देखरेख में एड. राजेंद्र अग्रवाल, एड. अनिल विश्वकर्मा व एड. महेंद्र तायडे का समावेश रहने वाली तीन सदस्यीय समिति गठित की गई. जिसने सभी पक्षों का युक्तिवाद सुना और इसके बाद दुबारा मतगणना करने का निर्णय लेते हुए कहा कि, शनिवार 1 अप्रैल को दोपहर 4 बजे से दोबारा मतगणना की जाएगी.
* अदालत में पहुंचे विजीत प्रत्याशी
जिला वकील संघ द्बारा दुबारा मतगणना करने का फैसला लिए जाने की जानकारी मिलते ही सचिव एवं उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित घोषित किए गए दोनों प्रत्याशियों ने इसके खिलाफ स्थानीय अदालत में ही एड. अशोक जैन के मार्फत अपील दायर की. जिस पर 14 वें सह दिवाणी न्यायाधीश (वरिष्ठ स्तर) व अतिरिक्त मुख्य दंडाधिकारी एन. एन. धेंडे की अदालत के समक्ष सुनवाई हुई. इस समय आपत्ति उठाने वाले दोनो प्रत्याशियों की ओर से एड. सतिश सारडा ने पैरवी की. यह युक्तिवाद दोपहर 4 बजे के बाद भी चलता रहा. वहीं इसी दौरान दोपहर 4 बजे से जिला वकील संघ की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी पूर्व घोषणा के मुताबिक वोटों की दुबारा गिनती का काम शुरु कर दिया. जिसके तहत 100-100 वोटों के गट्ठे बांधे जा रहे थे, तभी निर्वाचित घोषित प्रत्याशियों की ओर से एड. अशोक जैन ने वहां पहुंचकर बताया कि, अदालत ने पुनर्मतगणना पर स्टे ऑर्डर दे दिया है. ऐसे में वोटों की गिनती का काम तुरंत रोक दिया जाए. जिसके चलते एक बार फिर उहापोहवाली स्थिति बन गई और मामले में फंसा पेंच जस का तस कायम रहा.
* सदार व किल्लेकर की आपत्तियां हुई खारिज
जानकारी के मुताबिक उपाध्यक्ष व सचिव पद के चुनावी नतीजों को लेकर दो प्रत्याशियों द्बारा उठाई गई आपत्ति के बाद पैदा हुई स्थितियों को देखते हुए अध्यक्ष पद के चुनाव में पराजित रहे एड. सदार तथा ग्रंथालय सचिव पद के चुनाव में पराजित रहे एड. किल्लेकर ने भी चुनावी नतीजों को लेकर आपत्ति उठाई थी. परंतु इस समय तक चुनावी नतीजे घोषित हुए 48 घंटे से अधिक समय बीत चुका था और नियमानुसार 48 घंटे के भीतर ही चुनावी नतीजों को लेकर किसी भी तरह की आपत्ति उठाई जा सकती है. ऐसे में निर्धारित समय के बाद उठाई गई इन दोनो आपत्तियों को खारिज कर दिया गया.