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सुप्रिम कोर्ट के निर्देशों की आखिर आ गई याद

24 साल बाद निंद से जागा वन विभाग

  • अंतर्गत शिकायत समिति स्थापित करने के निर्देश

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 1 –  वरिष्ठ अधिकारियों की मानसिक प्रताडना से त्रस्त होकर हरिसाल की वन परिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने आत्महत्या करने के बाद वन विभाग की निंद खुली है. केवल ‘दुर्दैवी घटना’ इस तरह का उल्लेख कर राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वनबल प्रमुख) जी. साईप्रकाश ने अंतर्गत शिकायत समिति गठित करने के निर्देश दिये है. विशेष यह कि पूरे 24 वर्षोंं बाद वन विभाग को सुप्रिम कोर्ट के इस दिशा निर्देशों की याद आयी.
दीपाली चव्हाण आत्महत्या के बाद वन मुख्यालय में श्रद्धांजली का कार्यक्रम हुआ. किंतु भारतीय वन सेवा के वरिष्ठों ने अंत्यसंस्कार को जाना तो दूर दीपाली के परिजनों से भेंट करने, उनकी सांत्वना करने का भी सौजन्य नहीं दिखाया. वरिष्ठ अधिकारियों के गुटों से निषेध के सुर भी नहीं निकले. इस घटना से अन्य राज्य में रोष व्यक्त होने के बाद वन विभाग को विशाखा समिति की याद आयी. महाराष्ट्र में यह घटना घटने के साथ ही कर्नाटक में इस तरह की समितियों को और अधिक मजबूत करने की दृष्टि से कदम उठाये गए. महाराष्ट्र में मात्र दीपाली के मृत्यु के बाद पूरे पांच दिन पश्चात वनबल प्रमुखों को निंद खुली. जिससे भारतीय वन सेवा से अधिकारियों की भूमिका पर प्रश्न उपस्थित किया जा रहा है. लैंगिक प्रताडना से संबंधित अंतर्गत शिकायत निवारण समिति, कामकाज से जुडी शिकायत निवारण समिति गठित करने के निर्देश वनबल प्रमुखों ने दिये है. किंतु कार्यालयीन स्तर पर महिलाओं की मानसिक, शारीरिक प्रताडना बाबत सुप्रिम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशाखा समिति का क्या?, यह प्रश्न मात्र कायम है. सुप्रिम कोर्ट ने इस संदर्भ में 1997 में दिशा निर्देश दिये.
2013 में उसे कानूनन स्वरुप दिया गया. उसके अनुसार 10 से ज्यादा व्यक्ति रहने वाली जगह पर ऐसी समितियां रहेगी. हर तीन महिने बाद बैठक होगी, ऐसा भी उसमें स्पष्ट किया गया. इस समिति की ओर से काम की जगह महिलाओं को सुरक्षा कवच मिला है. वन विभाग ने मात्र उनके अधिकार क्षेत्र की महिलाओं को जैसे यह कवच ही नकार दिया है. वन विभाग में अधिकारी, कर्मचारी व प्रत्यक्ष वन क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं का प्रमाण ज्यादा है, ऐसा रहते हुए भी वन विभाग के मुख्यालय में यह समिति न रहना इस बाबत आश्चर्य व्यक्त हो रहा है. जिससे क्या वन विभाग दीपाली की आत्महत्या की राह देख रहा है, इस तरह के प्रश्न उपस्थित किये जा रहे है.

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