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बहुचर्चित अर्पिता ठाकरे हत्याकांड में 7 को न्यायालय का फैसला!

 प्रेमी ने ही उतारा था मौत के घाट

  • महात्मा फुले विद्यालय के सामने तीन वर्ष पहले हुआ था हत्याकांड

अमरावती/प्रतिनिधि दि.2 – निजी कोचिंग क्लासेस से अपनी सहेली के साथ घर लौट रही समीपस्थ कवठा बहाले निवासी अर्पिता दत्ताजी ठाकरे नामक युवती की उसके ही कथित प्रेमी ने अंबादेवी से राजापेठ मार्ग पर महात्मा फुले विद्यालय के पास दिनदहाडे हत्या की थी. इस अर्पिता ठाकरे बहुचर्चित हत्याकांड की न्यायालयीन सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है और आगामी 7 सितंबर को इस मामले में न्यायालय का फैसला आने की संभावना व्यक्त की जा रही है. हत्या के बाद कुछ घंटे में ही परिसर में उपस्थित लोगों ने पीछा कर हत्यारे मलकापुर निवासी तुषार किरणराव मस्करे (22) को पकडकर पुलिस के हवाले किया था. उस दिन से ही वह स्थानीय जेल में कैद है.
जानकारी के अनुसार कवठा बहाले निवासी अर्पिता ठाकरे व उसी गांव के समीप मलकापुर निवासी तुषार मस्करे के बीच प्रेम संबंध थे, लेकिन किसी कारणवश उनमें मनमुटाव हुआ था. जिससे अर्पिता ने तुषार के खिलाफ बडनेरा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की थी. इस मामले में पुलिस ने तुषार को समझाबुझाकर छोड दिया था. उसके बाद 9 जुलाई 2019 को दोपहर 2.30 बजे के दौरान अर्पिता ठाकरे उसकी सहेली के साथ शहा कोचिंग क्लासेस से मुधोलकर पेठ होते हुए गांधी चौक की ओर जा रही थी. उसी समय पीछे से आगर तुषार मस्करे ने अर्पिता पर चाकू से सपासप वार कर दिये. इस हमले में गंभीर रुप से जख्मी अर्पिता को उसी की सहेली ने पहले समीप के एक निजी अस्पताल और वहां से इर्विन अस्पताल में लाया था. अर्पिता की सहेली ने ही इसकी जानकारी उसके माता-पिता को दी थी. खबर मिलते ही अर्पिता के माता-पिता इर्विन अस्पताल पहुंचे थे. इधर हमले के बाद घटनास्थल से तुषार मस्करे चुनाभट्टी होते हुए नमुना में भागा. लोगों ने पीछा कर उसकी बुरी तरह पीटाई की और पुलिस के हवाले किया. अर्पिता की सहेली की शिकायत पर राजापेठ पुलिस ने इस मामले में दफा 302, 354 (ड) व पोस्को की धारा 8,12 के तहत अपराध दर्ज कर तुषार को जांच के बांद जेल भेज दिया. स्थानीय चौथे जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिन्हा के न्यायालय ने इस मुकदमे पर सुनवाई हुई. न्यायालय में गवाहों के बयान और बचाव पक्ष तथा सरकारी वकीलों की दलीलें भी पूर्ण हो चुकी है और न्यायालय ने अब इस मामले में फैसले के लिए 7 सितंबर की तारिख निश्चित की है. इस बहुचर्चित हत्याकांड में न्यायालय के फैसले पर सभी की नजरे लगी हुई हैं. इस मामले में सरकार की ओर से जिला सरकारी वकील परीक्षित गणोरकर ने काम संभाला है.

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