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अस्पताल में बेड के लिए दरदर भटक रहे रिश्तेदार

नागपुर में कोरोना की स्थिति और भिषण

  •  अमरावती भेजे जा रहे है मरीज

  •  यवतमाल, भंडारा, बुलढाणा, वर्धा, अकोला में भी समस्या गंभीर

नागपुर/प्रतिनिधि दि. 12 – विदर्भ के सात जिले की कोरोना स्थिति फिलहाल गंभीर मोड पर है. चिंताजनक व ऑक्सिजन की जरुरत वाले मरीज लगातार बढने से बेड की कमी निर्माण हुई है. बेड की तलाश में मरीजों के रिश्तेदार अनेक अस्पतालों के दरवाजे खटखटा रहे है. सबसे भिषण स्थिति नागपुर में है. नागपुर में बेड उपलब्ध न रहने से गंभीर मरीज अमरावती रेफर किये जा रहे है. नागपुर समेत यवतमाल, भंडारा, बुलढाणा, वर्धा, अकोला व गोंदिया जिले में बेड की समस्या गंभीर होती जा रही है. वाशिम व चंद्रपुर किनारे पर है.

  • अमरावती को नागपुर का आधार

फरवरी-मार्च महिने में विस्फोट हुआ कोरोना का संसर्ग का आलेख अब गिर चुका है. फिलहाल विविध श्रेणी के 40 अस्पतालों में 2,806 बेड की संख्या है. इसमें 997 बेड व्यस्त रहने से 1 हजार 807 बेड रिक्त है. इस कारण अन्य जिले के मरीज आ रहे है. शनिवार को नागपुर से 31 गंभीर मरीजों को जिला कोविड अस्पताल में दाखिल किया गया है.

नागपुर

नागपुर में मरीजों को बेड के लिए दरदर भटकना पड रहा है. शासकीय ही नहीं बल्कि निजी अस्पतालों में भी बेड की कमी है. 2500 बेड शासकीय अस्पताल में है तथा निजी में 3500 बेड है. हर रोज 550 मरीज दाखिल हो रहे है. रविवार को 55 मरीज वेटींग पर थे. जिससे मरीजों को अमरावती भेजा जा रहा है.

बुलढाना

शासकीय, निजी मिलकर 7,835 बेड उपलब्ध है. इनमें से 1057 बेड वेंटीलेटर, ऑक्सिजन सुविधा के साथ है. अकोला, जलाना, औरंगाबाद और जलगांव के सीमावर्ती गांव के मरीज बुलढाणा में आते है.

चंद्रपुर

कोविड अस्पताल, हेल्थ केअर सेंटर व डेडीकेट कोविड सेंटर में 1,934 में से केवल 530 बेड शेष है. प्रसार तेजीे से बढने के कारण बेड की स्थिति काफी गंभीर हो सकती है. सरकारी अस्पताल में कोविड के लिए 1,354 तथा निजी अस्पताल में 580 बेड आरक्षित है. रोज तकरीबन 20 गंभीर मरीज दाखिल होते है. तकरीबन 350 मरीज अच्छे होकर घर जाते है.

 वर्धा

सेवाग्राम की कस्तुरबा अस्पताल व सावंगी (मेघे) स्थित आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल में कोविड के 600 बेड है. दोनों अस्पताल के बेड फिलहाल फुल है. दोनों अस्पताल में रोज 100 से ज्यादा गंभीर बाधित मरीज दाखल होते है. वाशिम, अकोला, यवतमाल, अमरावती, नांदेड से इलाज के लिए मरीज दाखल होते है.

 वाशिम

वर्तमान स्थिति में 131 मरीज ऑक्सिजन पर हैं. निजी कोविड हॉस्पिटल की संख्या बढने से फिलहाल तो भी ऑक्सिजन की 325 व आईसीयू के 36 बेड उपलब्ध है.

 गडचिरोली

फिलहाल 10 अस्पतालों में 1193 मरीजों पर इलाज शुरु हैं. सरकारी कोविड सेंटर में 2054 बेड उपलब्ध है.दैनदिन 200 के करीब नये मरीजों का प्रमाण है. फिर भी बेड की कमी नहीं है.

 भंडारा

जिले में 1225 बेड है. तहसील स्तर पर ऑक्सिजन व वेंटीलेटर की सुविधा न रहने से सभी मरीज भंडारा की ओर आते है. जिला अस्पताल में 425 बेड की क्षमता है. वहां एक भी बेड रविवार को खाली नहीं था. जिले में निजी अस्पताल में 324 बेड की सुविधा है. वहां 294 मरीज दाखिल है. 250 नये मरीज और 100 कोरोना मुक्त इस तरह व्यस्त प्रमाण रहने से बेड की समस्या गंभीर बनी है.

 गोंदिया

दो बडे कोविड सेंटर्स में आधे से ज्यादा बेड फुल्ल होने के मार्ग पर है. संसर्ग की बढती रफ्तार देख आगामी कुछ दिनों में किल्लत निर्माण होने की संभावना है. सरकारी अस्पताल में 718 बेड है. केवल 246 बेड शेष है. 8 निजी अस्पताल के सभी 453 बेड फुल्ल हैं. एक भी बेड शेष नहीं है. हर रोज ओैसतन 80 मरीज दाखिल होते है और 85 लोगों को छुट्टी दी जाती है.

यवतमाल

एक शासकीय, 17 निजी कोविड अस्पताल है. गंभीर मरीजों की संख्या ज्यादा रहने से बेड की कमी है. सरकारी अस्पताल में 570 बेड है. उसमें से गंभीर मरीजों के लिए रहने वाले बेड फुल्ल हो चुके है. निजी अस्पताल में 521 बेड है. वहां 369 मरीज इलाज कर रहे हैं. आईसीयू व ऑक्सिजन सुविधा के बेड फुल्ल है. रोज औसतन 150 मरीज दाखल हो रहे है.

  • क्या हेै कारण

– पिछले कुछ दिनों से गंभीर मरीजों का प्रमाण बढ चुका है.
– आईसीयू, ऑक्सिजन सुविधा रहने वाले बेड की संख्या तुलना में कम है.
– गंभीर मरीज अच्छे होने में 15 से 20 दिन लगते है.कुछ मरीजों को महिना भी लगता है.
– नये मरीज ज्यादा व अच्छे होने वाले मरीजों का प्रमाण कम है
– आरटीपीसीआर न करते हुए अनेक लोग सिटीस्कैन के आधार पर इलाज कर रहे है.

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