सन 2000 से जाति पडताल कानून को रद्द करें
सांसद नवनीत राणा ने की राष्ट्रपति से मांग
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राष्ट्रपति कार्यालय ने गृह मंत्रालय को जांच के दिये आदेश
अमरावती/प्रतिनिधि दि.16 – सन 2000 में बनाया गया जाति पडताल कानून राज्य की विभिन्न जातियों व जनजातियों को न्याय दिलाने की बजाय अन्याय कर रहा है. ऐसे में इस कानून और इस हेतू बनाये गये नियमों को रद्द किया जाये. इस आशय की मांग जिले की सांसद नवनीत राणा द्वारा देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की गई है. जिसके पश्चात राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा इस विषय को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को जांच के आदेश दिये गये है.
इस संदर्भ में राष्ट्रपति को सौंपे गये 118 पन्ने के निवेदन में सांसद नवनीत राणा ने सिलसिलेवार ढंग से बताया कि, सन 2000 के जाति पडताल कानून की वजह से राज्य के कोली महादेव, हलबा, ठाकुर, का-ठाकुर, गोवारी, माना, मन्नेवार, धनगर, ढोबा, भुजिया, सोनझरी, कातकरी, पावरा, राजगोेंड, खत्री आदि 33 अनुसूचित जमातियों पर अन्याय हो रहा है. यह निवेदन सौंपने के साथ ही सांसद नवनीत राणा द्वारा सतत किये जाते प्रयासों के चलते राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को तत्काल इस मामले की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने के आदेश जारी किये गये है. जिसकी सूचना राष्ट्रपति भवन के सचिव जगन्नाथन श्रीनिवासन द्वारा सांसद नवनीत राणा को भेजे गये पत्र में दी गई है.
इस विषय को लेकर सतत प्रयास किये जाने के चलते सांसद नवनीत राणा का महाराष्ट्र राज्य अन्यायग्रस्त अनुसूचित जमाति कृति समिती के संजय हेडाउ, उमेश ढोणे, प्रा. बी. के. हेडाउ, डॉ. रमेश सूर्यवंशी, डॉ. जितेंद्र ठाकुर, सुरेश आंबुलगेकर, प्रा. राजेश बडगुजर, दीपक केदार, गोपाल ढोणे, रघुनाथ खडसे, गजानन सूर्यवंशी, प्रकाश दंदे, शंकर डोंगरे, प्रकाश खर्चान, शुभम उंबरकर, पुरूषोत्तम खर्चान, शंकर ढोणे, जयंत देशमुख, सतीश काले आदि ने अभिनंदन किया है.