तीन महीने की गिरावट के बाद खुदरा महंगाई फिर बढ़ी, सात प्रतिशत पर पहुंची
खाद्य पदार्थ व मसालों की बढती कीमतों के चलते आम उपभोक्ता हलाकान
नई दिल्ली/दि.14 – तीन महीने की गिरावट के बाद खुदरा महंगाई फिर सात प्रतिशत पर पहुंच गई है. देश में मानसून के अनियमित रहने से महंगाई दर में इजाफा हुआ है. सितंबर से नवंबर महीने के बीच खाद्य पदार्थों की कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है. इस वर्ष के हर महीने में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टॉलरेंस बैंड 2 से छह फीसदी के बीच के लेवल से ऊपर बना हुआ है.
तीन महीने की गिरावट के बाद अगस्त महीने में खुदरा महंगाई एक बार फिर बढ़कर सात फीसदी पर पहुंच गई है. इससे खाद्य पदार्थ की कीमतों में तीन महीने से जारी गिरावट थम गई है. अब भारतीय रिजर्व बैंक पर एक बार फिर बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए अधिक आक्रामक तरीके से दरों को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष के हर महीने में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टॉलरेंस बैंड 2 से छह फीसदी के बीच के लेवल से ऊपर बना हुआ है.
* कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद बढ़ी महंगाई
हालांकि हाल के हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई है, लेकिन मुद्रास्फीति पर सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ सका है क्योंकि ईंधन का सभी उपभोक्ता वस्तुओं की श्रेणी में बहुत छोटा हिस्सा है. वहीं, खाद्य पदार्थों की महंगाई का हिस्सा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में लगभग आधा है. इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई, क्योंकि इस बार रिकॉर्ड गर्मी पड़ने से गेहूं, चावल और दालों की कीमतें उछलीं हैं. इससे पहले से महंगाई की मार झेल रहे घरेलू बजट पर दबाव बढ़ा है.
* सितंबर से नवंबर महीने के बीच और बढ़ सकती हैं कीमतें
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत और अगस्त 2021 में 3.11 प्रतिशत थी. बता दें कि इस बार देश में मानसून का अनियमित रहना फसलों के अधिक नुकसान का संकेत देता है. इससे आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थों की कीमतें और बढ़ने की आशंका बढ़ गई है. मौसम के प्रतिकूल रहने के कारण सितंबर से नवंबर महीनों के बीच खाद्य पदार्थों की कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है.
* वर्ष 2023 की शुरुआत तक आरबीआई के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है महंगाई दर
आरबीआई के अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2023 की शुरुआत तक मुद्रास्फीति इसके लक्ष्य सीमा (टॉललेंस बैंड) के ऊपरी छोड़ छह प्रतिशत के ऊपर बना रह सकता है. बता दें कि आरबीआई गवर्नर ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि मुद्रास्फीति चरम पर है और इसके अगले वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही तक घटकर लगभग पांच प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है. कीमतों पर दिख रहा ताजा उछाल भारत जैसे देश के लिए इसलिए अच्छी खबर नहीं है क्योंकि यह आपूर्ति-संचालित मुद्रास्फीति से पहले से जूझ रहा है.
* खुदरा महंगाई, 3 महीने में सबसे ज्यादा
खुदरा महंगाई जनवरी महीने में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 फीसदी पर पहुंच गई. इसके साथ ही महंगाई एक बार फिर रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर चली गई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दिसंबर में 5.72 फीसदी और जनवरी 2022 में 6.01 फीसदी थी. खाद्य पदार्थों की महंगाई दर जनवरी में 5.94 फीसदी रही जो दिसंबर में 4.19 फीसदी थी. इससे पहले, खुदरा महंगाई अक्टूबर महीने में उच्च स्तर 6.77 फीसदी पर थी. भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है. केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
* विगत 6 माह में ऐसी रही महंगाई की दर
महिना प्रतिशत
अगस्त 7.0
सितंबर 7.41
अक्तूबर 6.77
नवंबर 5.88
दिसंबर 5.72
जनवरी 6.52